‘मातृशक्ति सम्मेलन में महिलाओं को लोकल फार वोकल के बारे में जागरुक किया जाएगा’
मातृशक्ति सम्मेलन समिति चित्रकूट धाम विभाग द्वारा रविवार को रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज में मातृशक्ति सम्मेलन का आयोजन किया गया है। इस सम्मेलन में हुनरमंद महिलाओं...
"मातृशक्ति सम्मेलन समिति चित्रकूट धाम विभाग द्वारा रविवार को रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज में मातृशक्ति सम्मेलन का आयोजन किया गया है। इस सम्मेलन में हुनरमंद महिलाओं को स्वदेशी अपनाने के लिए लोकल फार वोकल के बारे में जागरूक किया जाएगा और उन 11 महिलाओं को सम्मानित भी किया जाएगा जो अपने हुनर से किसी न किसी वस्तु को तैयार करके आत्मनिर्भर बन चुकी हैं।"
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यह बात महिला समन्वय काशी एवं कानपुर प्रांत सुश्री रेखा चूड़ासमा ने शनिवार को पत्रकारों से वार्ता के दौरान कहीं। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में मंडल के चारों जनपदों की महिलाएं भाग लेंगी । सम्मेलन में मुख्य अतिथि साध्वी सत्यप्रिया श्रीधाम वृंदावन वात्सल्य धाम होगी जबकि मुख्य वक्ता के रूप में वो स्वयं होंगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला अधिकारी बांदा श्रीमती दुर्गा शक्ति नागपाल करेगी। सम्मेलन रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज बांदा के प्रेक्षागृह में रविवार को प्रातः 11 बजे से शुरू होगा।
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उन्होने बताया कि परिवार प्रबोधन, स्वदेशी, सामाजिक समरसता, पर्यावरण, सुरक्षा एवं नागरिक कर्तव्य विषयों के अंतर्गत परिवार के लिए, समाज के लिए, राष्ट्र के लिए अति महत्वपूर्ण है, इस संबंध में मातृशक्ति सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य महिला के बारे में विचार, उनकी भूमिका क्या होनी चाहिए, और क्या हो सकती है इसी उद्देश्य से मातृशक्ति सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।
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इसी तरह श्रीमती प्रियंका श्रीवास्तव सह संयोजिका महिला समन्वय (कानपुर प्रान्त) ने बताया, "नारी भारतीय जन जीवन की मूल धुरी है। हमारी सांस्कृतिक परम्परा या धरोहर नारी के कारण ही पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित हो रही है। समाज को जड़ता से दूर करने का कार्य भी नारी शक्ति ने ही किया है। नारी विधाता का सर्वाेत्तम उपहार है। नारी ही वह उर्वरा भूमि है जो जीवन की बगिया को महकाती है। नारी न केवल व्यक्तिगत अपितु राष्ट्र निर्माण में भी अहम भूमिका निभाती है। किसी भी राष्ट्र की उन्नति नारी शक्ति के सहयोग के बिना अधूरी है। जिस राष्ट्र में नारी को उचित सम्मान नहीं प्राप्त है वह राष्ट्र कभी भी उन्नति के शिखर पर स्थापित नहीं हो सकता। हमें ज्ञात है कि जब राष्ट्र संकट में पड़ा है तब माताओं ने अपने पुत्रों को, नारियों ने अपनी पतियों को तिलक लगा कर विजय की कामनाओं और विश्वास के साथ रण भूमि में भेजा है। यदि रत्नावली तुलसीदास की चेतना को न जगाती तो मर्यादा पुरूषोत्तम राम का आदर्श स्वरूप समाज के सामने नहीं आ पाता, विद्योत्मा ने कालीदास को संस्कृत का प्रकांड विद्वान बना दिया।"
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प्रेस वार्ता में सुश्री रेखा चूड़ासमा पालक महिला समन्वय काशी एवं कानपुर प्रान्त, श्रीमती प्रियंका श्रीवास्तव सह संयोजिका महिला समन्वय, (कानपुर प्रान्त) के अलावा श्रीमती सरिता सिंह (विभाग संयोजिका), श्रीमती अमिता सिंह (जिला संयोजिका), ज्योत्सना सिंह (जिला संयोजिका, हमीरपुर), श्रीमती जया पुरवार (नगर संयोजिका), श्रृद्धा गुप्ता (सह संयोजिका) आदि उपस्थित रहीं।