कृषि विश्वविद्यालय एवं कृषि विज्ञान केन्द्र कृषकों के लिए मन्दिर हैः सूर्य प्रताप शाही

कृषि में हम निरन्तर प्रगति कर रहें है। कई फसलों में हमारा आयात घटा है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में दलहन और तिलहन...

कृषि विश्वविद्यालय एवं कृषि विज्ञान केन्द्र कृषकों के लिए मन्दिर हैः  सूर्य प्रताप शाही

  • कृषि विश्वविद्यालय में  3 दिवसीय किसान मेला का समापन

कृषि में हम निरन्तर प्रगति कर रहें है। कई फसलों में हमारा आयात घटा है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में दलहन और तिलहन की उन्नत किस्मों से उपज बढ़ाया जा सकता है। कृषि विश्वविद्यालय एवं कृषि विज्ञान केन्द्र निरन्तर इस दिशा में कार्य कर रहें हैं। बुन्देलखण्ड में आर्थिक समृद्धि के लिए गौ सम्वर्धन आवश्यक है। देशी गाय जो छुट्टा घूम रहीं है उनका नस्ल सुधार करना आवश्यक है।

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यह बाते बाँदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बाँदा में  3 से 5 नवम्बर, 2022 तक आयोजित हो रहे 3 दिवसीय किसान मेला के समापन समारोह में कृषि , कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान मंत्री, सूर्य प्रताप शाही बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।उन्होने कहा कि जैविक एवं प्राकृतिक खेती की तरफ हमें कदम बढ़ाना पडेगा यही हमारी परम्परा थी। विश्वविद्यालय द्वारा दी जा रही सुविधाओं का किसान लाभ उठायें। उ.प्र. में देश में पैदा हो रही गेंहूँ का कुल 32 प्रतिशत तथा सब्जी में 7 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। दुग्ध उत्पादन में हम प्रथम स्थान में हैं। 

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बुन्देलखण्ड को अन्य एवं दुग्ध उत्पादन में प्रदेश को अग्रणी क्षेत्र बनाना है। बुन्देलखण्ड में खेत तालाब योजना का लाभ कृषकों को जल संरक्षित करके मिल रहा है। मत्स्य पालन से अतिरिक्त आय प्राप्त कर रहें है। खेती में स्प्रिंकलर एवं ड्रिप विधि का उपयोग भी समय की माँग है। जल का कम उपयोग करके खेती को करना आवश्यक है। कृषि विभाग के विभिन्न योजनाओं का लाभ कृषकों को मिल सके इसके लिए सबका प्रयास आवश्यक है। वर्तमान सरकार द्वारा दलहन एव तिलहन फसल के लिए मिनी किट उपलब्ध कराया गया है। ललितपुर में चिरौंजी की खेती में भारी गिरावट आयी है।

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श्री शाही जी ने कहा की विश्वविद्यालय प्रक्षेत्र में केले की खेती, तालाब पर केले, फूल व सब्जी खेती का प्रदर्शन लगाकर किसानों को तकनीक अपनाने हेतु जागरूक करें। करौंदा और आँवला की खेती कर अतिरिक्त आये सृजित करें। विशिष्ट अतिथि के रूप में  सांसद,  आर. के. सिंह पटेल ने कहा की हम अपने पूर्वजों की सिखाई बातें भूल गये हैं जिसकी वजह से हम पोषण से दूर हुए हैं। पहले खाने में पोषण की प्रचूरता रहती थी क्योंकि सब्जी, फल हमारे घरों के बगल एवं गौशालों के बगल में उपजाई जाती थी। 

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बुन्देलखण्ड विकास बोर्ड के अध्यक्ष, अयोध्या प्रसाद पटेल ने कहा कि यह विश्वविद्यालय कृषक हितैसी तकनीकी प्रसार कर रहा है जो सराहनीय है। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा शोध कार्यों को बढ़ावा दिया जा रहा है। कार्यक्रम में राजेश सिंह सेंगर ने भी अपने विचार व्यक्त किये।विश्वविद्यालय के कुलपति ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह मेला यहाँ के कृषकों के लिए लाभदायक हो इसी उद्देश्य से इसका आयोजन किया गया है। आयोजित तकनीकी सत्र प्राकृतिक खेती एवं बकरी पालन पर कृषकों के लिए लाभकारी रहा। 

मेला के माध्यम से रबी फसलों के बीज उपलब्ध कराये गये। विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार, डॉ. एन. के. बाजपेयी ने सबका स्वागत एवं अभिनन्दन किया तथा मेले के आयोजन के बारे में विस्तार से बताया। मंच पर भाजपा जिलाध्यक्ष, संजय सिंह,श्याम बिहारी गुप्ता,  राजीव कुमार झा व अन्य गणमान्य उपस्थित रहे। तीन दिवसीय मेले में विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया तथा जरूरतमंदों को उचित सलाह एवं सुविधा प्रदान की।

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