मासूम की हत्या कर नर पिशाच बच्चे का दिल खा गया
बुन्देलखण्ड के गेटवे के नाम से मशहूर घाटमपुर में एक नर पिशाच ने मासूम बच्चे की हत्या करके उसका दिल निकाला और उसके बाद उसे कच्चा खा गया..
- 15 साल पहले हुए निठारी कांड की याद ताजा हुई
बुन्देलखण्ड के गेटवे के नाम से मशहूर घाटमपुर में एक नर पिशाच ने मासूम बच्चे की हत्या करके उसका दिल निकाला और उसके बाद उसे कच्चा खा गया। जिसने भी इस घटना के बारे में सुना तो उसके रोंगटे खड़े हो गए इस घटना से चारो तरफ सनसनी फैल गई और 15 साल पहले हुए निठारी कांड की याद ताजा हो गई।निठारी कांड में भी एक नर पिशाच दर्जनों बच्चों की हत्या कर उनके अंगों को खा गया था।
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कानपुर जिले के घाटमपुर इलाके के एक गांव में हुई इस घिनौनी वारदात के बारे में जिसने भी सुना उसके होश उड़ गए। जिन्हें भी इस घटना के बारे में पता चला वे हैरान रह गए कि कोई इंसान दरिंदगी की इस हद तक कैसे पहुंच सकता है। गांव के दो हैवानों ने पहले तो छह साल की मासूम बच्ची को अपना शिकार बनाया। उसके साथ दोनों ने मिलकर दुष्कर्म किया और फिर उनके चाचा ने तो सारी हदें ही पार कर दीं।
जानकारी के अनुसार आरोपियों ने दुष्कर्म के बाद बच्ची की गला काटकर हत्या कर दी। इसके बाद उनका चाचा बच्ची का दिल निकालकर खा गया।आरोपियों के अंदर हैवानियत इस कदर भरी हुई थी कि उन्हें बच्ची के साथ क्रूरता से दुष्कर्म करने के बाद भी शांति नहीं मिली। उन्होंने हत्या के बाद मासूम के शव से दिल, गुर्दा और आंतें तक निकाल लीं। इसके बाद उस मासूम का सिर भी फोड़ दिया।
दोनों आरोपी सगे भाई बताए जा रहे हैं। आरोप है कि दिवाली की रात संतान प्राप्ति के चक्कर में इस पूरी वारदात को अंजाम दिया गया है। पुलिस ने सोमवार शाम को घटना का खुलासा करते हुए बताया कि आरोपी दंपती (दुष्कर्म के आरोपियों के चाचा-चाची) ने अपने भतीजों के साथ मिलकर इस वीभत्स घटना को अंजाम दिया।
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आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि चाचा और चाची के कहने पर वारदात को अंजाम दिया। एसपी ने बताया कि आरोपी चाचा और चाची की शादी 21 साल पहले हुई थी, लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी। इसलिए उन्होंने तंत्रमंत्र के चक्कर में आने के बाद किसी बच्ची का दिल खाने पर संतान प्राप्ति की बात अपने भतीजों से कही थी।
आपको बता दें कि इसी तरह साल 2006 के दिसंबर महीने में देश को दहला देने वाली वारदात सामने आई. नोएडा के निठारी में कोठी नंबर क्-5 के पीछे के नाले में मिले नर कंकालों ने जुर्म की एक ऐसी दास्तान को बयां किया जिसकी किसी ने भी कभी कल्पना नही की थी, ये कोठी थी मोनिंदर सिंह पंढेर की और 29 दिसंबर को इसके पीछे के नाले से 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले।
इस कोठी में रहने वाले नरपिशाचों ने बड़ें ही शातिर ढ़ग से गांव के भोले-भाले मासूम बच्चों को किसी न किसी बहाने अपने पास बुलाते थे. इसके बाद उनके साथ हैवानियत की हदें पार कर उनकी हत्या करने के बाद लाश के टुकड़े-टुकड़े कर नाले में बहा देते. इस मामले में पुलिस ने कोठी के मालिक मोनिंदर सिंह और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया था। 13 फरवरी 2009 को सीबीआई विशेष न्यायाधीश ने सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंधेर को फांसी की सजा सुनाई थी।
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