चित्रकूट
पोस्टर चीख - चीख कर कह रहा है कि विकास दुबे समाजवादी पार्टी के प्रतिष्ठित नेता हैं। ये वही विकास दुबे बताए जा रहे हैं जिन्होंने अपराधी साथियों संग आठ पुलिस कर्मियों की हत्या की है।
समाजवादी उत्तर प्रदेश के मुखिया अखिलेश यादव को तीसरी नेत्र खोलकर देखना चाहिए कि उनके दल में अपराधी मानसिकता का व्यक्ति प्रतिष्ठित व्यक्ति हुआ करता था। इससे साफ झलकता है कि समाजवादी की विरासत का परिणाम आठ पुलिस कर्मियों की हत्या है।
राजनीतिक दलों को चिंतन करना चाहिए कि उनके द्वारा अपराधियों को दिए गए संरक्षण से कर्तव्यरत जिंदगियों को मौत उपहार मे मिलती है। खैर यह कम संभव लगता है कि दलों द्वारा अपराधी मानसिकता के लोगों को संरक्षण देना बंद होगा ! यही समाज के लिए व लोकतंत्र के लिए अभिशाप है।
वर्तमान भाजपा शासन के खिलाफ आवाज अवश्य बुलंद करेंगे सपाई परंतु यह विरासत इन्हीं की है। फिर भी वर्तमान शासन अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता पर असल मामला गिरफ्तारी और मुठभेड़ का है। लेकिन अपराधियों के बिछाए जाल मे निर्दोष पुलिस कर्मी फंस गए।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कड़ा निर्णय लेंगे। किन्तु अब खाकी की जान वापस नहीं आ सकती। अंततः विकास दुबे की गिरफ्तारी और एनकाउंटर से ही लोकतंत्र की नाक बचेगी। लोकतंत्र की नाक का सम्मान अवश्य रखना होगा और यह कानून के सम्मान और चुनौती की बात है।
सपा के पूर्व मुख्यमंत्री सवाल उठाने के साथ विचार करें कि उनकी ही विरासत से आज आठ पुलिसकर्मियों की मृत्यु हुई है। अतः वक्त अभी भी है कि सभी दल और नेतृत्वकर्ता अपराधी मानसिकता के लोगों का संरक्षण ना दें अन्यथा बच्चे अनाथ होंगे , पत्नियां विधवा होंगी और नेता हर बार की तरह नमन करते रहेंगे।
(लेखक : सौरभ द्विवेदी, समाचार विश्लेषक)