बुंदेलखंड में पत्थर उखाड़ते ही मचेगी दिवाली की धूम
बुंदेलखंड के इकलौते हमीरपुर जिले में ही पत्थर उखाड़ते ही दिवाली की धूम मचती है। सदियों साल पुरानी परम्परा...
देवी देवताओं के प्राचीन मंदिरों में मौनियें माथा टेकने के बाद करते है नृत्य
हमीरपुर। बुंदेलखंड के इकलौते हमीरपुर जिले में ही पत्थर उखाड़ते ही दिवाली की धूम मचती है। सदियों साल पुरानी परम्परा में दशहरे के दिन एक स्थान पर गाड़े गए बड़े पत्थर को यदुवंशी लोग विधि विधान से उखाड़ते है फिर पत्थर लेकर दिवाली नृत्य करते है। दिवाली की धूम कातिक मास तक मचेगी।
बुंदेलखंड में कातिक मास की अमावस्या में मौनियें नदी सरोवरों में स्नान करते है। ये लोग जंगलों से मोर के पंखे एकत्र कर एक बड़ा रोल बनाते है। दिवाली के दिन यदुवंशी लोग मोर के पंखों को यमुना और अन्य सरोवरों में स्नान कराते है। नदी किनारे आज यदुवंशी लोगों का मेला भी लगा है। स्नान के बाद आज से मौनियों की कठिन साधना का व्रत भी शुरू हो जाएगा। ये लोग घरों को सुबह से ही छोड़कर जंगल या मंदिर के बाहर डेरा डालते है। शाम होने के बाद ही पूजा अर्चना के बाद घरों में मौनिए आते है। बुंदेलखंड के हमीरपुर, महोबा, बांदा, चित्रकूट, ललितपुर, झांसी और जालौन के अलावा आसपास के तमाम इलाकों में दिवाली त्योहार की रौनक बढ़ गई है। हमीरपुर का सरीला कस्बा ही एक ऐसा है जहां दिवाली का त्योहार बड़े ही अनोखे ढंग से मनाया जाता है। यहां सदियों से कस्बे में अजीबोगरीब परम्परा कायम है। कस्बे के अस्थाई मांझखोर मुहल्ले में दशहरे के दिन एक बड़ा पत्थर गाड़े गए पत्थर को दिवाली त्योहार के दिन ही उखाडऩे की परम्परा आज भी चली आ रही है।
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पत्थर उखाडऩे से पहले दिवाली नृत्य की टोलियां खरती है हैरतअंगेज करतब
हमीरपुर जिले के सरीला कस्बे के मांझखोर मुहाल में दशहरे के दिन एक बड़ा पत्थर जमीन में गाड़ा जाता है। जिसकी पूजा दिवाली की रात मौनिये करते है। पुष्पेन्द्र सिंह यादव ने बताया कि यहां सदियों से दिवाली खेलने की अनोखी परम्परा कायम है। दीपावली की रात नृत्य करने वाली टोलियां पहले पत्थर की पूजा करती है फिर उसे उखाड़कर पूरी रात दिवाली खेली जाती है। समाजसेवी महेन्द्र सिंह ने बताया कि दिवाली खेलने वाली टोलियां भी भारी भीड़ के सामने हैरतअंगेज करतब भी दिखाती है।
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देवी देवताओं के प्राचीन मंदिरों में मौनियें माथा टेकने के बाद करते है नृत्य
सरीला कस्बे में दिवाली खेलने वाली तमाम टोलियां पत्थर उखाडऩे के बाद पूरी रात धमाल करती है। बुजुर्ग गंगा प्रसाद यादव ने बताया किम कस्बे के पहाड़ी तालाब स्थित हनुमान जी के मंदिर में दिवाली खेलने वाले सैकड़ों लोग विधि विधान से पूजा कर दिवाली नृत्य करते है। दिवाली नृत्य देखने के लिए रात में लोगों की भीड़ उमड़ती है। इसके बाद सदियों पुराने शल्लेश्वर मंदिर, बड़ी माता, कालिका देवी मंदिर व क्षेत्र के करियारी गांव में सौरामठ एकिहासिक धरोहर तक टोलियां दिवाली खेलती है।
हिन्दुस्थान समाचार