बुन्देलखण्ड इनसाइक्लोपीडिया हेतु अप्रैल में होगा कार्यशाला का आयोजन

कु चांदनी सोनी ने बुंदेलखंड वेबसाइट का प्रजेंटेशन करके पुस्तक प्रोफार्मा शोधपत्र, महान व्यक्तियों का परिचय तथा पर्यटन स्थलों की रुपरेखा तथा अपलोड करने की विधि की जानकारी दी...

Mar 7, 2022 - 01:31
Mar 7, 2022 - 04:03
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बुन्देलखण्ड इनसाइक्लोपीडिया हेतु अप्रैल में होगा कार्यशाला का आयोजन

बुन्देलखण्ड विश्वकोश निर्माण हेतु गठित नव बुन्देलखण्ड सृजन एवं जनकल्याण समिति, सागर की कार्यकारिणी की सामान्य परिषद की बैठक आनलाईन सम्पन्न हुई । समिति के संरक्षक बुंदेलखंड त्रिरत्न डॉ मीना पिम्पलापुरे, सुरेन्द्र सिन्हा, डॉ गंगाप्रसाद बरसैंया  के योगदान की सभी पदाधिकारियों ने सराहना की।संस्था के सचिव सचिन चतुर्वेदी ने उपस्थित समस्त पदाधिकारियों का परिचय दिया तथा वर्तमान परिदृश्य में बुन्देलखण्ड विश्वकोश की आवश्यकता बताते हुए विस्तार से जानकारी देते हुए बुन्देलखण्ड विश्वकोश योजना में वेबसाइट की सुचारू रूपरेखा बनाए जाने हेतु दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित करने का प्रस्ताव रखा। सर्व सम्मति से  14 एवं 15 अप्रैल को सागर में यह कार्यशाला आयोजित की जाएगी। दोनों ही तिथियों में सार्वजनिक अवकाश हैं, काफी सोच विचार के बाद ये तिथियां निर्धारित की गई हैं।

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आगामी कार्यशाला में हम बिंदुवार चर्चा परिचर्चा कर अपने उद्देश्य को प्राप्त कर सकें। संयुक्त सचिव डॉ. कृष्णा राव ने संस्था की नवनिर्मित वेबसाइट के विषय में विस्तार से बताते हुए कहा कि विश्वकोश की 32 समितियों की जानकारी वेबसाइट पर अपलोड करने के लिए पेज बनाये जा रहे हैं। कु चांदनी सोनी ने बुंदेलखंड वेबसाइट का प्रजेंटेशन करके पुस्तक प्रोफार्मा शोधपत्र, महान व्यक्तियों का परिचय तथा पर्यटन स्थलों की रुपरेखा तथा अपलोड करने की विधि की जानकारी दी।

प्रोफ़ेसर ब्रजेश श्रीवास्तव ने बुंदेलखंड के गौरवशाली इतिहास, सांस्कृतिक परम्पराओं को रेखांकित करते हुए वर्तमान समय में बुंदेलखंड विश्वकोश की प्रासंगिकता की चर्चा करते हुए बुंदेलखंड विश्वकोश योजना की आर्थिक रुपरेखा प्रस्तुत की। डॉ सुधाकर पाठक ने विश्वकोश निर्माण हेतु हर सम्भव सहयोग की अपील की। वीरेंद्र त्रिपाठी जी ने  कहा कि बुन्देलखण्ड का इतिहास बहुत समृद्धिशाली है भविष्य में इसी इतिहास को समेटे हुए बुन्देलखण्ड विश्व कोश अपने आप में एक अदभुत कृति होगी । डॉ ऊषा मिश्रा ने विश्वकोश की प्रगति पर सभी की सराहना की।

डॉ. रंजना सिंह बुन्देला ने कहा कि बुन्देलखण्ड में जन्म लेना सौभाग्य की बात है उन्होंने संस्थापक डॉ. सरोज गुप्ता को नारी सशक्तिकरण का जीता जागता उदाहरण बताया। डॉ. रितु दुबे ने देश के विभिन्न भागों में बसे हुए बुन्देलखण्ड वासियों को संस्था का सदस्य बनाने का सुझाव दिया। डॉ नागेश दुबे ने कहा कि उनका सदैव प्रयास रहता है कि वह बुन्देलखण्ड पर आधारित शोध ग्रंथों को ही अपने विश्वविद्यालय में शोध विषयों में सम्मिलित करें।

सागर के अतुल साफी ने विश्वकोश योजना की सराहना की। डॉ आशीष तिवारी ने भी विचार व्यक्त किए।डॉ.प्रदीप कुमार तिवारी ने कहा कि बुन्देलखण्ड इस ऐतिहासिक धरा पर विश्वप्रसिद्ध साहित्यकारों, क्रांतिकारियों,कवियों एवं लेखकों ने जन्म लिया है यह धरती वीरों की भूमि है सभी महापुरुषों की जीवनी को एकसूत्र में पिरोना आगामी पीढ़ी के विद्यार्थियों के अध्ययन हेतु अत्यन्त आवश्यक है।

संस्था की अध्यक्ष पं. दीनदयाल उपाध्याय शासकीय महाविद्यालय, सागर की हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. सरोज गुप्ता ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में बताया कि यह योजना ओरछा नरेश श्री वीरसिंहजू देव एवं डॉ बनारसी दास चतुर्वेदी द्वारा प्रारम्भ की गई थी जिसे आज संपूर्ण बुन्देलखण्ड के लगभग तीस विषय के विद्वत जनों को साथ में लेकर नव बुन्देलखण्ड सृजन एवं जनकल्याण समिति का गठन के साथ पुनः प्रारंभ  किया गया है समिति के माध्यम से ही बुन्देलखण्ड विश्व कोश का निर्माण होगा।

इस अवसर पर श्रीमती संगीता सुहाने, श्रीमती ऊषा मिश्रा, श्रीमती रितु दुबे, सुधाकर पाठक,  अनिल सरावगी,   आदि सहित बड़ी संख्या में बुन्देलखण्ड के विद्वतजनों ने सहभागिता की तथा अपने विचार रखे, अन्त में प्रदीप कुमार तिवारी  ने सभी अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया।

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