पॉलीथिन के प्रयोग पर नहीं लग पा रही लगाम
पॉलीथिन का प्रयोग न सिर्फ मानव के लिए बल्कि मवेशियों के लिए भी कॉल बन गया है। इस पर सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाया गया है।इसके बावजूद इसका प्रयोग बंद नहीं हो पा रहा है। प्रशासन की अनदेखी से अभी भी बाजार में अंधाधुंध तरीके से पॉलीथिन का प्रयोग देखा जा सकता है...
पॉलीथिन के प्रयोग पर प्रदेश में प्रतिबंध लगा हुआ है लेकिन इस प्रतिबंध का बांदा में कहीं असर दिखाई नहीं दे रहा है। बाजार में दुकानदार हो या ग्राहक किसी को पॉलिथीन से परहेज नहीं है। दुकानदार खाद्य वस्तुएं पॉलिथीन के बैग में पैक करके देता है जिसे ग्राहक सहर्ष स्वीकार कर लेता है। इसकी रोकथाम के लिए शासन ने कई बार सख्ती बरतने के निर्देश दिए।इसके बाद शासन ने बाजार में एक-दो दिन कार्रवाई की और इसके बाद कुछ ही दिनों में यह मामला ठंडा पड़ जाता है।जिससे पॉलीथिन का प्रयोग पुनः होने लगता है।
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यह सिलसिला वर्षों से चला आ रहा है। जिससे पॉलीथिन का प्रयोग बंद नहीं हो पा रहा है। पॉलीथिन हो या प्लास्टिक यह न सिर्फ प्रदूषण फैलाता है बल्कि इससे वन जंतुओं या मानव के जीवन पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। जितना नुकसान पॉलीथिन कैरी बैग से होता है उससे कई ज्यादा नुकसान प्लास्टिक की वस्तुओं से होता है।जो कचरे में शामिल होकर भी कभी नष्ट नहीं हो पाता है। वहीं सड़क पर घूमने वाले आवारा मवेशी कचरे में पड़ी प्लास्टिक और पॉलिथीन खा जाते हैं जो उनके लिए प्राण घातक साबित होता है। इस दिशा में प्रशासन द्वारा सख्त कदम उठाए न उठाए जाने से पॉलीथिन का प्रयोग धड़ल्ले से जारी है।
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बताते चलें कि प्रदेश में 25 मई 2017 से पॉलीथिन कैरी बैग पर प्रतिबंध लागू है।पालिथीन का कैरी बैग उपयोग करते पाए जाने पर कड़ी सजा का प्रावधान भी है। किंतु प्रशासन द्वारा सख्ती से कार्रवाई न किए जाने से दुकानदार बेखौफ होकर पॉलीथिन का प्रयोग कर रहे हैं। यदि इस पर समय रहते रोक नहीं लग पाई तो इसके पर्यावरण को भयानक परिणाम झेलने पड़ सकते हैं ।इस पर ठोस कार्रवाई के विकल्पों पर सरकार को विचार करना चाहिए।