उप्र : कोरोना काल में जीवनदायिनी साबित हुई नेशनल मोबाइल मेडिकल यूनिट

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के निर्देश पर कोरोना के ​खिलाफ लड़ाई में गठित नेशनल मोबाइल मेडिकल यूनिट..

उप्र : कोरोना काल में जीवनदायिनी साबित हुई नेशनल मोबाइल मेडिकल यूनिट
उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय मोबाइल चिकित्सा इकाई

लखनऊ,

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के निर्देश पर कोरोना के ​खिलाफ लड़ाई में गठित नेशनल मोबाइल मेडिकल यूनिट (एनएमएमयू) जीवनदायिनी साबित हुई हैं। इस सचल अस्पताल ने लोगों को घर बैठे निशुल्क इलाज व जांच की सुविधा मुहैया कराई। शुक्रवार को सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि कोविड काल में 15 लाख से अधिक लोगों की सैंपलिंग और स्क्रीनिंग करने में भी यूनिट ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

53 जिलों में कार्य कर रहीं 170 एनएमएमयू के वाहन तैनात हैं। ये अत्याधुनिक जांच के उपकरणों से लैस हैं। इसमें एक वरीष्ठ चिकित्सक के साथ एक फार्मासिस्ट, एक लैब टेक्नीशियन और एक स्टॉफ नर्स हर समय मौजूद रहती हैं। यह वाहन गांव में एक निश्चित स्थान पर पहुंचता है। बीमार लोगों को इलाज और विभिन्न रोगों की जांच की सुविधा उन्हीं के गांव में देता है।  

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  • 39 लाख लोगों को मिला उपचार

उन्होंने बताया कि पिछले तीन महीनों में कुल छह लाख 92 हजार 562 लोगों (फरवरी माह में 2 लाख 32 हजार 710, मार्च में 2 लाख 40 हजार 397, अप्रैल में 2 लाख 19 हजार 455) लोगों को ओपीडी के माध्यम से इलाज दिया गया है।

उन्होंने बताया कि एनएमएमयू ने फरवरी, 2021 तक 39 लाख 76 हजार 649 से अधिक लोगों को प्राथमिक उपचार उपलब्ध कराया। वहीं, 427298 लोगों की चिकित्सकीय जांच इसके माध्यम से की गई। 

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  • यूनिट में ये हैं सुविधाएं

उन्होंने बताया कि इस नेशनल मोबाइल मेडिकल यूनिट की वैन में कई उच्चस्तरीय व आधुनिक उपकरण मौजूद हैं जो इसे और भी खास बना देते हैं। इनमे नेब्यूलॉईजर, इलेक्ट्रिक नीडिलडिस्ट्रायर, ईसीजी मशीन, एम्बू बैग, सेमी आटोमेटिक बायोकेमेस्ट्री एनेलाईजर, आटोस्कोप, टोनोमीटर, ग्लूकोमीटर, स्टेलाइजर, व्यू बॉक्स, ड्रेसिंग ड्रम, आपथेल्मोस्कोप, सेंट्रीफ्यूज मशीन, लेरिंजोस्कोप, माइक्रो टाइपिंगसेंट्रीफ्यूज, हीमोग्लोबिन मीटर आदि प्रमुख हैं।

उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय मोबाइल चिकित्सा इकाई

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  • रोगियों का फॉलोअप लेने 15 दिन बाद वापस पहुंचती है यूनिट

प्रवक्ता ने बताया कि नेशनल मोबाइल मेडिकल 15 दिनों यूनिट रोगियों का फॉलोअप लेने भी पहुंचती है। इस दौरान गंभीर रोगियों को बड़े अस्पतालों में इलाज के लिये रेफर करने का काम भी किया जाता है।

कोरोना काल में इनके माध्यम से गांव में स्क्रीनिंग का कार्य किया गया, एंटीजन के माध्यम से कोरोना की जांच में भी यह सहायक बनी हैं। बता दें कि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने से प्रदेश के लोगों को घर बैठे निशुल्क इलाज की सुविधा देने के लिये 18 फरवरी, 2019 को इस योजना का शुभारंभ इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में किया था।

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हि.स

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