चरखारी गोवर्धन धारी भगवान गोवर्धन नाथ जी के अभिषेक की तैयारियां पूर्ण

चरखारी के स्वामी गोवर्धन नाथ जू के मेले का शुभारंभ चर खारी राज्य के महाराजाधिराज सर मलखान सिंह जूदेव के कर कमलों......

चरखारी गोवर्धन धारी भगवान गोवर्धन नाथ जी के अभिषेक की तैयारियां पूर्ण
चरखारी गोवर्धन धारी भगवान गोवर्धन नाथ जी

चरखारी के स्वामी गोवर्धन नाथ जू के मेले का शुभारंभ चर खारी राज्य के महाराजाधिराज सर मलखान सिंह जूदेव के कर कमलों द्वारा विक्रम संवत 1940 कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा सन 1883 ईस्वी में हुआ था । जो अब यह मेला 141 वर्ष पूर्ण कर चुका है । गोवर्धन नाथ जी गोवर्धन पर्वत को कनिष्ठा उंगली पर धारण किया जाना विशेष दर्शनीय है ।

108 कृष्ण मंदिरों के मध्य विराजे गोवर्धन नाथ जू की अनुपम झांकी तथा मंदिरों की दुर्लभ एवं निराली छटा अत्यंत मनोहारी है ।तब से आज तक गोवर्धन नाथ जी मंदिर में भगवान कृष्ण का जन्माष्टमी पर अभिषेक होता है और उसके बाद भक्त भगवान के दर्शन करते हैं ।

अभिषेक की तैयारियों को लेकर पालिका प्रशासन ने बड़ी तैयारियां की हैं ।मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया गया है। जिससे प्रतीत होता है कि,मंदिर में कुछ विशेष होने जा रहा है ।क्योंकि कल जन्माष्टमी का पर्व है इसीलिए मंदिर के पुजारी और पालिका प्रशासन ने मिलकर भगवान के अभिषेक की तैयारियां पूर्ण कर ली हैं ।।

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ऐसी मान्यता है कि तब बृजवासियों की रक्षा करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपनी सबसे छोटी उंगली यानी कनिष्ठा उंगली पर सात दिन के लिए गोवर्धन पर्वत को धारण किया था और समस्त बृजवासियों की रक्षा की थी। इसलिए तब से ही गोवर्धन पूजा करने की परंपरा चली आ रही है। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि भगवान गोवर्धन अपने सभी शरणागत भक्तों की रक्षा करते हैं। कहते हैं कि गोवर्धन पर्वत भगवान श्री कृष्ण का ही एक स्वरूप है।

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