बुंदेलखंड में जल्दी शुरू होगी एप्पल बेर की खेती

देसी बेर के लिए विख्यात बुंदेलखंड में जल्दी ही एप्पल बेर की खेती होगी।इसके लिए उद्यान विभाग झांसी ने योजना..

बुंदेलखंड में जल्दी शुरू होगी एप्पल बेर की खेती
फाइल फोटो

देसी बेर के लिए विख्यात बुंदेलखंड में जल्दी ही एप्पल बेर की खेती होगी।इसके लिए उद्यान विभाग झांसी ने योजना बनाई है। शासन को प्रस्ताव भेजकर विंध्य क्षेत्र या एकीकृत बागवानी योजना के तहत यहां एप्पल बेर की खेती करने का सुझाव दिया है। जुलाई माह में बुवाई शुरू करा दी जाएगी।

झाँसी में अभी देशी बेर की पैदावार काफी अधिक होती है। अधिकांश खेतों के किनारे मेड़ पर बेर के पेड लगे होते हैं, जो बेर से लदे होते हैं। इतनी अधिक पैदावार होने के बावजूद देशी बेर के उचित दाम नहीं मिलते हैं। सीजन पर ही इसकी बिक्री की जाती है और अमूमन 15 से 20 रुपए किलो की दर से बाजार में बेर बिक जाते हैं।

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अब बेर की उच्च प्रजाति की पैदावार करने की तैयारी शुरू हो गई है। उद्यान विभाग (झाँसी) यह अभिनव प्रयोग करने जा रहा है। इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। उद्यान विभाग का मानना है कि सह-फसली के रूप में भी ऐपल बेर की खेती की जा सकती है, जिससे किसान को अतिरिक्त मुनाफा होगा।

बुन्देलखण्ड का वातावरण व भूमि ऐपल बेर के लिए पूरी तरह से उपयुक्त है। विभाग ने शासन से भारी अनुदान देने वाली योजना में बुन्देलखण्ड में इस खेती को प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया है।

विभाग मुख्यमन्त्री फल उद्यान, एकीकृत बागवानी विकास मिशन अथवा विन्ध्य क्षेत्र योजना में इस खेती को शामिल कराने के प्रयास में है, ताकि किसानों को कम खर्च में नई तरह की खेती करने का अवसर मिल सके। 

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राजकीय उद्यान अधीक्षक विनय कुमार यादव बताते हैं कि बुन्देलखण्ड की जलवायु ऐपल बेर के लिए उपयुक्त है। शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। अगर सरकार ने स्वीकृति प्रदान कर दी तो जुलाई माह में ही एप्पल बेर के पौधों की बुआई करा दी जाएगी।

बाजार में अच्छी कीमत मिलने और सह-फसली होने के कारण किसानों को दोहरा मुनाफा होगा। उन्होने बताया कि 1 हेक्टेयर में 1 हजार 111 ऐपल बेर के पौधे रोपे जा सकते हैं। वैसे तो पहले ही साल पौधे फल देने लगते हैं, लेकिन 2 से 3 साल में यह पौधे पूरी तरह से फल देने को तैयार हो जाते हैं और प्रत्येक पेड़ में लगभग 1 कुन्तल बेर की पैदावार हो सकती है।

बाजार में यह बेर 80 से 100 रुपए की कीमत में बिकते हैं, जिससे किसानों को भी काफी लाभ होगा। चूँकि 3 गुणे 3 मीटर की दूरी पर पौधे रोपे जाते हैं, इसलिए बीच में किसान अन्य फसल भी ले सकते हैं। इस तरह से किसान को यह खेती दोहरी लाभ देने वाली साबित होगी। मेड पर भी किसान ऐपल बेर की पैदावार कर सकते हैं।

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