घर-घर दस्तक अभियान में 128 बच्चे पाए गए कुपोषण का शिकार
जनपद में 12 जुलाई से 25 जुलाई तक चले दस्तक अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग की टीमें घर-घर दस्तक दीं। इस दौरान टीबी और कुपोषण..
जनपद में 12 जुलाई से 25 जुलाई तक चले दस्तक अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग की टीमें घर-घर दस्तक दीं। इस दौरान टीबी और कुपोषण के साथ डेंगू, फाइलेरिया, मलेरिया और जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) आदि से ग्रसित 797 मरीजों की पहचान कर उन्हें स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचाया। इनमें टीबी के 94 मरीज तथा 128 कुपोषित बच्चे शामिल हैं।
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जिलाधिकारी आनंद कुमार सिंह के निर्देशन पर दस्तक अभियान चलाया गया। जिला मलेरिया अधिकारी पूजा अहिरवार ने बताया कि साल 2025 तक देश को टीबी मुक्त कराने का लक्ष्य है।
पिछले वर्ष संचालित किए गए दस्तक अभियान में भी टीबी रोगियों को खोजा गया था। वर्तमान में संचालित दस्तक अभियान में भी 94 नए मरीज मिले हैं। 128 कुपोषित बच्चों के अलावा बुखार के 279, खांसी के 190, फाइलेरिया के 106 मरीज चिन्हित किए गए।
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इसके अतिरिक्त आशा कार्यकर्ता द्वारा 2.80 लाख घरों का सर्वे करने का लक्ष्य था। इसके सापेक्ष 97.22 प्रतिशत यानी 2.72 लाख घरों पर दस्तक दी गई। इस दौरान कराई जाने वाली मातृ बैठकों में 1383 महिलाओं और ग्राम स्वच्छता समिति की बैठकों में 469 लोगों ने भाग लिया। पानी शुद्ध करने के लिए 2818 क्लोरीनेशन डेमो किए गए।
जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि मलेरिया, डेंगू एवं डायरिया जैसी महामारी का मुख्य कारण गंदगी व दूषित जलभराव है। उन्होंने कहा ग्रामीण अपने घरों के आसपास न तो कूड़े और न ही गंदे पानी को जमा होने दें।
जितने भी संक्रामक रोग हैं उनकी असली जड़ मच्छर है और मच्छर गंदगी के स्थान पर ही पैदा होते हैं। उन्होंने लोगों से कहा कि वह कूलर में भी अधिक दिनों तक पानी को जमा नहीं होने दें।
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