51वें राष्ट्रीय रामायण मेले का हुआ भव्य शुभारंभ

भगवान श्री राम की तपोस्थली एवं संकल्प भूमि के रूप में विश्व विख्यात पावन नगरी चित्रकूट की धरती आज देश के तमाम...

51वें राष्ट्रीय रामायण मेले का हुआ भव्य शुभारंभ

बोले शंकराचार्य अधोक्षजानन्द महाराज-संत-महंतो को करना होगा धर्म जागृत का कार्य

धर्म की रक्षा से संकट में धर्म आपकी करेगा सुरक्षा: महंत राजू दास

चित्रकूट। भगवान श्री राम की तपोस्थली एवं संकल्प भूमि के रूप में विश्व विख्यात पावन नगरी चित्रकूट की धरती आज देश के तमाम संतो-महंतो की उपस्थिति से धन्य हो गई। अनेक प्रांतों से आए संत-महंतो, राष्ट्र स्तर के कथा प्रवक्ताओं और सांस्कृतिक कलाकारों की उपस्थिति में 51वे राष्ट्रीय रामायण मेला का उद्घाटन पूर्वाम्नाय गोवर्द्धन पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानन्द देवतीर्थ पुरी व अयोध्या के हनुमानगढ़ी के महंत स्वामी राजू दास जी महाराज ने दीप प्रज्जवलित कर किया। उद्घाटन से पूर्व हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी रामघाट स्थित निर्मोही अखांड़ा से विभिन्न अखाड़ों के निशान और हाथी-घोडो से सुसज्जित शोभायात्रा प्रारंभ हुई।

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इस शोभायात्रा के रामायण मेला परिसर पहुंचने पर मेले के कार्यकारी अध्यक्ष प्रशांत करवरिया ने महामंत्री डा करुणा शंकर द्विवेदी, राजाबाबू पांडेय, डा घनश्याम अवस्थी के साथ मिलकर निशानों का पूजन करने के साथ साधु-महंतो का माल्यार्पण कर स्वागत किया। रामायण मेले के औपचारिक शुरुआत के पूर्व जयेन्द्र सरस्वती वेद विद्यालय सीतापुर व श्रीराम संस्कृत महाविद्यालय, सदगुरु सेवा संघ के संस्कृत विद्यालय के वेदपाठी छात्रों ने स्वस्ति वाचन एवं मंगलाचरण किया। तत्पश्चात मेले के कार्यकारी अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारियों ने 51वें समारोह के अध्यक्ष व मुख्य अतिथि का स्वागत माल्यार्पण, श्री फल व शाल, मानस भेंट कर सभी का सम्मान किया। कार्यक्रम का प्रारंभ करते हुए जगदगुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विवि के संगीत विभागाध्यक्ष डा विशेष नारायण मिश्र ने गणेश वंदना प्रस्तुत किया।

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उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि महंत राजू दास महाराज ने धर्म रक्षति रक्षितः की सनातन संस्कृति पर चर्चा करते हुए कहा कि आप धर्म की रक्षा करेंगे तो संकट में धर्म आपकी अचानक रक्षा करेगा। क्रांतिकारी महंत ने तत्कालीन समय देश के आक्रांताओं की आलोचना करते हुए कहा कि सनातन संस्कृति को नष्ट करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। बताया कि हमारी संस्कृति में देवताओं की कमी नहीं। चाहे जिस देवता की पूजा करें वह सनातन संस्कृति से जुडी हुई पूजा है। उन्होंने कालनेमि राजनैतिक नेताओं की जमकर धज्जियां उड़ाते हुए कहा कि राजनैतिक लाभ लेने वाले लोग रामचरित मानस को जब उनकी सरकार आएगी तो बैन करेंगें। उन्होंने बताया कि भगवान श्रीराम का मंदिर बनाने में पांच सौ वर्ष लग गए। अब मथुरा और काशी की बारी है। अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि अयोध्या में सैकडों मंदिरों के बीच मस्जिद में पांचो प्रहर की नमाज माइक से की जाती है। अभी तक माइक नहीं उतारा गया।

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कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्वाम्नाय गोवर्द्धन पीठाधीश्वर जगदगुरु स्वामी अधोक्षजानन्द महाराज पुरी ने कहा कि धर्म सर्वोपरि होना चाहिए। धर्म जागृति का कार्य संतो-महंतो को करना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि अयोध्या में श्री राम मंदिर बनने के बाद वहां भगवान श्री राम की प्रतिमा स्थापित हो चुकी है। उन्होंने अखंड भारत की चर्चा करते हुए कहा कि अब अखंड होने वाला है। नया संसद भवन इसका नक्शा है। पूर्व के दौरान अखंड भारत के कई टुकडे कर दिए गए थे। वह टुकडे अब जुड़ने का समय आ चुका है। उन्होंने बताया कि देश के नौ राज्य अल्पसंख्यक जरूर हो गए हैं। कहा कि साधु संतो, विद्वतजनों को प्रियवचन एवं परहित के कार्य कर धर्म स्थापित करने का कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि 51 का अंक बहुत शुभ है। यह राष्ट्रीय रामायण मेला 51वां होने के चलते देश का कल्याणकारी होगा। सारा संसार भगवान के अधीन है। भगवान भक्ति के अधीन है। उन्होंने मानव जीवन को दुर्लभ बताया। रामायण मेला परिकल्पना करने वाले डा. लोहिया के व्यक्तित्व को महान बताया। उन्होंने प्रभु श्रीराम के आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाने की जो परिकल्पना की थी वह साकार होती नजर आ रही है।

इसके पूर्व चित्रकूट परिक्षेत्र के साधु-संतो, महंतो के निशान, हाथी, घोडे शोभायात्रा के साथ मेला प्रांगण पहुंचा। जहां मेले के कार्यकारी अध्यक्ष प्रशांत करवरिया ने निशानों व गज पूजा आरती की। शोभायात्रा में भागीदारी कर रहे संतो, महंतों का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। स्वागत भाषण पूर्व सांसद भैरों प्रसाद मिश्र ने प्रसतुत किया। रामायण मेले की प्रस्तावना महामंत्री डा करुणा शंकर द्विवेदी ने रखते हुए सीताराम राज्य की स्थापना एवं शिव षक्ति मिलन पर विस्तृत चर्चा की। कार्यक्रम का संचालन बांदा विवि के प्राचार्य डा चन्द्रिका प्रसाद दीक्षित व महामंत्री डा करुणा शंकर द्विवेदी ने किया। 

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