स्वास्थ सेवाओं को लेकर चल रहे अनशन को विपक्षी दलों का मिल रहा समर्थन, सत्त्ता पक्ष बेपरवाह
जिले की स्वास्थ्य सेवाओं से सम्बंधित चार सूत्रीय मांगों को लेकर युवा संगठन सत्यमेव जयते युवा सोच के कार्यकर्ता द्वारा शहर के..
- प्रशासनिक दबाब से आंदोलन को बेअसर करने की कोशिश
जिले की स्वास्थ्य सेवाओं से सम्बंधित चार सूत्रीय मांगों को लेकर युवा संगठन सत्यमेव जयते युवा सोच के कार्यकर्ता द्वारा शहर के आल्हा चौक पर विगत 20 दिनों से जारी अनशन स्थल पर गुरुवार को कांग्रेस महिला जिलाध्यक्ष मामा भारती और उनके साथ आई तमाम महिला कार्यकर्ताओं ने अनशन में शामिल होकर समर्थन दिया और स्वास्थ्य सेवाओं को आम लोगों से जुड़ा मुद्दा बताया।
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मुख्यालय में मेडिकल कालेज, ट्रामा सेंटर का शिलान्यास, वर्षों से रिक्त पड़े डाक्टरों के पदों को भरना और अल्ट्रासाउंड प्रतिदिन कराने की मांग को लेकर सत्यमेव जयते युवा सोच संगठन अध्यक्ष विकास यादव के नेतृत्व में गनेश गुप्ता, जीतेंद्र चौरसिया, प्रदीप साहू, अमित सोनी, हिरदेश, संजय शुक्ला आदि अनशन कर रहे हैं। गुरुवार को कांग्रेस महिला जिलाध्यक्ष दर्जनों कार्यकर्ताओं के साथ अनशन स्थल पहुंची और नारेबाजी की। महिलाओं ने कार्यकर्ताओं को राखी बांधकर अपना समर्थन जताया, मामा भारती ने कहा कि प्रशासन युवाओं की हिम्मत तोड़ रहा है।
जबकि कार्यकर्ता शांतिपूर्ण ढंग से अनशन कर रहे हैं। आरोप है कि जिला अस्पताल से मरीज को तत्काल रेफर कर दिया जाता है। यदि कोई गरीब है तो वह कैसे उपचार कराएगा। यहां पर मरीज रोता है और डाक्टर सोता है,यह गरीब मरीजों के साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। कहा कि यदि जल्द ही मांग पूरी नहीं हुई तो आंदोलन को बृहद रूप दिया जाएगा। समूचे शहर में मार्च निकाल कर प्रर्दशन किया जाएगा। अनशन में गिरजा, सुल्ताना, मुलिया, सुमन, सुनीता, अफसाना, शिवदेवी आदि महिलाएं शामिल रहीं।
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समाज के विभिन्न वर्गों सामाजिक संगठनों , विपक्षी राजनैतिक दलों के समर्थन के बावजूद भी सात्तरूढ़ दल के नेता, जनप्रतिनिधियों की अनुपस्थिति शहर में चर्चा का विषय बनी हुई है। एवं जिला प्रशासन बेपरवाह हो कुंभकर्णी नींद में डूबा हुआ है। जनहित के मुद्दों पर प्रशासन व सत्ता पक्ष की बेरूखी आने वाले समय में मंहगी साबित हो सकती है।
आरोप है कि बीते दिनों भाजपा की जन विश्वास यात्रा के दौरान जब आंदोलनरत युवाओं ने राज्य स्तरीय मंत्रियों के आने पर उन्हें ज्ञापन देने की कोशिश की तो प्रशासनिक दबाव में उन्हें एक जगह यहीं पर बंद कर दिया गया एवं पुलिस के दबाव में आंदोलन से उठाने की कोशिश मुकदमों की धमकी कैरियर बर्बाद करने की धमकियां भी दी गई।क्या इस तरीके से आंदोलन रुक जाते हैं या फिर एक सोची समझी रणनीति के तहत इस आंदोलन को बेअसर करने का प्रयास किया जा रहा है। कहीं ऐसा ना हो की शहर में उदासीन लचर रवैया के चलते चुनाव में जनता का भयंकर रूप देखने को मिले जो सत्ता पक्ष को घाटे का सौदा साबित हो।
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