रामलीला कमेटी द्वारा बाजार में अवैध पार्किंग बनाकर लाखों की राजस्व चोरी, आरटीआई से हुआ खुलासा
बांदा शहर के मध्य बाजार में स्थित श्री रामलीला प्रागी तालाब कमेटी द्वारा रामलीला परिसर में ही अवैध रूप से पार्किंग..
@ सचिन चतुर्वेदी, प्रधान सम्पादक
बांदा शहर के मध्य बाजार में स्थित श्री रामलीला प्रागी तालाब कमेटी द्वारा रामलीला परिसर में ही अवैध रूप से पार्किंग बनाकर हर माह लाखों रुपए की अवैध कमाई की जा रही है और बिना परमिशन के चल रही पार्किंग से लाखों रुपए की राजस्व चोरी भी की जा रही है। इस बात का सनसनीखेज खुलासा एक आरटीआई में हुआ है।
यूं तो बांदा शहर में श्रीरामलीला प्रागी तालाब कमेटी द्वारा चलाये जा रहे भ्रष्टाचार का मुद्दा आमजनमानस में काफी समय से चर्चा में है। उस पर भी बजाये अपनी गलती सुधारने के रामलीला कमेटी के पदाधिकारी तमाम नियमों को ताक पर रखकर लगातार भ्रष्टाचार को जारी रखे हुए हैं।
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क्योंकि इन भ्रष्टाचारों से इस कमेटी को लाखों रुपये महीने की कमाई जो होती है। पर इधर भ्रष्टाचार उन्मूलन मोर्चा के महासचिव प्रशांत समुद्रे ने जब नगर पालिका परिषद बांदा से रामलीला मैदान में चल रही पार्किंग के बावत जनसूचना मांगी तो नगर पालिका परिषद बांदा द्वारा भेजी गयी जनसूचना का जवाब चैंकाने वाला था।
इस सूचना के मुताबिक पता चला कि रामलीला कमेटी द्वारा रामलीला मैदान में चल रहे पार्किंग के लिए नगर पालिका परिषद से किसी तरह की अनुमति प्राप्त नहीं की गई है। बिना अनुमति के चलाए जा रहे पार्किंग स्थल से हर माह जहां लाखों की कमाई हो रही है।
वहीं लाखों रुपये के राजस्व शुल्क की भी चोरी की जा रही है। और ये सब सरेआम हो रहा है। लोगों को जानकारी है पर बोलने को ज्यादा लोग तैयार नहीं होते। कुछ हैं जो आगे बढ़कर बोलना चाहते हैं तो रामलीला कमेटी के पदाधिकारी उन्हें धमकाने पहुंच जाते हैं।
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शहर के मुख्य बाजार में स्थित इस रामलीला मैदान के आस-पड़ोस में रहने वाले लोग बताते हैं कि इस पार्किंग स्थल पर लगभग 150 चार पहिया वाहन रात में खड़े होते हैं, जिनसे माहवार लगभग प्रति वाहन 1000 से 1500 रुपये वसूल किया जाता है। जबकि दिन भर आने वाले वाहनों से 30 रुपये से लेकर 50 और 100 रुपये तक का शुल्क वसूल किया जाता है।
इस तरह हर माह लगभग 4-6 लाख रुपए वसूल किए जाते हैं। चूंकि मुख्य बाजार में पार्किंग एक बड़ी समस्या है, लिहाजा हर कोई यहां पर सुरक्षित अपना वाहन खड़ा करना चाहता है। और लोगों की इसी मजबूरी का फायदा उठाते हुए रामलीला कमेटी ने पार्किंग शुल्क के रुप में कमाई करने का नया जरिया निकाल लिया। आपको बता दें कि विगत कई सालों से लगातार रामलीला कमेटी पार्किंग शुल्क वसूल कर रही है।
इस लिहाज से देखा जाये तो कई करोड़ रुपयों का वारा-न्यारा कर चुकी रामलीला कमेटी को अब शासन व प्रशासन का भी लेशमात्र डर नहीं रह गया है। और इसी कारण रामलीला कमेटी के पदाधिकारी अपनी धौंस में न तो पार्किंग की परमीशन लेना मुनासिब समझते हैं और न ही राजस्व शुल्क देना।
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लोगों ने तो यहां तक बताया कि शाम ढलते ही यहां अराजक तत्वों का जमावड़ा हो जाता है। रात के अंधेरे में भगवान के नाम पर व्यवसाय करने वाले यहां शराब और शबाब दोनों की छूट दे देते हैं, जिससे यहां वाहनों के अन्दर या कोनों में महफिलें गुलजार हो जाती हैं। ये वाकई एक जुर्म है, क्योंकि जुर्म तब और ज्यादा खतरनाक व अक्षम्य हो जाता है जब उसके लिए किसी की धार्मिक भावनाओं की अनदेखी की जाती है।
ऐसा नहीं है कि शहर के मध्य में चल रहे इस पार्किंग स्थल के बारे में प्रशासन को जानकारी नहीं है। लेकिन प्रशासन द्वारा किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जा रही है। वही नियमानुसार पार्किंग स्थल का पंजीकरण नगर पालिका में होना चाहिए, लेकिन नगर पालिका को भी इसकी जानकारी नहीं दी गई और न ही नगरपालिका ने पार्किंग के खिलाफ अभी तक किसी तरह का कोई एक्शन लिया।
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प्रशासन को चाहिए कि इस पार्किंग स्थल की जांच कराएं और पता लगाए कि बिना अनुमति के इस पार्किंग स्थल को कौन चला रहा है और बिना परमिशन के इसे कैसे चलाया जा रहा है। बिना अनुमति के पार्किंग चलाये जाने के आरोप में रामलीला कमेटी के पदाधिकारियों के विरूद्व ठोस कानूनी कार्यवाही भी होनी चाहिये। ताकि कानून का डर ऐसे भ्रष्टाचारियों के ऊपर बना रहे और कोई भी अपराध व भ्रष्टाचार करने से पहले कई बार सोचें।
इसके साथ ही यदि प्रशासन इस रामलीला मैदान को अपनी सुपुर्दगी में लेकर यहां एक मल्टीलेवल पार्किंग का निर्माण करता है, तो यहां के मुख्य बाजार की प्रमुख समस्या जाम व पार्किंग से निजात मिल सकेगी।
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