बाँदा : प्रेम के प्रतीक नटबली के मेले में खूब की लोगों ने मौज, देखिये ये झलकियां
जिला मुख्यालय से सटे भूरागढ़ दुर्ग में एक ऐसा मंदिर है मकर संक्रांति के अवसर पर हर साल यहां हजारों प्रेमी जोड़े आते हैं..
जिला मुख्यालय से सटे भूरागढ़ दुर्ग में एक ऐसा मंदिर है मकर संक्रांति के अवसर पर हर साल यहां हजारों प्रेमी जोड़े आते हैं और खिचड़ी चढ़ाते है। मान्यता है कि प्रेमी जोड़ों की मन्नत कुछ ही समय में पूरी भी हो जाती है।
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हर साल की तरह इस साल भी प्रेमी जोड़ों ने ‘नट बली’ के मंदिर में खिचड़ी चढ़ाकर मकर संक्रांति मनाई। इस अवसर पर यहां दो द्विवसीय मेला भी लगा।
गत वर्षो की भांति तड़के से ही केन नदी में हजारों लोगों ने श्रद्धा पूर्वक डुबकी लगाई और गरीबों को खिचड़ी बाटी।
घने कोहरे के कारण पहले तो भीड़ कम रही लेकिन ज्यों-ज्यों धूप निकली वैसे ही भीड़ बढ़ गई और उसके बाद भूरा गढ़ दुर्ग मैं स्थित नट बीरन की समाधि में मेला लगा। यहां हजारों की तादाद में पहुंचे श्रद्धालुओं ने नटवीरन की समाधि पर प्रसाद के रूप में रेवड़ी चढ़ाई और मत्था टेककर मनौती मांगी।
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मेले में बड़ी संख्या में युगल प्रेमी भी पहुंचे जिन्होंने नटवीरन के मंदिर में पहुंचकर पूजा अर्चना की साथ ही भूरा गढ़ दुर्ग में पिकनिक मनाई और सेल्फी ली।
किले के प्रांगण में स्थित शहीद स्मारक में भी लोगों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इसी तरह शहर के मंदिरों में ही खिचड़ी का दान करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली।
बताते हैँ कि 651 वर्ष पूर्व वीरन नामक एक नट रहता था। जिसका भूरागढ़ राज घराने से ताल्लुक रखने वाली राजकुमारी से प्यार था।
दोनों ही एक-दूसरे को बेपनाह मोहब्बत करते थे। इनके प्यार का परवान राजघराने के लोगों को नागवार गुजर रहा था।
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प्रेमिका पक्ष के लोगों ने शर्त के तहत उलझा कर षड़यंत्र रचकर प्रेमी को मरवा दिया। प्रेमी की मौत की खबर सुन प्रेमिका ने भी अपनी जान दे दी।
तब से इन दोनों की प्रेम गाथा अमर हो गई। प्रेमी की याद में लोगों ने नदी किनारे उनका मंदिर बनवा दिया।
प्रेमी यह गाथा इतिहास व गुमनामी के पन्नों में भटकने की बजाय लोगों के दिलों में बसती चली गई।
साथ ही केन की झरझर उठती गिरती लहरें भी शायद इस अनूठी मोहब्बत को पैगाम देती हुई सदियों से इस सच्ची व अद्भुत प्रेम कहानी की चश्मदीद गवाह बनी हुई है।
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