श्री राम राजा सरकार के 8 जून से होंगे दर्शन
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कोविड-19 के प्रकोप से समूचा देश लॉक डाउन था।अब धीरे धीरे अनलॉक हो रहा है। इसी कड़ी में देश के धार्मिक स्थलों को भी 8 जून से खोल दिया जाएगा, इसमें बुंदेलखंड के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल ओरछा के श्री राम राजा सरकार मंदिर भी आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा। बशर्ते इसके लिए श्रद्धालुओं को ऑनलाइन टिकट प्राप्त करना होगा बिना टिकट के श्रद्धालुओं का प्रवेश मंदिर में वैद्य नहीं होगा।
ऑनलाइन बुकिंग निशुल्क होगी उसमें किसी तरह का शुल्क नहीं होगा। साथ ही मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं को निर्धारित पार्किंग में ही सामान छोड़ना होगा।जूता चप्पलों की दो स्तरों पर सैनिटाइजिंग की जाएगी।साथ-साथ श्रद्धालुओं की थर्मल स्क्रीनिंग भी होगी। ऑनलाइन टिकट प्राप्त करने हेतु नीचे मंदिर की वेबसाइट दी गई है जिस पर लॉग इन कर बुकिंग कराई जा सकती है।
उत्तर भारत के टीकमगढ़ जिले में प्रसिद्ध धार्मिक स्थल ओरछा में भगवान श्रीराम का मंदिर विशेष मान्यता रखता है।यहां भगवान राम नहीं वरन और राम राज्य के राजा के रूप में पूजे जाते हैं और आज भी उन्हीं का शासन ओरछा में चलता है।ओरछा के राम रामराजा मंदिर में जडे शिलालेख के अनुसार भगवान श्री राम राजा सरकार को ओरछा की महारानी गणेश कुअर चैत्र शुक्ल नवमी सोमवार विक्रम संवत 1631 प्र सोमवार सन 1574 में अयोध्या से ओरछा तक पुख्य नक्षत्र के 8 माह 28 दिनों तक पैदल चलकर लाई थी और सोलह सिंगार कर उन्हें अपने रानी महल में विराजमान कर दिया था, ओरछा सहित उत्तर भारत में प्रचलित जनश्रृतिऔर अनेक धार्मिक पुस्तकों में लिखे अनुसार सतयुग राजा दशरथ के पुत्र भगवान श्री राम का विवाह पश्चात राजतिलक नहीं पाया था और उन्हें वन गमन करना पड़ा था।
उनके वियोग में उनके पिता राजा दशरथ की मृत्यु हो गई थी।उत्तर भारत की धार्मिक क्षेत्रों सहित साधु संत समाज में ऐसी मान्यता है कि ओरछा के तत्कालीन शासक महाराजा मधुकर शाह को राजा दशरथ और उनकी पत्नी महारानी गणेश कुअर को महारानी कौशल्या के रूप में मान्यता प्राप्त है।
राजतिलक के पश्चात भगवान श्रीराम को ओरछा के तत्कालीन शासक मधुकर शाह ने अपना राज्य सौंप दिया था और तभी से भगवान श्री राम ओरछा के राजा हैं और राम राजा कहलाते हैं। 444 वर्ष प्राचीन परंपरा के अनुसार भगवान श्रीराम को प्रतिदिन सुबह और शाम सशस्त्र बल द्वारा उन्हें गार्ड आफ आनर देने की परंपरा का पालन आज भी राज्य सरकार द्वारा किया जा रहा है।
रामनवमी और विवाह पंचमी के 3 दिनों तक के लिए भगवान श्री राम और सीता सिंहासन को छोड़कर दलान में झूला पर विराजमान होकर सामान्य लोगों के लिए आसानी से दर्शन देते हैं और इन्हीं 3 दिन सुबह 5 बजे मंगला आरती में हजारों लोग आते हैं देश के सभी मंदिरों से अलग रामराजा मंदिर से प्रतिदिन सुबह और शाम की आरती के बाद दर्शनार्थियों को भगवान के प्रसाद के रूप में पान का बीड़ा और इत्र की कली वितरित किए जाने की परंपरा आदिकाल से निभाई जा रही है।
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