पूर्व डीएम हीरा लाल की पहल रंग लाई, भूजल स्तर तीन मीटर तक बढ़ा

जल के प्रकृति स्रोत कुआ और तालाबों को फिर से जिंदा करने के लिए बांदा के तत्कालीन जिला अधिकारी हीरालाल ने तीन साल..

पूर्व डीएम हीरा लाल की पहल रंग लाई, भूजल स्तर तीन मीटर तक बढ़ा
पूर्व डीएम हीरा लाल

जल के प्रकृति स्रोत कुआ और तालाबों को फिर से जिंदा करने के लिए बांदा के तत्कालीन जिला अधिकारी हीरालाल ने तीन साल पहले जनपद में एक अभियान की शुरुआत की थी अब इस अभियान का असर साफ दिखाई पड़ रहा है।जहां इस जिले का जल स्तर लगातार नीचे गिर रहा था वही अब लगभग तीन मीटर बढ़ गया है।

सूखे का नाम लेते ही जहन में उत्‍तर प्रदेश के बुंदेलखंड का नाम आता है। इसी बुंदेलखंड का एक जिला है बांदा, दशकों से सूखे की मार झेल रहे बांदा में पानी के प्राकृतिक स्रोत कुआं और तालाब या तो सूख कर खत्‍म हो गए थे या फिर सूखने की कगार पर खड़े थे। इन कुओं और तालाबों को फिर से जिंदा करने के लिए बांदा के पूर्व जिलाधिकारी हीरालाल ने एक अभियान की शुरूआत की ।

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  • कुएं-तालाबों का पूजन और दीपदान

जिला प्रशासन ने पहले चरण में भूजल बढ़ाओ, पेयजल बचाओ अभियान के तहत छह ब्लाकों में जल चैपालों का आयोजन किया। ग्रामीणों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करने के बाद दूसरा चरण शुरू किया गया। इसे कुआं-तालाब जियाओ नाम दिया गया। अभियान में गांव-गांव तालाबों और कुओं का पूजन शुरू कराया गया। जिले की 471 ग्राम सभाओं में दीपदान कार्यक्रम हुआ। बांदा शहर के नवाब टैंक तालाब में प्रदेश के निर्वाचन आयुक्तवेंकेटेश्वर लू ने दीपदान किया था।

जल संरक्षण की इस अनूठी पहल की गूंज प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) तक पहुंच गई। जिसके बाद जल शक्ति मंत्रालय ने इस अभियान का जायजा लिया। इस अभियान की प्रगति और परिणामों देखते हुए उन्‍हें दिल्‍ली में हैबिटैट फॉर ह्यूमैनिटी द्वारा आयोजित 7वें एशिया पैसिफिक हाउसिंग फोरम के दौरान सम्‍मानित किया गया था। समारोह के दौरान, यह विशेष रूप से उल्‍लेखित किया गया कि बांदा जिले में शुरू किया गया कुआं-तालाब जिलाओं अभियाना् और भूजल बढ़ाओ-पेयजल बढ़ाओ अभियान भूसंरक्षण की दिशा में किए गए प्रयासों में एक सबसे बेहतरीन प्रयास है।

आंकडो में पर नजर डाले तो पता चलता है कि प्री-मानसून भूजल स्तर में सुधार हुआ है। क्रिटिकल श्रेणी वाले ब्लाक सेमी क्रिटिकल में आ गए हैं। भूजल स्तर में औसतन 2 से 3 मीटर की वृद्धि हुई है। भूगर्भ जल विभाग की वर्ष 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पांच वर्षों में बांदा जनपद में अधिकतम तीन मीटर,भूजल स्तर में वृद्धि हुई है।डार्क जोन श्रेणी वाले ब्लाकों में भूजल 8 से 10 मीटर तक नीचे खिसक गया था।बांदा के जसपुरा व तिंदवारी ब्लाक क्रिटिकल श्रेणी में थे। अब यह सेमी क्रिटिकल श्रेणी में आ गए हैं। वही बिसंडा में प्री-मानसून भूजल स्तर में 7.16 मीटर की वृद्धि हुई।

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जनपद ब्लाक 2016 2020  बढ़ा/गिरा (मीटर में)
बांदा बड़ोखर 7.79 6.37 1.42 बढ़ा
महुआ 6.74  5.34 1.40 बढ़ा
कमासिन 16.25 12.73 3.54 बढ़ा
बिसंडा 11.26 4.10 7.16 बढ़ा
जसपुरा  19.36 18.13 1.23 बढ़ा
तिंदवारी 16.76 13.80 2.96 बढ़ा
नरैनी 9.00 5.02 3.98 बढ़ा
बबेरू 9.20  7.05 2.15 बढ़ा

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इस बारें में भूगर्भ जल विभाग, बांदा के अधिशासी अभियंता एमए जैदी बताते हैं कि पुराने तालाब और कुओं का जीर्णोद्धार हुआ। नए तालाब खोदे गए। सरकारी भवनों में रूफ टॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर काम हुआ। इसलिए भूजल स्तर में वृद्धि हुई है।

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बांदा में जिला अधिकारी रहे डॉ हीरा लाल द्वारा की गई अनूठी पहल का परिणाम अब देखने को मिल रहा है। इन्होंने जल संरक्षण के लिए भूजल बढ़ाओ, भूजल बचाओ अभियान चलाया। इसे बाद में कुआ तालाब जियाओ अभियान का नाम दिया गया। गांव गांव तालाबों और कुओं का पूजन शुरू कराया।

उनका यह प्रयास सार्थक रहा क्योंकि कुछ ही दिनों में यहां का जलस्तर करीब 3 मीटर तक बढ़ गया। जल संरक्षण की इस अनूठी पहल की गूंज पीएमओ तक पहुंच गई और फिर जल शक्ति मंत्रालय ने इस अभियान का जायजा लेकर डीएम के इस प्रयास की सराहना की थी। इन्होंने ही 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए 90 प्रतिशत प्लस मतदान का अभियान चलाया चलाया और काफी हद तक यह अभियान सफल रहा जिससे जनपद को राष्ट्रीय क्षितिज पर पहचान मिली।

साथ ही जनपद बाँदा में इनोवेशन एंड स्टार्टअप समिट का आयोजन भी किया, दलहन की उपज बढ़ाने के लिए, अरहर दलहन सम्मलेन कराया, बुंदेलखंड के व्यंजनों को विश्व स्तरीय पहचान दिलाने के लिए कालिंजर महोत्सव में स्पेशल फ़ूड स्ट्रीट लगवाई, जिससे यहाँ के व्यंजनों को एक पहचान मिल सकें।

इन सभी अभियानों के चलते वह लोगों के चहेते बन गए और लोग उन्हें डायनेमिक डीएम (DYNAMIC DM) के नाम से पुकारने लगे।

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