महोबा : अवैध ढंग से पहाड़ की खुदाई पर एनजीटी ने उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनाई
जनपद महोबा के बिलवई गांव में पहाड़ की खुदाई में अनियमितताएं पाए जाने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनाई...
जनपद महोबा के बिलवई गांव में पहाड़ की खुदाई में अनियमितताएं पाए जाने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनाई है और इस कमेटी को 2 महीने के अंदर जांच रिपोर्ट देने को कहा गया है। इस मामले की अगली सुनवाई 19 अक्टूबर को होगी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार की ओर से राजकीय अधिवक्ता सीमा पटनाहां सिंह किसानों की पैरोकारी कर रही हैं।
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जनपद महोबा के बिलवई गाव में चल रहे पहाड़ का खनन कार्य गाटा संख्या 478/2 खंड 1,2,3 जिसका की पट्टा राममनोहर शिवहरे, राजेंद्र शिवहरे और दिनेश चंद्र गुप्ता के पास संयुक्त रूप से है। भारी अनियमितता, मनमर्ज़ी नियम बना कर खनन कार्य करना और गाव के निवासियों के खिलाफ़ पुलिस थाने में फ़र्ज़ी शिकायतों से तंग आकर नागरिकों ने राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण में अपील की।
किसानो की शिकायत थी कि जिन शर्तों पर पट्टा खनन कार्य करने के लिए दिया गया उनमें से किसी भी शर्तों का पालन नहीं हो रहा है। जिससे गांव के नागरिकों को आए दिन परेशानी का सामना तथा जान माल का ख़तरा उत्पन्न हो गया है । नियमानुसार पहाड़ में ब्लास्टिंग का काम मध्य रात्रि तय हुआ था लेकिन अंतिम समय में रिपोर्ट में पत्ताधारको ने अपने हिसाब से परिवर्तन करके दिन में भोजनावकाश कर दिया। खनन से पत्थर किसानो के खेतों में गिरते है जिससे कारण कार्य कर रहे किसान को अपनी जान का ख़तरा लगा रहता है । जबकि मज़दूरों के लिए ब्लास्टिंग के समय रुकने के लिए टीनशेड भी नहीं बना जो नियमतः होना चाहिए। सीढ़िनुमा खनन न करके सीधा खनन कर रहे है जबकि शर्त में सीढ़ीनुमा होना चाहिए था।
पीडितो के मुताबिक पट्टा धारकों के ट्रक किसानो के खेत में घुसाकर निकलने से किसान अपनी ज़मीन पर खेती करने से वंचित रहने लगा। ज़मीन पर अवैध क़ब्ज़े का ख़तरा उत्पन्न हो गया है।
कुछ समय पहले पट्टाधारकों ने बिलवई गाव के लोगों पर फ़र्ज़ी केस फ़ाइल कराने की नाकाम कोशिश भी की गई थी। इस मामले में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने 8 अगस्त को सुनवाई की। जिसमें किसानो की तरफ़ से सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता सीमा पटनाहां सिंह ने किसानो का पक्ष रखा। प्राधिकरण ने अपने आदेश में उच्च स्तरीय जाँच कमेटी का गठन किया। जिसे 2 महीने में रिपोर्ट प्राधिकरण को सौंपने को कहा गया है।
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