बुन्देलखण्ड के बाँदा, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर के कोचिंग सेंटर सुरक्षा मानकों में कितने खरे ?

बुन्देलखण्ड के बाँदा, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर  में संचालित कोचिंग सेंटरों में कभी भी बड़ा जानलेवा हादसा हो सकता है...

बुन्देलखण्ड के बाँदा, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर के कोचिंग सेंटर सुरक्षा मानकों में कितने खरे ?
सांकेतिक फ़ोटो : सोशल मीडिया

बांदा। बुन्देलखण्ड के बाँदा, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर  में संचालित कोचिंग सेंटरों में कभी भी बड़ा जानलेवा हादसा हो सकता है। यह सभी “मानक विहीन” हैं। यहां न तो इन संस्थानों के पास आग लगने की स्थिति में बचाव के इंतजाम हैं और न ही भवन के मानकों को पूरा कर रहे हैं।

दिल्ली के राजेंद्र नगर स्थित एक कोचिंग में पिछले शनिवार को हुए हादसे में तीन विद्यार्थियों की जान चली गई थी। इस घटना के बाद से बांदा में संचालित हो रहे कोचिंग सेंटरों की सुरक्षा को लेकर भी सवाल खड़े होने लगे हैं।

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"यहां भी बच्चे खतरों के बीच पढ़ने को मजबूर हैं। अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि यहां लगभग एक सैकड़ा से अधिक संचालित “कोचिंग सेंटर सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं” रहे हैं।"

दरअसल, पंजीकरण के लिए दमकल विभाग का अनापत्ति प्रमाण पत्र होना जरूरी होता है। अग्नि सुरक्षा मानकों को पूरा करने के बाद ही यह प्रमाण पत्र संस्थानों को जारी किया जाता है। इसके अलावा भवन का मानचित्र स्वीकृत होने और सुरक्षा मानकों की परख करने के बाद बांदा विकास प्राधिकरण की ओर से अनापत्ति प्रमाण जारी किया जाता है।

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यह ज्यादातर कोचिंग संस्थानों के पास नहीं है! यही वजह है कि उन्होंने अपना अब तक पंजीकरण नहीं कराया है। बावजूद, इन “संस्थानों पर अंकुश” लगाने के सार्थक प्रयास नहीं किए जा रहे हैं!

"यह स्थिति तब है जब सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश कोचिंग नियमावली 2002 के प्रावधानों में परिवर्तन कर नई गाइड लाइन जारी की जा चुकी है, जिसमें विद्यार्थियों के हित में कई नए प्रावधान किए गए हैं। लेकिन, ये “संस्थान नियमों के मुताबिक चल रहे हैं या नहीं”, इसकी “सुध लेने वाला” कोई नहीं है।"

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कोचिंग सेंटरों की इस गंभीर स्थिति को देखते हुए यह आवश्यक हो गया है कि जल्द से जल्द इन संस्थानों की सुरक्षा मानकों की जांच की जाए और आवश्यक कदम उठाए जाएं ताकि किसी भी अनहोनी से बचा जा सके।

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