गांव का ये सरकारी स्कूल सब पर भारी

Jun 10, 2020 - 14:01
Jun 11, 2020 - 14:13
 0  2
गांव का ये सरकारी स्कूल सब पर भारी

परिषदीय विद्यालयों की बदहाली हल करने के लिए सभी सरकारों ने कुछ न कुछ उपाय किये लेकिन विभिन्न कारणों की वजह से सरकार की योजनाएं परवान चढ़ने से पहले फ्लाप हो गयी। वर्तमान भाजपा सरकार ने भी परिषदीय विद्यालयों की दशा व दिशा सुधारने के लिए कोई न कोई उपाय किये। पूर्ववर्ती सपा सरकार ने परिषदीय विद्यालयों को मॉडल स्कूल में बदलने के लिए मुहिम शुरू की थी। उसी मुहिम को आगे बढ़ाते हुए प्रदेश की योगी सरकार ने भी कुछ परिषदीय विद्यालयों को मॉडल स्कूल में परिवर्तित करने के लिए चिन्हित किया, और इसके लिए अध्यापकों की नियुक्ति भी की गई। साथ ही सरकार ने कायाकल्प योजना के तहत धन भी आवंटित किया। इसके बाद भी योजना शुरू होने के दो साल बाद भी परिषदीय स्कूलों की बदहाली दूर नही हुई।

मात्र चित्रकूट धाम मण्डल के जनपद बाँदा में एक परिषदीय विद्यालय है, जो अध्यापक की अपनी मेहनत व जनसहयोग से कायाकल्प करने में सफल हुआ है। यह विद्यालय है कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय कनवारा 2, जो बड़ोखर खुर्द ब्लाक के अंतर्गत है। यह गांव बाढ़ प्रभावित है, जहां के लोग हर साल बाढ़ आने से परेशान हो जाते है। इस इलाके से बालू निकलती है, जिससे यहां के लोग बालू के धंधे में लिप्त रहते है और बच्चे भी शिक्षा के मामले में रूचि नही लेते है। परन्तु इस विद्यालय के प्रधानाध्यापक आशुतोष त्रिपाठी ने इस गांव के बच्चों को न सिर्फ पढ़ने के लिए प्रेरित किया बल्कि विद्यालय को भी सामुदायिक सहभागिता से नया स्वरूप प्रदान किया। इस समय विद्यालय में बच्चों के लिए पांच कम्प्यूटर सेट, प्रत्येक कक्षा में बच्चों के लिए स्मार्ट टीवी, साथ ही पूरा स्कूल वाईफाई की सुविधा से परिपूर्ण है। इतना ही नही विद्यालय की निगरानी ले लिए सीसी टीवी कैमरे, इन्वर्टर और बच्चों को ठण्डा पानी पीने के लिए फ्रिज भी मुहैया कराया गया है।

प्रधानाध्यापक ने बच्चों के खेलकूद का भी ध्यान रखा है। विद्यालय के आसपास स्वच्छ वातावरण, खेलकूद का सामान और पुस्तकालय भी विद्यालय में मौजूद है। बच्चों के सहयोग से किचेन गार्डन भी बनाया गया है। कुल मिलाकर यह ऐसा मॉडल स्कूल है जो किसी भी पब्लिक स्कूल से कम नही है। विद्यालय की तस्वीर बदलने में अध्यापकों के साथ-साथ बच्चों का भी योगदान है। अगर इस विद्यालय से प्रेरणा लेकर अन्य परिषदीय विद्यालयों के शिक्षक भी पुरातन पद्धति को बदलकर विद्यालयों को एक नया स्वरूप दे तो निश्चित ही शिक्षा के क्षेत्र में ‘क्रांतिकारी परिवर्तन’ आ सकता है।

इस सम्बंध में विद्यालय के प्रधानाध्यापक आशुतोष त्रिपाठी का कहना है कि विद्यालय की ‘कायाकल्प’ बिना किसी सरकारी सहायता के की गई है। इसमें विद्यालय की अध्यापिका अंजना और शिक्षक अजय सिंह व परिचालक प्रमोद सिंह की मेहनत भी शामिल है। इस विद्यालय में गरीब बच्चों की संख्या ज्यादा है, इसलिए हमारा प्रयास है कि उन्हें पब्लिक स्कूलों की तरह बेहतर शिक्षा मिले। भविष्य में भी विद्यालय को और बेहतर व सुविधायुक्त का प्रयास विद्यालय के छात्राओं के साथ मिलकर किया जाएगा। इस विद्यालय में किये गए कायाकल्प की प्रशंसा जिलाधिकारी हीरालाल व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी हरिशचन्द नाथ भी कर चुकें है।

आशुतोष त्रिपाठी बताते हैं,

इस विद्यालय में बच्चों के लिए पांच कम्प्यूटर सेट, प्रत्येक कक्षा में बच्चों के लिए स्मार्ट टीवी, साथ ही पूरा स्कूल वाईफाई की सुविधा से परिपूर्ण है। इतना ही नही विद्यालय की निगरानी ले लिए सीसी टीवी कैमरे, इन्वर्टर और बच्चों को ठण्डा पानी पीने के लिए फ्रिज भी मुहैया कराया गया है, साथ ही बच्चों के खेलकूद का भी ध्यान रखा गया है । विद्यालय के आसपास स्वच्छ वातावरण, खेलकूद का सामान और पुस्तकालय भी विद्यालय में मौजूद है। बच्चों के सहयोग से किचेन गार्डन भी बनाया गया है। कुल मिलाकर यह एक ऐसा मॉडल स्कूल है जो किसी भी पब्लिक स्कूल से कम नही है।

What's Your Reaction?

Like Like 1
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0
admin As a passionate news reporter, I am fueled by an insatiable curiosity and an unwavering commitment to truth. With a keen eye for detail and a relentless pursuit of stories, I strive to deliver timely and accurate information that empowers and engages readers.