फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर सर्विस करने वाली शिक्षिका को किया गया बर्खास्त

फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी कर रही एक शिक्षिका को जांच के बाद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रिंसी मौर्या ने बर्खास्त...

फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर सर्विस करने  वाली शिक्षिका को किया गया बर्खास्त

फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी कर रही एक शिक्षिका को जांच के बाद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रिंसी मौर्या ने बर्खास्त कर दिया है। शिक्षिका अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र के आधार पर पूर्व माध्यमिक विद्यालय पुकारी क्षेत्र नरैनी में नियुक्त थी।

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इस बारे में जानकारी देते हुए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रिंसी मौर्या ने बताया कि श्रीमती नीलम सिंह पुत्री बाल गोविंद सिंह निवासी अतर्रा चुंगी सरस्वती शिशु मंदिर कैंपस के पास शास्त्री नगर अलीगंज शहर व जिला बांदा की नियुक्ति अंशकालिक अनुदेशक संविदा के पद पर अनुसूचित जाति के आरक्षण में पूर्व माध्यमिक विद्यालय पुकारी क्षेत्र नरैनी बांदा में की गई थी। इस पर राम किशोर उपाध्याय पुत्र बाबूलाल निवासी ग्राम पुकारी नरैनी द्वारा शिकायत की गई थी कि श्रीमती नीलम सिंह फर्जी अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र बनवा कर सरकारी नौकरी कर रही है।

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इस शिकायत के आधार पर जांच उप जिलाधिकारी सदर बांदा को प्रेषित की गई। इस पर कार्यालय तहसीलदार बांदा के द्वारा वेबसाइट में तकनीकी खामियों का हवाला देकर शिक्षिका के मूल गांव पर जांच कराने की बात कही गई। इस पर इनके पिता के मूल गांव निवाड़ी कला थाना बकेवर तहसील भरथना जिला इटावा में जांच के लिए रिपोर्ट भेजी गई। भरथना इटावा के तहसीलदार द्वारा जो रिपोर्ट दी गई उसके मुताबिक नीलम सिंह कडेर जाती पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत आती है।

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 तहसीलदार भरथना इटावा के रिपोर्ट के आधार पर दोनों पक्षों की सुनवाई की गई। सुनवाई के दौरान नीलम सिंह द्वारा सफाई दी गई की पिता के अभिलेखों के अनुसार उसने अनुसूचित जाति आरक्षण के अंतर्गत आवेदन किया था। इसमें घसिया अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र दिखाया गया। इस पर पुनः तहसीलदार भरथना से नीलम सिंह के पिता की जाति के बारे में आख्या मांगी गई।

 उन्होंने दोबारा जो रिपोर्ट भेजी उसमें भी इनकी जाति का कडेर का उल्लेख किया गया, जो पिछड़ा वर्ग में आती है। इसलिए फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवा कर अंशकलिक अनुदेशक (संविदा) की नियुक्ति प्राप्त करने के आरोप में श्रीमती नीलम सिंह पुत्री बाल गोविंद सिंह की संविदा समाप्त कर दी गई है।
बुन्देलखण्ड का गोंड समाज अपनी पहचान व अस्तित्व की रक्षा के लिए संघर्ष करेंगा।

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