खेती में अभिरूचि व बुन्देलखण्ड मेें जलवायु परिवर्तन के कारण पलायन शुरू हुआःरामकेश निषाद
खेती में अभिरूचि तथा बुन्देलखण्ड मेें जलवायु परिवर्तन के कारण पलायन शुरू हुआ। पलायन किसी समस्या का समाधान नहीं...
खेती में अभिरूचि तथा बुन्देलखण्ड मेें जलवायु परिवर्तन के कारण पलायन शुरू हुआ। पलायन किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता। कृषकों, युवाओं एवं आम जनमानस को खेती की तरफ जोड़ना होगा। इस कार्य में वर्तमान सरकार हर सम्भव प्रयास कर रही है। कृषि विश्वविद्यालय बाँदा द्वारा आयोजित हो रहे इस मेले का भी यही उद्देश्य है कि प्राकृतिक खेती की तरफ कृषकों को जागृत किया जाये। यह बात बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बाँदा में 3 से 5 नवम्बर, 2022 को आयोजित हो रहे 3 दिवसीय किसान मेला के दूसरे दिन प्राकृतिक कृषि-वर्तमान परिदृश्य एवं रणनीतियाँ विषयक तकनीकी कार्यशाला में प्रदेश के जल शक्ति मंत्री रामकेश निषाद ने बतौर मुख्य अतिथि कही।
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उन्होने कहा कि बुन्देलखण्ड में शुरू से ही रसायनिक खादों का प्रचलन अत्यन्त कम है। खेती-किसानी के लिए इच्छा शक्ति को और बढ़ाना होगा। प्राकृतिक खेती में विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा वैज्ञानिक अवधारणा से कार्य किया जा रहा है जो काबिले तारीफ है। ललितपुर, महोबा, झाँसी तथा चित्रकूट के किसान लगभग प्राकृतिक विधि से ही खेती कर रहें हैं, अतः इस क्षेत्र को प्राकृतिक खेती का हब बनाया जा सकता है। वैज्ञानिक सलाह से कृषक खेती में और आय बढ़ा सकता है। इस मेले के माध्यम से कृषक सरकार की योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठा सकते हैं। इस कृषक हितैसी कार्यक्रम के आयोजन के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेन्द्र प्रताप सिंह तथा निदेशक प्रसार, डॉ. एन. के. बाजपेयी निश्चित तौर पर बधाई के पात्र हैं।
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कार्यशाला में विश्वविद्यालय द्वारा गठित समिति के अध्यक्ष डॉ. आर. के. सिंह, सह-अध्यक्ष डॉ. जगन्नाथ पाठक, डॉ. दिनेश शाह व सदस्य सचिव डॉ. अमित कुमार सिंह रहे। प्राकृतिक खेती पर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार सिंह, डॉ. प्रिया अवस्थी, डॉ. अमित कुमार मिश्रा, डॉ. अमित कुमार सिंह तथा के. एस. तोमर व डॉ. महरूफ अहमद ने व्याख्यान दिया। अपेडा के महा प्रबंधक वी. के. विद्यार्थी ने जलवायु परिवर्तन एवं प्राकृतिक खेती पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से जंगलों, जानवरों एवं अन्य परिस्थितिक तंत्र को मजबूत बनाया जा सकता है।
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कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो. नरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि मेला में प्रतिभाग करने वाले कृषक निश्चित तौर पर लाभ उठायेंगे। बुन्देलखण्ड में चित्रकूट को केन्द्र बनाकर पर्यटन विकसित किया जाये जिसमें कृषकों की आमदनी तथा तकनीकी विकास में मदद मिलेगी। बुन्देलखण्ड प्राकृतिक खेती में देश का अग्रणी क्षेत्र बनेगा। इस क्षेत्र में विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक तकनीकी सलाह के लिए हमेशा तत्पर रहेंगे। विश्वविद्यालय द्वारा बुन्देलखण्ड की प्राकृतिक खेती एवं उत्पाद के ब्राण्डिग के लिए योजना बना रहा है। किसान मेले में आज दूसरे दिन भी किसान भारी संख्या में प्रतिभाग किये। महिला किसानों की संख्या भी ज्यादा रही।
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पशु प्रतियोगिता में विभिन्न नस्लों की बकरियाँ, बकरे, भेड़ एवं मुर्गे पशु पालकों द्वारा लाये गये थे, जो मेले के आकर्षण का केन्द्र थे। इस प्रतियोगिता का आयोजन डॉ. मयंक दुबे एवं डॉ. मानवेन्द्र सिंह द्वारा कराया गया था। मेले में सबसे ज्यादा आकर्षण का केन्द्र कृषि प्रसार विभाग के स्नात्कोत्तर के छात्रों द्वारा बनाया गया सेल्फी पॉइन्ट रहा, जहाँ पर सभी आगंतुक छात्र-छात्रायें, किसान, वैज्ञानिकों, जनप्रतिनिधियों को फोटो खिचाते हुए देखा गया।