अनलॉक में भी लॉक डाउन है हजारों की जिंदगी
कोविड-19 के प्रकोप के कारण देशव्यापी लॉक डाउन के चलते जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया था। अर्थव्यवस्था छिन्न भिन्न हो गई थी, बेरोजगारी का दंश झेल है लाखों लोगों के सामने रोटी की समस्या पैदा हो गई थी,ऐसे में सरकार ने धीरे धीरे लॉक डाउन में छूट देने की कोशिश की और पांचवें चरण में काफी हद तक लोगों की जिंदगी पटरी पर लाने का प्रयास किया गया।इसके बाद भी अभी हजारों लोग बुंदेलखंड में ऐसे हैं जिनके सामने अभी भी रोजी-रोटी की समस्या है उनके काम धंधे लाक डाउन हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने 1 जून से सशर्त रोडवेज बसों को संचालन की छूट दे दी जिससे सड़कों पर रोडवेज बसें दौड़ने लगी लेकिन बुंदेलखंड में प्राइवेट बसों मे अभी भी प्रतिबंध है। प्राइवेट बसें ग्रामीण क्षेत्रों में जाती हैं जहां रोडवेज बसों की पहुंच नहीं है। बुंदेलखंड के लगभग सभी जनपदों में अभी प्राइवेट बसें नहीं चल रही है और ना ही इनके लिए अभी किसी तरह की गाइडलाइन जारी की गई। इसके अलावा तमाम ऐसे भी बसे हैं जो गैर जनपदों में बुक होकर जाती है। इनके अलावा हजारों बसें कानपुर इलाहाबाद झांसी सहित अन्य महानगरों को जाती हैं।इन बसों में चालक और परिचालक काम करते हैं, इनके साथ इनके परिवार भी जुड़े हैं।बसों का संचालन बंद होने से इन परिवारों के सामने भुखमरी की समस्या है ,परंतु सरकार ने अभी इनकी ओर ध्यान नहीं दिया।
फुटकर सब्जी विक्रेताओं की उपेक्षा
बांदा शहर में सैकड़ों ऐसे सब्जी विक्रेता हैं जो नया गंज की पुरानी सब्जी मंडी में फुटकर सब्जी बेचकर अपना और अपने परिवार का गुजर-बसर करते थे, पिछले 70 दिनों से यह सब्जी मंडी लाक डाउन में है,इसे खुलवाने के लिए पिछले 2 दिनों से लगातार जिला अधिकारी कार्यालय में दो दर्जन महिलाएं चक्कर लगाती रही। जिन्हें प्रशासनिक अधिकारियों ने डांट कर भगा दिया यहां तक कि इन्हें चुप न रहने पर कार्रवाई की चेतावनी दी गई हालांकि भाजपा और स्वयंसेवक संघ से जुड़े पदाधिकारियों ने इन सब्जी विक्रेताओं के लिए कालू कुआं स्थित मंडी परिसर में अलग से चबूतरे मुहैया कराने की मंडी सचिव से मांग की थी ।ताकि थोक दुकानदारों के अगल बगल वह भी अपना धंधा कर सकें पर अभी तक उन्हें न कोई चबूतरा मिला और न सब्जी बेचने का कोई ठिकाना मिला।ऐसे में इन परिवारों के सामने भी रोजी-रोटी की समस्या बनी हुई है।
बेसुरी हुई बैंड वालों की जिंदगी
शादी ब्याह में बैंड न हो तो शादी अधूरी रहती है इधर जब से लाक डाउन हुआ है तब से शादी ब्याह में सशर्त नियम कानून लाद दिए गये, जिससे गिने-चुने लोगों ने मजबूरी में वैवाहिक रस्म पूरे किए। इस दौरान मैरिज हाल और होटल में तालाबंदी से बैंड बाजा वालों की जिंदगी भी बेसुरी हो गई इसमें काम करने वाले ज्यादातर कलाकारों की स्थिति दयनीय है। उनके सामने रोजी-रोटी की समस्या पैदा हो गई है इनकी जिंदगी कब पटरी पर लौटेगी यह सरकार के ही निर्णय पर निर्भर है।
गुम हुई साजो की आवाज
लॉक डाउन मे उद्योग धंधे कामगारों, व्यापारियों के साथ साथ कलाकारों की भी कमर टूट गई है।सरकार ने करोड़ों किसानों मजदूरों व उद्योग धंधों से जुड़े संस्थानों को राहत पैकेज दिया है। पर उनकी निगाह से बुंदेलखंड के हजारों कलाकार दूर हो गए हैं। सरकारी मदद के अभाव में अपना व अपने परिवार का पेट बड़ी मुश्किल में पाल रहे कलाकारों की मदद करने तथा उनका रजिस्ट्रेशन कर संगठित मजदूरों का दर्जा देने की मांग कलाकारों द्वारा की जा रही है। उनका मानना है कि जो आर्केस्ट्रा, रंगमंच, लोक संगीत, नृत्य व जादू आदि कला के माध्यम से अभी तक अपना, अपने परिवार का पेट पाल रहे थे। वे कोरोना काल में लॉक डाउन के चलते भुखमरी का शिकार हो रहे हैं।स्टेज की चमचमाती रोशनी में दूसरों का मनोरंजन कर परिवार चलाने वाले कलाकार अपने आत्मसम्मान के कारण खुलकर अपने व्यथा को किसी को नहीं सुना सके, जिसके कारण आर्थिक मदद से यह भी वंचित रह गए आखिर इनकी कब सुनेगी सरकार।
मरीजों की जान आफत में
लॉक डाउन के चलते सभी सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवा बंद कर दी गई है मात्र कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज होता है जबकि अन्य बीमारियों से ग्रसित सैकडो मरीज इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे। इस संबंध में बुंदेलखंड विकास सेना ललितपुर ने प्रशासन से मांग की है कि जिला अस्पताल की ओपीडी को अविलंब चालू कराया जाए उन्होंने कहा कि इस समय मौसम में भारी उतार-चढ़ाव हो रहा जिसके कारण लोगों मैं बीमारी बढ़ रही है। जिला अस्पताल की ओपीडी बंद होने कारण हजारों मरीज इलाज के अभाव में परेशान हो रहे हैं इसके अलावा ज्यादातर प्राइवेट चिकित्सक इस समय अपना क्लीनिक बंद किए हैं तथा जो प्राइवेट चिकित्सक अपना क्लीनिक खोले हैं वह मरीजों से लंबी रकम वसूल रहे हैं।ऐसे में जिला चिकित्सालयों में ओपीडी चालू होना मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगा।