अभी भी बरकरार है छुआछूत, दुकान में सामान लेने गई नाबालिग लड़की से छू जाने पर दबंग ने मारपीट कर कपड़े फाड़े

भले ही भारतीय संविधान के अनुच्छेद 17 में छुआछूत का उन्मूलन कर दिया गया हो, लेकिन यह बुराई अभी भी देश...

Jun 27, 2022 - 04:54
Jun 27, 2022 - 05:14
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अभी भी बरकरार है छुआछूत, दुकान में सामान लेने गई नाबालिग लड़की से छू जाने पर दबंग ने मारपीट कर कपड़े फाड़े

बांदा,

भले ही भारतीय संविधान के अनुच्छेद 17 में छुआछूत का उन्मूलन कर दिया गया हो, लेकिन यह बुराई अभी भी देश में कहीं न कहीं बरकरार है। ताजा मामला जनपद बांदा का है। जहां एक दुकान में सामान लेने गई है कि एक लड़की का हाथ एक दबंग युवक से छू गया। उत्तेजित दबंग ने इस अनुसूचित जाति लड़की को न सिर्फ बेरहमी से मारा पीटा, बल्कि उसके कपड़े भी फाड़ डाले। पुलिस में इस घटना की रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की। पीड़िता ने सोमवार को इस घटना की शिकायत पुलिस अधीक्षक से की है।

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यह सनसनीखेज मामला जिले के बिसंडा थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम अलिहा का है। 26 जून को इसी गांव में रहने वाले संतोष कुमार की 13 वर्षीय बेटी रागिनी किराने की दुकान में सामान लेने गई थी। जब वह राजा कुशवाहा की किराने की दुकान में सामान ले रही थी। तभी वहां इसी गांव का दुनिया भुलुआ पुत्र कमलेश कुशवाहा आया और सामान लेने लगा। जब दुकानदार ने सामान देने के बाद पैसा वापस किया।

पैसा उठाते समय अचानक लड़की का हाथ दबंग भुलुआ से स्पर्श हो गया। जिससे वह उत्तेजित हो उठा। उक्त दबंग ने नाबालिग लड़की को जमीन में पटक दिया और लात घूंसे से मारने लगा।  गुस्से में उसने लड़की के कपड़े फाड़ दिए और जातिसूचक गाली देते हुए कहा कि तुमने मुझे कैसे छू लिया। तुझे आज जान से मार दूंगा।

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पिटाई से भयभीत लड़की किसी तरह से जान बचाकर घर पहुंची और पूरी घटना की जानकारी अपने पिता व चाचा को दी। इसके बाद पिता व चाचा लड़की को लेकर पुलिस चौकी पहुंचे और आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए तहरीर दी। पुलिस ने आरोपी को पकड़कर कुछ घंटे हिरासत में रखने के बाद छोड़ दिया। दूसरे दिन पुलिस ने ही समझौता कराने के लिए दबाव बनाया। लेकिन पीड़िता और परिजन समझौता करने को राजी नहीं हुए। सोमवार को परिवार के लोग पीड़िता को लेकर पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचे और घटना की शिकायत कर दोषी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

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बतातें चलें कि अनुसूचित जाति-जन जाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 में अस्तित्व में लाया गया है। इसके तहत अनुसूचित जाति के किसी भी व्यक्ति को जातिसूचक शब्द कहना दंडनीय अपराध है। इसके अतिरिक्त अनुसूचित जाति के लोगों को सार्वजनिक नल या कुएं से पानी भरने से रोकना, किसी धार्मिक स्थल पर अनुसूचित जाति के लोगों के जाने पर पाबंदी लगाना और इस वर्ग से संबंधित लोगों की जमीन पर जबरन कब्जा करना या गंदगी फैलना इस अधिनियम के अंतर्गत आता है। ऐसी शिकायत आने पर पुलिस मामला दर्ज कर सकती है और इस मामले की जांच डीएसपी रेंक का अधिकारी कर सकता है।

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