बुंदेलखंड की बेटी कात्यायिनी अमेरिका में आतंकवाद पर करेंगी शोध
महोबा के बुंदलेखंड की बेटी कात्यायिनी रिछारिया को बोस्टन अमेरिका के द फ्लेचर्स स्कूल आफ ला एंड डिप्लोमेसी से इंटरनेशनल रिलेशन ....
महोबा के बुंदलेखंड की बेटी कात्यायिनी रिछारिया को बोस्टन अमेरिका के द फ्लेचर्स स्कूल आफ ला एंड डिप्लोमेसी से इंटरनेशनल रिलेशन से पोस्ट ग्रेजुएट करने का मौका मिला है। वह आतंक विषय पर शोध करेंगी।
पनवाड़ी ब्लॉक के छोटे से गांव महुआ निवासी रघुवीर रिछारिया की बेटी कात्यायिनी रिछारिया द्वारा अमेरिका में आतंक विषय पर शोध करने की खबर से उनके गांव महुआ में उत्साह है। कात्यायिनी संयुक्त राष्ट्र संघ में काम करने को लेकर इच्छुक हैं। वह भारत को महाशक्ति के रुप में देखना चाहतीं हैं।
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उसका शुरुआती बचपन मुंबई में बीता इसके बाद वह सात साल की उम्र में दिल्ली आ गईं। वह दिल्ली विश्व विद्यालय से ग्रेजुएट हैं। अब उन्हें बोस्टन अमेरिका के द फ्लेचर्स स्कूल आफ ला एंड डिप्लोमेसी से इंटरनेशनल रिलेशन से पोस्ट ग्रेजुएट करने का मौका मिला है। वह 2019 में स्पेन में आयोजित हावर्ड मॉडल यूनाइटेड नेशंस कान्फ्रेंस में भारत की तरफ से हिस्सा ले चुकीं हैं।
कात्यायिनी को इस साल नवंबर में होने वाले यूएन मुख्यालय में इंटर्नशिप के लिए चुना गया है। वहीं उन्हे अमेरिका की नामी जार्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी, टफ्ट हावर्ड कॉलेजियम और डेनवर यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएट करने का भी आफर मिला है।जिसमें उन्होंने टफ्ट्स हावर्ड कालेजियम को चुना है। वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर फरवरी 2019 में दिल्ली में आयोजित युवा संसद का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं।
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इसके साथ ही नेशनल स्कूल आफ ड्रामा पार्ट टाइम थिएटर सर्टिफिकेट,संस्कृति मंत्रालय के दूरदर्शन के कार्यक्रमों में प्रस्तुति दे चुकीं और कोरोना काल में विस्थापित श्रमिको का डाटाबेस तैयार कर वह संस्थाओं को मदद कर चुकीं हैं।
आतंक पर शोध करने के बारे में कात्यायिनी कहतीं है कि जब वह छह साल की थी तो सन 2006 में मुंबई की लोकल ट्रेन में धमाका हुआ जहां से उसके पिता रोजाना आफिस जाते थे। इस घटना के बाद उसका दिल दहल गया और उसके बारे मे सोचती रहती और उसने ठाना कि आतंकवाद की घटनाएं क्यों होती इसके कारणों का पता लगाएगीं।
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