स्वच्छ भारत अभियान में सैनिट्री पेड का अहम योगदान
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वच्छ भारत अभियान चला रहे हैं, ऐसे में माहवारी स्वच्छता की अनदेखी कैसे की जा सकती है। बुन्देलखण्ड में माहवारी स्वच्छता के लिए ग्रामीण क्षेत्र की किषोरी हो या महिलाएं सैनेटरी पैड का इस्तेमाल कम करती हैं। यही वजह है कि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं विभिन्न बीमारियों का शिकार हो जाती है। ग्रामीण महिलाएं सैनेटरी पैड इसलिए नहीं इस्तेमाल कर पाती क्योंकि बाजार में बिकने वाले पैड बहुत मंहगे होते हैं। गांव में आर्थिक स्थिति कमजोर होने से ग्रामीण महिलाएं चाहकर भी सैनेटरी पैड से वंचित रहती है।
बांदा के अतुल गुप्ता ने ग्रामीण महिलाओं के इस दर्द को समझा और ग्रामीण परिक्षेत्र में रहने वाली किशोरी और महिलाओं तक सैनेटरी पैड कैसे पहुंचे इस पर मंथन शुरू किया और उस दिशा में कदम भी बढ़ाना शुरू किया। एम.सी.ए. करने के बाद उन्होंने इसके बारे में जानकारी हासिल करने के लिए पुणे में काम किया और कुछ दिनों बाद लखनऊ में काम कर अनुभव प्राप्त किया और आज वह ग्रामीण महिलाओं तक सैनेटरी पैड पहुंचाने मे सफल हो चुके है।
वह बताते है कि बजाय किसी से किसी की तुलना करने के जहां हैं वहीं पर प्रयास करें, तुलना करके स्वयं को छोटा न समझें। वह बताते हैं कि महिलाओं को सैनेटरी पैड तक पहुंचाने के लिए जरूरी है उन्हें जागरूक करना। जब तक इस बारे में उनकी झिझक समाप्त नहीं होगी तब तक वह इस बारे में किसी से बात भी नहीं कर सकती थी। बुन्देलखण्ड जैसे अति पिछड़े क्षेत्र में जहां अशिक्षा और गरीबी दोनो है ऐसे में गरीब परिवारों तक पहुंचना और उन घरों की महिलाओं को इसके लिए प्रेरित करना आसान नहीं था लेकिन हम निराश नहीं हुए और अपनी नैपकिन को ग्रामीण इलाके में पहुंचाने में सफल हो गए।
वह बताते है कि यूनीसेफ द्वारा कराये गये सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक 87 प्रतिशत महिलाएं संक्रमण की जद में है इसकी वजह केवल 13 प्रतिशत महिलाओं का ही सुरक्षित नैपकिन का प्रयोग करना है जबकि किशोरियों में यही आंकड़ा 90 फीसदी तक पहुंच जाता है। जिस कारण महिलाएं बीमार होती है और कई बार यह बीमारी जानलेवा भी साबित होती है।
वह बताते हैं कि हम ग्रामीण महिलाओं को यह बताने में कामयाब रहे हैं कि नैपकिन के यूज न करने से वह घातक बीमारी का शिकार हो सकती हैं। इससे महिलाएं खासकर किशोरियां प्रभावित हुई जिन्हें हमने इस सैनेटरी पैड के जरिये रोजगार से भी जोड़ा।
श्री गुप्ता अपने द्वारा काम की शुरुआत करने और उस दौरान किये गये संघर्ष के बारे में बताते है कि पुणे में जब मै काम करने जाता था तब मुझे यह देखकर बड़ी पीड़ा होती थी कि जब हमारे लोगों को टार्चर किया जाता था। यह देखकर मैने ठान लिया था कि अपने लोगों को अपने गृह जनपद में काम दूंगा। काम के दौरान ही मुझे प्रख्यात समाजसेवी अन्ना हजारे से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और उनके गांव राणेसिद्धि जाने का मौका मिला। जहां का मैनेजमेंट देखकर मुझे कुछ अलग करने की प्रेरणा मिली। उस समय कोई आइडिया नहीं था लेकिन लखनऊ में एक सैनेटरी पैड की कम्पनी में काम किया वहां यूपी लेबल पर काम होता है। वहां मैने पूरे काम को समझा कि कैसे मैन्यूफैक्चरिंग होती है उसको करीब से देखा और फिर अपनी कम्पनी स्टार्ट की। मैने पहले भी सोचा था कि कोई बिजनेस करूंगा और फिर उसी राह पर चल निकला।
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इस काम के लिए बैंक से सपोर्ट नहीं मिला। कोई बैंक पैसा देने को तैयार नहीं हुआ। इसके लिए दोस्तों की मदद ली और बिजनेस का श्री गणेश किया। अब सप्लाई के लिए शासन से टाईअप किया है। पहले इम्पोर्ट करते हैं फिर मैन्युफैक्चरिंग करते हैं। इस बिजनेस के लिए मेन हब लखनऊ को बनाया है वहां से ट्रांसपोर्ट करते हैं। सरकारी संगठनों या एन.जी.ओ. से टाईअप करके गांव की महिलाओं को प्रशिक्षित करते हैं। प्रशिक्षित महिलाएं आसानी से सैनेटरी पैड सेल करती हैं। वह इसे सेल करके आसानी से 3-4 हजार रूपये कमा लेती हैं।
प्रशिक्षित महिलाएं स्कूलों में जाती हैं और गांवों में कैम्प लगाकर महिलाओं व किशोरियों को सैनेटरी पैड यूज करने के लिए जागरूक करती हैं। जागरूक होने के बाद वह स्वीकार करती हैं कि स्वस्थ्य रहने के लिए 25-30 रूपये कोई बहुत बड़ी राशि नहीं होती है।
श्री अतुल ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार देना चाहते हैं, वह कहते हैं कि चाइना में जब कोई युवा बैंक जाता है और कुछ बिजनेस करना चाहता है तो बैंक की ओर से उसे ट्रेनिंग दी जाती है और जब तक वह काम शुरू नहीं करता बैंक उसे गाइड करता है। अपने यहां भी ऐसा सपोर्टिंग सिस्टम होना चाहिए। देश में आइडिया और बिजनेस मैन की कमी नहीं है उन्हें सपोर्ट की जरूरत है। शुरुआत में मुझसे लोगों ने कहा दुकान खोल लो लेकिन मैं अपने लक्ष्य पर डटा रहा। वह कहते हैं कि सामने वाला क्या सोचता है इसमें कभी न पड़े । हमेशा घर परिवार को साथ लेकर आगे बढ़ते रहे ,सफलता निश्चित कदम चूमेगी।
अतुल कुमार गुप्ता