बुन्देलखण्ड में केंचुआ खाद उत्पादन एक लाभप्रद व्यवसाय
बाँदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बाँदा के अन्र्तगत संचालित वानिकी महाविद्यालय में वैज्ञानिक ढंग..
बाँदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बाँदा के अन्र्तगत संचालित वानिकी महाविद्यालय में वैज्ञानिक ढंग से केंचुआ व खाद उत्पादन की नवीनतम तकनीकी पर प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया गया।
पाँच दिवसीय केंचुआ खाद उत्पादन तकनीकी पर प्रशिक्षण 11 फरवरी, 2021 को शुरू किया गया और आज समापन हुआ।
समापन समारोह के दौरान में मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलपति डा. यू..एस. गौतम ने कहा कि केंचुआ खाद के उत्पादन से एक तरफ जहाँ खेत में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा बढ़ती है वहीं दूसरी तरफ इसके विपणन के माध्यम से रोजगार का भी सृजन होता है। बुन्देलखण्ड परिक्षेत्र में जैविक खेती की संभावनाओं को देखते हुये केंचुआ खाद उत्पादन एक लाभप्रद व्ययसाय भी है।
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डा. गौतम ने कहा की बुन्देलखण्ड के किसानों के लिए केंचुआ खाद बनाने हेतु आवश्यक संसाधन आसानी से उपलब्ध हो जाता है जिससे अन्य जगहों की तुलना में यहाँ लागत कम आता है।
मिट्टी की घटती हुई पोषक क्षमता एवं सूक्ष्म जीव को संख्या के लिए इस तरह की कार्बनिक खादों की चिंता आवश्यकता है।
यह प्रशिक्षण भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के द्वारा अनुसूचित जाति के लिए आयोजित किया गया है। प्रशिक्षण डा. अरबिन्द कुमार गुप्ता द्वारा दिया गया है।
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मुख्य प्रशिक्षक डा. अरबिन्द कुमार गुप्ता ने बताया कि प्रशिक्षण में कुल 20 प्रशिक्षुकों ने भाग लिया है। डा. गुप्ता ने बताया कि सभी प्रशिक्षणार्थियों को 2.2 किलों केंचुआ खाद, और एक-एक किलो वेस्ट डी कम्पोजर दिये गये।
समापन के दौरान सभी प्रशिक्षुकों को कुलपति द्वारा प्रमाण पत्र भी प्रदान किये गये। कार्यक्रम में डा. एस.वी. द्विवेदी, उद्यान महाविद्यालय, डा. संजीव कुमार, डा. वी. के. सिंह, डा. भानु मिश्रा, डा. देव कुमार, एवं अन्य लोग उपस्थित रहे।
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