बुन्देलखण्ड के इस पूर्व विधायक का आखिर क्यों हो रहा है भाजपा से मोहभंग?
दतिया
भारतीय जनता पार्टी में इस वक्त अन्तर्कलह जोरों पर है, हर किसी को पद चाहिये, मंत्री पद चाहिये। अभी हाल ही में जब सिंधिया गुट को प्राथमिकता दी गयी तो कई पुराने कार्यकर्ता नाराज हुए। कहने लगे, कल के आये लोगों को आते ही रेवड़ी और मलाई। आखिर हमने क्या बिगाड़ा है? हम तो लगातार पार्टी की सेवा कर रहे हैं। तो क्या सेवा का मेवा ऐसे देने की रवायत चल पड़ी है? इस प्रकार के मनमुटाव और विरोध की खबरें अब मध्य प्रदेश के अखबारों में प्रथम पेज पर आने लगी हैं।
मध्य प्रदेश बुन्देलखण्ड से शिवराज सरकार में एक ताकतवर मंत्री हैं नरोत्तम मिश्रा। वही नरोत्तम मिश्रा जिन पर यूपी के कुख्यात बदमाश विकास दुबे की मदद करने के आरोप लगे थे। कहते हैं कि नरोत्तम मिश्रा ने ही विकास दुबे को उज्जैन के महाकाल मन्दिर में आत्मसमर्पण करने का रास्ता बताया था। हालांकि ऐसी राजनीतिक गलियारों में चर्चा हुई तो यह समाज के अन्दर गली-मोहल्लों तक गयी। वही नरोत्तम मिश्रा के विधानसभा क्षेत्र की बगल वाली सीट से पूर्व विधायक आजकल नाराज चल रहे हैं। कारण वो भाव न मिलना, जिसके वो अपने आप को हकदार मानते हैं।
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आईये, पूरा मामला समझते हैं, दरअसल मध्यप्रदेश में विधानसभा की 25 रिक्त हुई सीटों पर आने वाले दिनों में उपचुनाव होने वाले हैं और ऐसे में प्रदेश की दोनों ही प्रमुख पार्टियां उपचुनाव की तैयारियों में जुटी हैं, लेकिन इसी बीच अब भाजपा में अन्तर्कलह सामने आने लगी है। मंत्रिमंडल विस्तार के बाद लगातार कई नेताओं में असंतोष देखने को मिल रहा है और वे विभिन्न माध्यमों से अपनी नाराजगी भी जता रहे हैं। गत दिनों पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया के एक ट्वीट ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी थी। अब दतिया के सेंवड़ा से पूर्व विधायक ने इस्तीफे की पेशकश कर भाजपा में हडकम्प मचा दिया है।
उपचुनाव से पहले भाजपा में अंतर्कलह, पूर्व विधायक ने की इस्तीफे की पेशकश
सेवड़ा विधानसभा से पूर्व विधायक एवं दतिया जिले के महामंत्री रामदयाल प्रभाकर ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता के साथ ही अपने सभी पदों से इस्तीफा देने की पेशकश कर दी है। इस बावत उन्होंने आज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने पार्टी में तानाशाही होने का आरोप लगाया, साथ ही उनकी उपेक्षा और अपमान की भी बात कही है। प्रभाकर के पत्र के बाद सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।
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उन्होंने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को लिखी चिट्ठी में लिखा है कि पार्टी में पुराने कार्यकर्ताओं की भयंकर उपेक्षा की जा रही है, अपमान किया जा रहा है। पार्टी में तानाशाही है और पार्टी हित, जनहित की बात को विरोध करार दिया जा रहा है। इसीलिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता एवं पार्टी के सभी पदों से उनका त्यागपत्र स्वीकार कर लिया जाये।
अब देखना है कि रामदयाल प्रभाकर के इस पत्र पर मध्य प्रदेश भाजपा में क्या प्रतिक्रिया होती है। लेकिन रामदयाल प्रभाकर के इस पत्र का प्रभाव व्यापक दिखाई देने लगा है।