शहीद हुए एसटीएफ के जवानों की नहीं ली सुध 

आज ही के दिन दस्यु ठोकिया ने एसटीएफ के 6 जवानों हत्या कर दी थी...

शहीद हुए एसटीएफ के जवानों की नहीं ली सुध 

डकैत ददुआ गैंग का सफाया करने के बाद 22 जुलाई 2007 को देर रात दो वाहनों से लौट रहे एसटीएफ के जवानों पर डकैत अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया ने घात लगाकर हमला कर दिया था। इस हमले में एसटीएफ के जवान और एक ग्रामीण की मौत हो गई थी। घटनास्थल के पास ही शहीद एसटीएफ जवानों की याद में एक स्मारक का निर्माण कराया गया था, लेकिन आज एसटीएफ जवानों की शहादत पर पुलिसकर्मियों ने श्रद्धांजलि के रूप में दो फूल चढ़ाना भी मुनासिब नहीं समझा है।

22 जुलाई 2007 को पाठा के जंगल में कई डकैतों को मार गिराने के बाद देर रात दो वाहनों पर लौट रही एसटीएफ टीम पर फतेहगंज थाना क्षेत्र के बघोलन तिराहे पर पहले से घात लगाए बैठे दस्यु सरगना ठोकिया और उसके गिरोह ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी। आगे चल रहे वाहन के जवान तो बच निकले लेकिन पीछे चल रहा वाहन कीचड़ में फंसने से आगे नहीं बढ़ सका और उस पर सवार एसटीएफ के आधा दर्जन युवा जवानों को ठोकिया गिरोह ने गोलियों से भून डाला। शहीद होने वाले जवानों में जीप चालक ईश्वर देव सिंह समेत राजेश चैहान, बृजेश यादव, लक्ष्मण प्रसाद, गिरीशचंद्र नागर और उमाशंकर यादव शामिल थे।

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शहीदों की याद में पुलिस ने इसी स्थल पर स्मारक निर्माण कराया था। हालांकि इसके लिए चंदा ग्रामीणों ने जुटाया था। 29 अक्तूबर 2012 को तत्कालीन डीआईजी पीके श्रीवास्तव ने स्मारक का लोकार्पण किया। उस समय बांदा के पुलिस अधीक्षक पद पर मौजूदा डीआईजी ज्ञानेश्वर तिवारी थे। वह भी लोकार्पण समारोह में शरीक थे। लेकिन इसके ठीक 11 महीने बाद 21 सितंबर 2011 को दस्यु सरगना बलखड़िया ने दिनदहाड़े धावा बोलकर जेसीबी मशीन से स्मारक को तहस-नहस कर दिया था। क्षतिग्रस्त स्मारक को कई महीने तक पुलिस ने पुनर्निर्माण नहीं कराया था। बाद में मरम्मत कर रंग रोगन कर दिया गया था, लेकिन यह स्मारक उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। आज शहीद हुए पुलिसकर्मियों की स्मृति में पुलिस कर्मियों को स्मारक में पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहिए लेकिन जिस थाना क्षेत्र में यह स्मारक बना है उस थाना क्षेत्र की पुलिस ने भी स्मारक पर जाकर दो फूल भी चढाना मुनासिब नहीं समझती है।

इस संबंध में जब फतेहगंज थाना अध्यक्ष राधे बाबू से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि पुलिस 21 अक्टूबर को शहीद दिवस मनाती है इसलिए हम सिर्फ 21 अक्टूबर को ही शहीद हुए पुलिसकर्मियों की स्मृति में श्रद्धांजलि का कार्यक्रम करते हैं।बताते चलें कि 21 अक्टूबर 959 में चीनी सैनिकों के हमले में 10 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे जिनकी याद में पुलिस हर साल 21 अक्टूबर को स्मृति दिवस मनाती है। लेकिन आज के दिन शहीद हुए 6 पुलिस जवानों की शहादत स्थानीय पुलिस के लिए कोई मायने नहीं रखती है।

बुन्देली सेना ने दी श्रद्धांजलि, बिकरु गांव में बने शहीद स्थल

बुन्देली सेना के जिलाध्यक्ष अजीत सिंह ने दस्यु ठोकिया के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गए एसटीएफ जवानों को शहादत की श्रद्धांजलि दी और मांग की है कि 22 जुलाई को प्रतिवर्ष शहीद स्थल पर पुलिस के द्वारा श्रद्धांजलि का कार्यक्रम आयोजित किया जाय। शहीद स्थल को फूल-पौधे लगाकर सुंदर बनाया जाय।  इसके अलावा रास्ते में बघोलन और बाण गंगा के दिशासूचक लगवाए जाने का भी अनुरोध प्रशासन से किया गया है।  साथ ही कानपुर के बिकरु गांव में शहीद हुए पुलिस शहीदों की याद के लिए बिकरु गांव में ही शहीद स्थल बनवाये जाने की मांग सूबे के मुख्यमंत्री से की गई है।

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