रामा की मेहनत से दो कुपोषित मासूम हुईं सुपोषित

घर पर ही कुपोषित बच्चों का स्वास्थ्य सुधारने की मुहिम को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रामा देवी पंख दे रही हैं...

Sep 14, 2020 - 19:53
Sep 14, 2020 - 20:01
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रामा की मेहनत से दो कुपोषित मासूम हुईं सुपोषित

सिर्फ पुष्टाहार बनाना ही नहीं बल्कि एक मां की तरह अपने हाथों से पोषण का निवाला भी खिला रहीं हैं। इसी का नतीजा है कि कुपोषण की वजह से चलने में असमर्थ ढाई वर्षीय रजिया अब अपने नन्हे पैरों से घर के आंगन में खेल रही है। इसी तरह तीन वर्षीय वफातन कुपोषित से सामान्य श्रेणी में आ गई है।

कबरई ब्लाक से लगभग 25 किलोमीटर दूर और मध्य प्रदेश की सीमा से सटे चुरबरा गांव में रामा देवी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता  के रूप में तैनात हैं। कोरोना संक्रमण की वजह से बच्चों को मिलने वाले पुष्टाहार में रुकावट आ गई। इसी बीच गांव की गरीब महिला हसीना की ढाई वर्षीय पुत्री रजिया और सफीना की तीन वर्षीय बेटी वफातन अच्छा खानपान न मिल पाने की वजह से कुपोषण का शिकार हो गईं। कमजोरी की वजह से रजिया पैरों पर खड़ी नहीं हो पा रही थी। कोरोना काल में भी रामा ने अपने घर में पौष्टिक भोजन बनाकर दिया। समय-समय पर बच्चों का हाल चाल भी लिया। इसका नतीजा है कि अब दोनों बच्चियां स्वस्थ होकर सामान्य श्रेणी में आ गई हैं।

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रामा का कहना है कि उसके केंद्र ही नहीं बल्कि गांव के सभी बच्चों को अपने बच्चों की तरह ही प्यार करती है। मौजूदा समय में वह न सिर्फ घर-घर जाकर लोगों को कुपोषण और कोरोना संक्रमण के बारे में बता रही हैं बल्कि अपने घर में पौष्टिक भोजन बनाकर बच्चों तक पहुंचा रही हैं। जिला कार्यक्रम अधिकारी सुरेंद्र कुमार त्रिपाठी ने कहा कि रामा देवी अपनी ड्यूटी पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ निभा रही हैं। अन्य आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को इससे प्रेरणा लेकर अपने कामों में और गुणवत्ता लाना चाहिए। स्वस्थ  भारत प्रेरक सुशील कुमार ने कुपोषण दूर करने के लिए रामा देवी द्वारा किए जा रहे प्रयास की सराहना  की।

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कीचड़युक्त मार्गों से गुजरकर पहुंचाया पुष्टाहार 
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रामा देवी ने बताया कि महिला बाल विकास एवं पुष्टाहार परियोजना की शुरूआत  स (फरवरी 1991) से वह चुरबरा गांव में इस पद पर तैनात है। लगभग 29 सालों से गांव में सेवा दे रही है। वह  बताती हैं कि शुरूआत में गांव में मार्ग कच्चे थे। बरसात के दिनों में कीचड़युक्त रास्तों से पैदल चलकर लोगों तक पुष्टाहार भी पहुंचाया है।

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पर्याप्त पोषक तत्व न मिलने से होता है कुपोषण 
बाल रोग विशेषज्ञ डा. आरपी मिश्रा का कहना है कि भूख और कुपोषण एक समान नहीं है। हालांकि दोनों का संबंध हो सकता है। भूख तब लगती है जब पेट खाली होता है। जबकि कुपोषण पर्याप्त पोषक तत्वों की कमी के कारण होता है। महिलाओं को गर्भधारण के सयम पौष्टिक आहार न मिल पाने से शिशु कुपोषित हो जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में बच्चों को फल, हरी सब्जियां आदि नियमित नहीं मिल पातीं। गर्भवती महिलाओं को संतुलित आहार और बच्चों को अंकुरित चना, दूध, दही, फल, सब्जियां, सूखे मेवे, अंडा आदि आहार में शामिल होना चाहिए।

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