नोटा का सोटा चलाने वाले बुंदेलखंड के मतदाता, अबकी फिर विधासभा चुनाव में चुनौती बनेंगे
बुंदेलखंड में पिछले दो विधासभा चुनावों में नोटा का सोटा खूब चला। वर्ष 2013 में सबसे अधिक नोटा का बटन दमोह जिला की जबेरा विधानसभा और सबसे..
बुंदेलखंड में पिछले दो विधासभा चुनावों में नोटा का सोटा खूब चला। वर्ष 2013 में सबसे अधिक नोटा का बटन दमोह जिला की जबेरा विधानसभा और सबसे कम सागर जिले की खुरई विधानसभा में दबाया गया था। वहीं वर्ष 2018 में सबसे अधिक दमोह जिला के हटा विधानसभा और सबसे कम निवाड़ी जिले की पृथ्वीपुर विधानसभा में नोटा का बटन का उपयोग मतदाताओं ने किया था। इस बार भारतीय जनता पार्टी ने अपनी चौथी सूची में 57 प्रत्याशियों की घोषणा की। पार्टी ने इस सूची में उन विधायकों को भी वापस मैदान में उतार दिया है जिनके खिलाफ स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं में रोष प्रगट करते हुए नोटा का बटन दबाया था। एक बार फिर यही मतदाता इन प्रत्याशियों के लिए चुनौती बनेंगे।
यह भी पढ़े :बांदा : कनवारा बालू खदान पर छापा, 535 घन मीटर अवैध खनन पाया गया, खदान सीज
पार्टी को शायद 2018 के परिणाम याद नहीं रहे, भाजपा 11 सीटों में उन नाराज मतदाताओं के कारण हारी थी, जिन्होंने ‘नोटा’ को वोट दिया था। ऐसी सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के विजयी प्रत्याशी के बीच हार-जीत के अंतर से ज्यादा नोटा’ को वोट मिले थे। कहीं न कहीं इसके लिए वहीं पुराने परंपरागत चेहरे भी एक वजह मानी गई थी। राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि ये वोट भाजपा से ही नाराज थे इसलिए उन्होंने कांग्रेस का साथ न देकर नोटा को विकल्प के रूप में चुना।
यह भी पढ़े :डॉ अंबेडकर नगर प्रयागराज एक्सप्रेस और गरीब रथ का अब अतर्रा में ठहराव, इन ट्रेनों के समय में बदलाव
बता दें, कि 230 सदस्यों वाली मप्र विधानसभा में भाजपा को 109, कांग्रेस को 114, बसपा को दो, सपा को एक और निर्दलीय के खाते में चार सीटें गई थीं। पिछले चुनाव परिणामों के विश्लेषण में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। इन 11 सीटों पर यह मान लिया जाए कि मतदाताओं की नाराजी अथवा प्रत्याशियों के प्रति निराशा न होती तो वर्ष 2018 में प्रदेश की सियासी तस्वीर कुछ और ही होती। इनमें से यदि आधी सीटों पर ही नोटा’ का असर न पड़ता अथवा वह वोट भाजपा के खाते में चला जाता तो प्रदेश में कांग्रेस के बजाय चौथी बार फिर भाजपा की सरकार ही बन जाती।नोटा’ ने बदल दिए परिणाम ब्यावरा में कांग्रेस प्रत्याशी 826 वोट से जीते, जबकि नोटा में 1481 मत गिरे। दमोह में पूर्व वित्तमंत्री जयंत मलैया 798 मतों से हारे और नोटा में 1299 वोट निकले।
यह भी पढ़े :सेफ सिटी योजना: अब तक कुल 2378 कैमरों को किया गया आईसीसीसी से इंटीग्रेट
गुन्नाोर में जीत हार का अंतर 1984 मतों का रहा, जबकि नोटा में 3734 वोट चले गए। ग्वालियर दक्षिण का फैसला 121 वोटों से हुआ, लेकिन 1550 मतदाताओं ने नोटा दबा दिया। जबलपुर उत्तर में पूर्व राज्यमंत्री शरद जैन 578 मतों से हारे और 1209 नोटा को अपना मत दे दिया। जोबट में 2056 मतों से फैसला हुआ, लेकिन नोटा में सबसे ज्यादा 5139 वोट चले गए। मंधाता में भले ही जीत-हार का फैसला 1236 वोट से हुआ हो पर 1575 मतदाताओं ने नोटा को चुना। नेपानगर में भाजपा प्रत्याशी को जीतने के लिए 732 वोट चाहिए थे पर 2551 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प अपनाया। सुर्खियों में रही सीट राजनगर में राजपरिवार के विक्रम सिंह नातीराजा 732 वोट से जीते और 2485 वोट नोटा में चले गए उधर राजपुर सीट पर भाजपा प्रत्याशी को जीत के लिए 932 वोट चाहिए थे, लेकिन 3358 मतदाताओं ने उनके बजाय नोटा का बटन दबा दिया। सुवासरा में भी भाजपा प्रत्याशी को जीतने के लिए मात्र 350 वोट चाहिए थे, लेकिन 2976 मतदाताओं ने उन्हें अथवा किसी अन्य प्रत्याशी को चुनने के बजाय नोटा का विकल्प चुन लिया।
यह भी पढ़े :हमीरपुर : छह माह की बच्ची से दरिंदगी में सगा चाचा गिरफ्तार
बुंदेलखंड के टीकमगढ़, छतरपुर, दमोह और सागर जिले की सभी विधानसभाओं में वर्ष 2013 में 318 विभिन्न प्रत्याशी मैदान में उतरे थे। 45775 मतदाताओं को बुंदेलखंड की विधानसभा सीटों पर एक भी प्रत्याशी पंसद नहीं आया। इन मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाकर उन्हें नकारा था। बुंदेलखंड की टीकमगढ़, खरगापुर, जतारा, पृथ्वीपुर, निवाड़ी, छतरपुर, चंदला, महाराजपुर, राजनगर,मलहरा, बिजावर, दमोह, हटा, पथरिया, जवेरा, सागर, बंडा, नरयाबली, रहली, सुरखी, खुरई, बीना, देवरी विधानसभा सीट से कुल 318 प्रत्याशी मैदान में थे। वहीं वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भी 35555 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प अपनाया।
यह भी पढ़े :इस दरिन्दे ने बुझा दिया घर का इकलौता चिराग, नदी किनारे मिली मासूम की लाश
वर्ष 2013 में सबसे अधिक नोटा का उपयोग दमोह जिले की जवेरा विधानसभा में 2.69 प्रतिशत, हटा विधानसभा में 2.32 प्रतिशत, छतरपुर की राजनगर विधानसभा में 2.48 प्रतिशत और बिजावर विधानसभा में 1.92 प्रतिशत किया गया है। वहीं वर्ष 2018 में फिर दमोह जिले की हटा विधानसभा में 2.10 प्रतिशत, छतरपुर की चंदला विधानसभा में 2.03 प्रतिशत, राजनगर विधानसभा में 1.72 प्रतिशत, टीकमगढ़ जिले की जतारा विधानसभा में 1.71 प्रतिशत नोटा का बटन दबाया गया है।
यहां किया गया नोटा का सबसे कम उपयोग
वर्ष 2013 में सागर जिले की खुरई विधानसभा में 0.28 प्रतिशत और टीकमगढ़ विधानसभा में 0.52 प्रतिशत नोटा का उपयोग किया गया है। वहीं वर्ष 2018 में निवाड़ी जिले की पृथ्वीपुर विधानसभा में 0.24 प्रतिशत, निवाड़ी विधानसभा में 0.33 प्रतिशत, दमोह जिले की पथरिया विधानसभा में 0.28 और सागर जिले की खुरई विधानसभा में 0.40 प्रतिशत नोटा पर बटन दबाया गया है।