पूरे विश्व में एक ऐसा मंदिर जहां महाकाली कृष्ण स्वरूप में पूजी जाती है, लगाया जाता तुलसीदल भोग

मथुरा योगीराज श्रीकृष्ण की नगरी के नाम से पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं, जहां भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर युग..

पूरे विश्व में एक ऐसा मंदिर जहां महाकाली कृष्ण स्वरूप में पूजी जाती है, लगाया जाता तुलसीदल भोग

नए-नए चमत्कार दिखा रही है रोजाना रंगेश्वर महादेव की आद्धिशक्ति मां रगेश्वरी महाकाली   

मथुरा योगीराज श्रीकृष्ण की नगरी के नाम से पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं, जहां भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में जन्म लिया था और बालकृष्ण और बलदाऊ ने कंस का वध किया था और वहां रंग रंग कहकर जमीन फाड़कर प्रकट हुए रंगेश्वर महादेव ने दोनों भाईयों का विवाद समाप्त किया था। 

उन्हीं की आद्धिशक्ति मां रंगेश्वरी महाकाली आज भी रोजाना ऐसे ऐसे चमत्कार दिखा रही है, उनके दरबार में एक दीपक जलाकर भक्त अपनी सभी मनोकामना पूर्ण करवा लेते है।

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विदेशों से भी मनौती पूरी होने के बाद यहां पोशाक चढ़ाने आते हैं श्रद्धालु   

यह बात हम नहीं वहां आने वाले देशी-विदेशी श्रद्धालु कहते है। यह विश्व में एक ऐसा मंदिर है जहां दुर्गा काली मां श्रीकृष्ण के स्वरूप में पूजी जाती है, यहां रंगेश्वरी महाकाली पर तुलसी की माला पहनाई जाती है और तुलसीदल का भोग लगाया जाता है।

उन्हीं का स्थापना महोत्सव माघ शुक्ल पक्ष में गुप्त नवरात्र के द्वितीय तिथि को श्री मां रंगेश्वरी महाकाली देवी भक्त मंडल पिछले 26 वर्षों से मनाता चला आ रहा है। समाजसेवी माईदास अशोक कुमार गुप्ता और कन्हैयालाल अग्रवाल ने बताया कि यह उत्सव पिछले 26 वर्षों से लगातार यहां मनाया जा रहा है। 

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रंगेश्वर काली मूर्ति का इतिहास- महादेव की मूर्ति लेने गए जयपुर, भूलवश महाकाली में हुई तब्दील मूर्ति   

आज से 26 वर्ष पूर्व समाजसेवी अशोक कुमार गुप्ता माईदास तथा उनके बड़े भाई कैलाश चंद गुप्ता और कन्हैयालाल अग्रवाल ने बकायेदार से रूपयो मांगे न देने पर महादेव मंदिर में रखने की बात कही थी,

जब बकायेदार ने रूपये मंदिर में रख दिए तो डूबे हुई रकम पाने के बाद उन्होंने निर्णय लिया रंगेश्वर महादेव मंदिर की अमानत है, यहां महादेव जी की मूर्ति लाकर स्थापित की जाए।

जब जयपुर से महादेव की मूर्ति लाई गई थी जो भूलवश काली की प्रतिमा में तब्दील हो गई थी, जिसे समाजसेवी कैलाश चंद गुप्ता और अशोक कुमार गुप्ता माईदास ने अपने घर पर रख लिया था, मूर्ति घर पर रखने के बाद अशोक कुमार गुप्ता को वह मूर्ति चमत्कार दिखाने लगी, जो वह कहते वह सत्य होने लगा।

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श्री मां रंगेश्वरी महाकाली देवी भक्त मंडल  13 फरवरी को मनाने जा रहा है  26वां प्राकट्योत्सव  

घर परिवार वाले उन्हें पागल कहने लगे। उसी समय समाजसेवी अशोक के भतीजे राजू के मकान में आग लग गई और पूरा घर जलकर राख हो गया जिसमें से रंगेश्वरी काली मां ने उसे बचाया।

उसी समय रंगेश्वर महादेव मंदिर में कार्यरत सेवायत पुजारी को स्वप्न आया कि मुझे रंगेश्वर महादेव के पास ही स्थापित कराया जाएं।

रंगेश्वर महाकाली की प्रतिमा का रंगेश्वर महादेव मंदिर में गोपालदास कैलाश चन्द फर्म, कन्हैयालाल अशोक कुमार ने माघ शुक्ला द्वितीया संवत 2051 दिनांक 01 फरवरी1995 में स्थापित करवाया गया, उसी दिन से यहां रोजाना चार पहर रंगेश्वरी महाकाली का श्रृंगार तथा आरती होती है और इस आरती में सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते है। 

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मान्यता बड़ी और श्रद्धालुओं की इच्छाओं की पूर्ति होने लगी। समाजसेवी माईदास अशोक कुमार गुप्ता बड़े ही भक्तिपूर्वक रविवार के दिन अपने हाथों से रंगेश्वर महाकाली देवी का श्रृंगार करते है, भजन संकीर्तन होता है, जिसमें माता की भेंटें गाई जाती है। 

अमृत सुख बरसाती है रंगेश्वर वाली काली, जिसका वचन न जाए खाली, दो साल पूर्व राम मंदिर निर्माण की थी घोषणा समाजसेवी अशोक कुमार गुप्ता ने बताया कि आज से दो साल पूर्व शारदीय नवरात्रि की नौवें नवरात्र पर आयोजित जागरण में ममतामयी रंगेश्वर महाकाली ने श्रद्धालुओं से भरे दरवार में घोषणा की थी कि अयोध्या का राम मंदिर बनेगा, कोर्ट का आदेश राम भक्तों के पक्ष में होगा, निर्विरोध बनेगा राममंदिर।

ऐसी घोषणा जब उन्होंने की थी तो किसी को विश्वास नहीं हुआ था लेकिन एक मीडियाकर्मी ने इसकी कवरेज की थी। आज वर्तमान में पूरा विश्व देख रहा है कि भाजपा के कार्यकाल में राममंदिर निर्माण हो रहा है, जो रंगेश्वर महाकाली ने वचन दिया था। अमृत सुख बरसाती है रंगेश्वर वाली, जिसका वचन न जा खाली, कोई कहता मां तो कोई कह काली, हजार रूप दिखाई देते वो है रंगेश्वर वाली महाकाली 

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रंगेश्वर महादेव ने संतुष्ट किया था कृष्ण और बलराम को, इसलिए आद्याशक्ति मां को कृष्ण काली रूप अति प्रिय  

सर्वशक्ति स्वरूपिणी मां जगदम्बा के प्राकट्य के पीछे करूणामयी एवं ममतामयी होना है। अपने दरवार में आशीर्वाद से दयामयी मां सभी भक्तों के कष्टों का निवारण करती है, तुलसीदल, माखन का भोग, आद्याशक्ति मां को कृष्ण काली के रूप अति प्रिय है।

जगत तारिणी मां के चरणों में शिवलिंग की अद्भुत छटा के दर्शन से क्लेशों एवं चिंता दूर हो जाती है। उनके त्रिपुंड पर दीपक अपनी अखंडता से प्रकाश अलौकिक एवं अनोखी छटा बिखेरता है। 

ऐसा प्रतीत होता है कि त्रिपुंड गणियों से जड़ित हो, तुलसीदल द्वारा माताजी को मिठाई एवं खाने का भोग लगता है, मां कृष्ण रूप रंगेश्वरी देवी जी को तुलसीजी से अधिक प्यार है। उन्होंने एक बार सवारी आने पर स्पष्ट किया कि मेरे पति ने ही कृष्ण बलराम को कंस मारने के पश्चात संतुष्ट किया था।

उन्होंने जमीन से प्रकट होकर कहा था कि हे कृष्ण तुमने छल से तो बलराम ने बल से कंस को मारा है। जिसे सुनकर दोनों भाई संतुष्ट हुए थे। इसी लिए मेरे पति रंगेश्वर महादेव और रंगेश्वरी महाकाली कृष्ण स्वरूप में यहां स्थापित है।

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मनौती पूरी होने पर श्रद्धालु लगाते हैं पोशाक चढ़ाने के लिए एक साल पूर्व से नम्बर   

समाजसेवी माईदास अशोक कुमार गुप्ता ने बताया कि सुख का अमृत बरसाती है रंगेश्वरी महाकाली,

जिसका वचन नहीं जाता कभी खाली। इसी मान्यता को लेकर जिसकी मनौती पूरी हो जाती है वह उनको पोशाक श्रृंगार आदि 

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