राम की जमीन को खा गये रावण ?

रामलीला मैदान में हाईकोर्ट के आदेशों का खुला उल्लंघन, आखिर ये किसकी शह से हो रहा है? क्या शासन और प्रशासन के लोग भी भगवान राम के नाम पर इस समिति को मिली जमीन को खाते हुए देख रहे हैं और वो केवल मूकदर्शक बने हैं या उन्हें भी इस बंदरबांट में मलाई छानने को मिल रही है?

Feb 13, 2021 - 13:14
Feb 13, 2021 - 14:59
 0  2
राम की जमीन को खा गये रावण ?

@ सचिन चतुर्वेदी, प्रधान सम्पादक

|| बाँदा ||

काली करतूत ज्यादा समय छिपती नहीं है, और फिर जब यह आस्था और विश्वास के नाम पर की गई हो तो इसका परिणाम भी घातक ही होता है। आज इस शीर्षक के माध्यम से हम उस मुद्दे को उठा रहे हैं जो करोड़ों-अरबों रूपये की जमीन के कब्जे से जुड़ा है। हालांकि ये मुद्दा हमने बुन्देलखण्ड कनेक्ट के जून 2019 अंक में उठाया था, तब तक इस जमीन पर बने मंडप के ऊपर नया निर्माण कार्य नहीं हुआ था, परन्तु आज फरवरी 2021 यानि कि लगभग पौने दो साल बाद स्थिति यह है कि तमाम विरोधों को दरकिनार करते हुए इस समिति में शामिल भूमाफियाओं ने मंडप के ऊपर हाईकोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हुए नया निर्माण कार्य करा लिया है।

यह भी पढ़ें - रेलवे ने प्रयागराज से खजुराहो के बीच चलने वाली ट्रेन का फेरा बढ़ाया

सवाल ये है कि आखिर ये किसकी शह से हो रहा है? क्या शासन और प्रशासन के लोग भी भगवान राम के नाम पर इस समिति को मिली जमीन को खाते हुए देख रहे हैं और वो केवल मूकदर्शक बने हैं या उन्हें भी इस बंदरबांट में मलाई छानने को मिल रही है?

आईये आपको बताते हैं कि आखिर मामला है क्या?

देश की आजादी के पहले सन् 1925 में श्री रामलीला प्रागी तालाब समिति का रजिस्ट्रेशन कराया गया। कारण था कि अधिकांश हिन्दू जनता के लिए भगवान राम उनके आराध्य थे और उनकी लीला का मंचन यहां यदा-कदा होता रहे इस हेतु तत्कालीन गणमान्य नागरिकों द्वारा यह समिति बनायी गई थी। पर आज यह समिति ही विवादित है और इसके कृत्यों ने बाँदा की उस गंगा-जमुनी तहजीब को ही शर्मसार कर दिया है, जिसके लिए बाँदा का नाम आज भी फख्र से लिया जाता है।

यह भी पढ़ें - बॉलीवुड एक्ट्रेस दीया मिर्ज़ा करने जा रही है इस बिज़नेसमैंन के साथ दूसरी शादी?

भगवान राम के नाम पर जिस जमीन को बाँदा के प्रतिष्ठित जमींदार जमां साहब ने यहां की अधिकांश हिन्दू जनता को सौंप दिया हो, अपनी कीमती जमीन उन्होंने दान दे दी हो और अगर उसी दान की जमीन को कुछ धन लोभी धीरे-धीरे बेंच के खा जायें तो इससे ज्यादा लज्जा की बात और क्या होगी? आज यह जमीन और इस पर चल रही दो समितियां विवाद का केन्द्र बनी हुई हैं। 

ramleela maidan banda | banda news

बाँदा शहर के बीचोंबीच मुख्य बाजार में श्री रामलीला प्रागी तालाब समिति के नाम सन् 1942 तक कुल 9 बिस्वा 13 बिस्वांसी जमीन थी। तत्कालीन अध्यक्ष पं. मन्नूलाल अवस्थी के अनुरोध पर शहर के प्रतिष्ठित जमींदार जमां साहब ने रामलीला के लिए तकरीबन 6 बीघा जमीन दान में दी। बाद में 8 जून 1979 को नजूल भूखण्ड सं. 2124, जिसका क्षेत्रफल 67916.66 वर्ग फिट था, का पट्टा श्री रामलीला समिति, प्रागी तालाब, बाँदा के नाम पर 8750रु. के प्रीमियम और 291.67रु. के वार्षिक किराये पर पहले 30 वर्ष के लिए कर दिया गया। इसमें दो बार प्रत्येक 30 वर्ष बाद नवीनीकरण और किराया वृद्धि भी तय हुई थी।

यह भी पढ़ें - Valentine Day पर रिलीज होगा प्रभास और पूजा की फिल्म राधे श्याम का टीजर

बाकायदा नजूल की जमीन का पट्टा श्री रामलीला प्रागी तालाब समिति के नाम नियम व शर्तों के आधार पर किया गया था। पर आरोप है कि समिति ने पट्टे की शर्तों का उल्लंघन करते हुए भाई-भतीजावाद करते हुए अपने सगे सम्बन्धियों को इस जमीन पर न सिर्फ काबिज कराया बल्कि धीरे-धीरे अपना क्षेत्रफल संकुचित किया और बाउन्ड्री खड़ी कर कब्जेधारकों को वैध कराने का एक कारण उपलब्ध कराया।

सन् 1984 में तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा हाईकोर्ट के आदेश को उद्धृत करते हुए जो आदेश दिया गया था, उसके अनुसार श्री रामलीला समिति अपने नियमों में हिन्दू धर्म के उत्थान को नहीं बल्कि मर्यादा पुरूषोत्तम रामचन्द्र जी के कार्यकलापों को आदर्श मानने का संशोधन करे तथा जिलाधिकारी एवं सूचनाधिकारी को शासी निकाय के सदस्य के रूप में शामिल करे। इसके अलावा यह भी निर्देश दिये गये कि इस भूमि पर बाउन्ड्री वाॅल के अतिरिक्त किसी भी प्रकार का निर्माण न किया जाये और न ही इस भूमि का व्यावसायिक प्रयोग किया जा सकता है। इस आदेश में यह भी हिदायत दी थी कि इस भूमि पर सिर्फ और सिर्फ रामलीला ही होगी। फिर भी किसी सांस्कृतिक या सामाजिक कार्यक्रम को यदि करना पड़े तो उसके लिए जिलाधिकारी की अनुमति जरूरी है। साथ ही इस भूमि को किसी अन्य व्यक्ति को स्थायी अथवा अस्थायी रूप से किराये पर हस्तांतरित नहीं किया जा सकता। भूमि के किनारों को ग्रीन बेल्ट के रूप में विकसित किया जाये।

इसी प्रकार 15 अक्टूबर 2001 को चित्रकूट धाम मण्डल के तत्कालीन आयुक्त एस.सी. सक्सेना ने उत्तर प्रदेश शासन के नजूल अनुभाग के सचिव को पत्र लिखकर श्री रामलीला कमेटी द्वारा शहर के मुख्य बाजार में स्थित करोड़ों की जमीन को पैसा लेकर अवैध कब्जा दिलाये जाने की पुष्टि की गई थी उन्होंने पाया कि भूखण्ड संख्या 2124 पर 19 व्यक्तियों द्वारा कुल 1188.8 वर्गमीटर जमीन (12796 वर्ग फिट) पर कब्जा कर लिया गया है।

मतलब साफ है कि तमाम रिपोर्ट्स में श्री रामलीला कमेटी को शहर के मुख्य बाजार में स्थित बेशकीमती जमीन को कब्जा कराने का आरोप लगा है। आसपास के लोग भी बताते हैं कि श्री रामलीला कमेटी पारिवारिक सम्पत्ति बन चुकी है। और इनकी मंशा इस बेशकीमती जमीन को पूरा कब्जाने की है।

यह भी पढ़ें - धर्मनगरी चित्रकूट में इसी वर्ष 70 सीटर क्षमता वाले विमान भरेंगे उडान

वर्तमान में श्री रामलीला कमेटी पदाधिकारी यहां व्यवयायिक गतिविधियां संचालित कर रहे हैं। यहां बाउंड्री के अन्दर बाकायदा पार्किंग बनाई गई है। जो वाहन यहां खड़े होते हैं, उनसे पार्किंग शुल्क वसूला जाता है। कुछ वाहन तो मासिक शुल्क पर यहां अपने वाहनों को पार्क करते हैं। यहां सालभर में तमाम कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। जिनका रामलीला मंचन से कोई सम्बन्ध नहीं होता और यह समिति के नियमों का उल्लंघन भी है। पर फिर भी चन्द पैसों की चाह में कमेटी के मुख्य पदाधिकारी भगवान श्रीराम के नाम पर मिली जमीन को बेंचने पर आमादा हैं। आसपास के दुकानदारों की मानें तो कमेटी यहां मैरिज हाउस बनाने की फिराक में है। 

इस कमेटी की और भी कारगुजारियां हैं जिन्हें हम सिलसिलेवार ढंग से प्रकाशित करेंगे, ताकि भगवान के नाम पर हो रहे कब्जे को आम जनमानस के सामने लाया जा सके। और लोग स्वयं ही फैसला करेंगे कि क्या सही है और क्या गलत?

khelo aor jeeto | bundelkhand news quiz | lucky draw contest

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0
admin As a passionate news reporter, I am fueled by an insatiable curiosity and an unwavering commitment to truth. With a keen eye for detail and a relentless pursuit of stories, I strive to deliver timely and accurate information that empowers and engages readers.