भारत के अंतरिक्ष इतिहास में नया स्वर्णिम अध्याय, ISRO के LVM3-M6 मिशन से रचा गया इतिहास
भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कर ली है...
श्रीहरिकोटा/नई दिल्ली। भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कर ली है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के LVM3-M6 मिशन की सफल लॉन्चिंग के साथ भारत की हेवी-लिफ्ट लॉन्च क्षमता और अधिक मजबूत हो गई है। इस मिशन के तहत अब तक भारत की धरती से लॉन्च किया गया सबसे भारी वाणिज्यिक उपग्रह, अमेरिका की कंपनी एएसटी स्पेसमोबाइल का BlueBird Block-2, सफलतापूर्वक अपनी निर्धारित कक्षा में स्थापित किया गया।
भारत की ‘बाहुबली’ ताकत का प्रदर्शन
इसरो के एलवीएम3 रॉकेट, जिसे उसकी अपार क्षमता के कारण ‘बाहुबली’ कहा जाता है, की यह छठवीं उड़ान थी। लगभग 6,500 किलोग्राम वजनी इस विशाल संचार उपग्रह को पृथ्वी की निचली कक्षा (लोअर अर्थ ऑर्बिट) में स्थापित कर भारत ने वैश्विक कमर्शियल लॉन्च मार्केट में अपनी सशक्त मौजूदगी दर्ज कराई है।
मोबाइल नेटवर्क की दुनिया बदलने की तैयारी
ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 उपग्रह को अगली पीढ़ी की संचार प्रणाली के रूप में विकसित किया गया है। इसके सफल संचालन के बाद 4G और 5G स्मार्टफोन पर बिना किसी मोबाइल टावर के सीधे नेटवर्क सिग्नल मिल सकेगा। उपभोक्ताओं को न तो अतिरिक्त एंटीना की जरूरत होगी और न ही किसी विशेष हार्डवेयर की।
दूरस्थ इलाकों तक पहुंचेगा नेटवर्क
यह सैटेलाइट हिमालय, महासागर, रेगिस्तान और दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों तक मोबाइल नेटवर्क पहुंचाने में सक्षम होगा। आपदा के समय, जब पारंपरिक टेलीकॉम ढांचा ध्वस्त हो जाता है, तब भी यह सैटेलाइट आधारित नेटवर्क संचार को बनाए रख सकेगा। इससे डिजिटल असमानता कम करने में भी मदद मिलेगी।
बेहतर स्पीड और विशाल कवरेज
ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 उपग्रह को 5,600 से अधिक सिग्नल सेल बनाने के लिए डिजाइन किया गया है और यह 120 एमबीपीएस तक की स्पीड प्रदान कर सकता है। वॉइस कॉल, वीडियो स्ट्रीमिंग और तेज डेटा ट्रांसफर के लिए यह तकनीक बेहद अहम मानी जा रही है।
वैश्विक स्पेस मार्केट में भारत की मजबूत भूमिका
इस मिशन की सफलता से भारत की छवि एक भरोसेमंद और शक्तिशाली वाणिज्यिक लॉन्च साझेदार के रूप में और सुदृढ़ हुई है। इससे स्टारलिंक जैसी कंपनियों को भी कड़ी चुनौती मिलने की संभावना है।
आगे की राह
लॉन्च के बाद उपग्रह का परीक्षण चरण शुरू होगा। इसके सफल परीक्षण के पश्चात वैश्विक स्तर पर सेवाएं शुरू की जाएंगी और विभिन्न देशों से लाइसेंस लेने की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
यह मिशन न केवल ISRO की तकनीकी क्षमता का प्रमाण है, बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ और भारत को वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम भी है।
इस ऐतिहासिक सफलता के लिए इसरो के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को देशभर से बधाइयाँ मिल रही हैं।
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