नहीं रहे धरती पुत्र मुलायम सिंह, उत्तर प्रदेश में तीन दिन का राजकीय शोक
समाजवादी पार्टी के संस्थापक, संरक्षक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन पर उत्तर प्रदेश में तीन दिन...
समाजवादी पार्टी के संस्थापक, संरक्षक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन पर उत्तर प्रदेश में तीन दिन का राजकीय शोक रहेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को यादव के निधन पर शोक जताते हुए इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह यादव का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुलायम सिंह के पुत्र पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके भाई रामगोपाल यादव से फोन पर बातकर संवेदना व्यक्त की है। योगी ने कहा है कि मुलायम सिंह यादव का निधन अत्यंत दुखदायी है। उनके निधन से समाजवाद के प्रमुख स्तंभ एवं संघर्षशील युग का अंत हो गया। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे। मुख्यमंत्री ने शोकाकुल परिजनों एवं समर्थकों के प्रति संवेदना जताई है।
- पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के बारे में
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उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई गांव में 22 नवंबर 1939 को जन्मे मुलायम सिंह यादव भारतीय राजनीति के बड़े सियासी चेहरा बने। उन्होंने समाजवादी पार्टी बनाई। उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे और एक बार देश के रक्षा मंत्री की कुर्सी संभाली। उनके निधन से समाजवादियों समेत उनके समर्थकों में मायूसी छा गयी है।
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मुलायम सिंह यादव भारतीय राजनीति के उन कुछ चंद नेताओं में से एक हैं जिन्होंने बेहद ही सामान्य परिवार से निकल कर सियासी पारी शुरू की। अपनी पार्टी बनाई। पार्टी को मजबूती से खड़ा ही नहीं किया बल्कि देश के सबसे बड़े सूबे में सत्ता में भी लाने में सफल रहे। वह खुद तो मुख्यमंत्री बने ही 2012 में पूर्ण बहुमत की सरकार लाकर अपने बेटे अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाने में भी सफल रहे। पहलवानी में माहिर मुलायम ने सियासत में भी मंझे हुए खिलाड़ी साबित हुए।
मुलायम सिंह यादव ने 1992 समाजवादी पार्टी बनाई। वह प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे। पांच दिसंबर 1989 से 24 जनवरी 1991 तक, पांच दिसंबर 1993 से तीन जून 1996 तक और 29 अगस्त 2003 से 11 मई 2007 तक मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली। वह देश के रक्षामंत्री के पद पर भी रहे।
नेताजी के नाम से लोकप्रिय मुलायम सिंह यादव ने यादव बिरादरी और मुस्लिम समाज को पार्टी के साथ जोड़ने में कामयाब रहे। उन्होंने यह गठजोड़ बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का मुखर विरोध किया। उनकी इसी रणनीति के चलते यादवों के साथ मुस्लिम जुड़ता गया। मुस्लिम-यादव के गठजोड़ की ताकत को देख अन्य वर्ग के मतदाता भी जुड़े। इसी योग से समाजवादी पार्टी कई बार सत्ता में में आई।