महोबा के गोरखगिरि में औषधीय पौधों से परिचित कराने को बनेगी संजीवनी वाटिका
गुरू गोरखनाथ की तपोभूमि गोरखगिरि में मौजूद जड़ी-बूटियों के अकूत भंडार का सर्वेक्षण करने आज लखनऊ के राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान..
जड़ी बूटियों पर सर्वे करने गोरखगिरि पहुंचे एनबीआरआई लखनऊ के वैज्ञानिक
गुरू गोरखनाथ की तपोभूमि गोरखगिरि में मौजूद जड़ी-बूटियों के अकूत भंडार का सर्वेक्षण करने आज लखनऊ के राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों का एक तीन सदस्यीय दल पहुंचा और पूरे पहाड़ का भ्रमण कर औषधीय पौधों का अवलोकन किया व उनके नमूने इकट्ठा किये।
उनके साथ बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर व पूर्व वैज्ञानिक डा. राम सेवक चौरसिया भी थे जिनको जिलाधिकारी सत्येन्द्र कुमार ने मार्गदर्शन करने की जिम्मेदारी सौंपी थी।
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डा. कृष्ण कुमार रावत के नेतृत्व में आये वैज्ञानिकों के दल में डा. विजय विष्णु बाग व डा. प्रभु कुमार ने बताया कि गोरखगिरि में संजीवनी, गुड़मार जैसी सैकड़ों प्रकार की दुर्लभ जड़ी बूटियों का भंडार है।
इनको न केवल संरक्षित करने की आवश्यकता है बल्कि उन पर शोध करने की जरूरत है। हम लोगों ने करीब दो दर्जन पौधों के नमूने इकट्ठे किये हैं जिनका लखनऊ ले जाकर परीक्षण करेंगे। गोरखगिरि में जगह जगह फैली गंदगी व पालीथिन इन पौधों के लिए बड़ा खतरा हैं।
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एनबीआरआई के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक डा. राम सेवक चौरसिया ने बताया कि गोरखगिरि में इससे पूर्व दो बार जड़ीबूटियों की पहचान के लिए सर्वेक्षण हो चुका है। सबसे पहले 1981 में यहां 146 दुर्लभ जड़ीबूटियां चिन्हित की गयीं थी, उसके बाद 1991 में यहां 105 जड़ीबूटियां चिन्हित की गयीं।
उसके बाद यहां कभी सर्वेक्षण नहीं हुआ। बुंदेली समाज संयोजक तारा पाटकर ने बताया कि उनके कई बार मांग करने के बाद अब वैज्ञानिकों का दल यहां आया है। गोरखगिरि में संजीवनी वाटिका भी बननी है ताकि इसे शोध केंद्र के रूप में विकसित किया जा सके।
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