बांदा से चोरी हुई योगिनी की दूसरी मूर्ति लंदन से आ रही है, पहले लोखरी गांव की मूर्ति फ्रांस में मिली

बुंदेलखंड के जनपद बांदा में बड़ी संख्या में प्राचीन दुर्लभ देवी देवताओं की मूर्तियां चोरी हुई है। इनमें से एक मूर्ति 9 साल पहले ही फ्रांस से भारत पहुंची थी..

बांदा से चोरी हुई योगिनी की दूसरी मूर्ति लंदन से आ रही है, पहले लोखरी गांव की मूर्ति फ्रांस में मिली

बुंदेलखंड के जनपद बांदा में बड़ी संख्या में प्राचीन दुर्लभ देवी देवताओं की मूर्तियां चोरी हुई है। इनमें से एक मूर्ति 9 साल पहले ही फ्रांस से भारत पहुंची थी और अब लंदन में बरामद हुई योगिनी देवी की मूर्ति जनपद बांदा के लोहारी गांव की बताई जा रही है। पहले इस मूर्ति को चित्रकूट के लोखरी गांव का बताया गया था। 

जनपद बांदा के अतर्रा तहसील अंतर्गत पुनाहुर गांव के निवासी व अखिल भारतीय बुंदेलखंड विकास मंच के सचिव नसीर अहमद सिद्दीकी ने दावा किया कि चित्रकूट के लोखरी गांव की योगिनी देवी की प्रतिमा को फ्रांस से लाने के बाद 19 सितंबर 2013 को राष्ट्रीय संग्रहालय दिल्ली में रखा गया था और इसकी प्रदर्शनी भी लगाई गई थी।

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banda old temple murti come back from london, इस मंदिर से चोरी हुई थी मूर्ति

(इस मंदिर से चोरी हुई थी मूर्ति)

तश्कर, मूर्तियों की हूबहू नकल तैयार कर सेफ हाउस से असली मूर्तियों को हटाकर उनके स्थान पर नकली मूर्तियां रख देते हैं. चोरी की असली मूर्तियों को चेन्नई और मुंबई के कुछ ऑर्ट डीलर अपने गोदामों में छिपाते थे. फिर उन्हें हॉन्ग कॉन्ग और यूरोप के रास्ते से होते हुए अमेरिका पहुंचा दिया जाता था. इस बीच उन कलाकृतियों को नए सिरे से सजा संवार लिया जाता था. फिर नकली दस्तावेजों के आधार पर उन्हें नई पहचान दे कर ऑर्ड गैलरी में नीलामी के लिए रखवा दिया जाता था. इस तरह से भारत के मंदिरों की मशहूर मूर्तियां कानून की नाक के नीचे आराम से खरीदी और बेच दी जाती थीं। 

चोरी की कलाकृतियों के अंडरवर्ल्ड के बहुत से राज अब बाहर आ चुके हैं. इस मामले में 2016 में तमिल नाडु पुलिस के मूर्ति चोरी के खिलाफ बने विभाग के दो पुलिस अफसर भी गिरफ्तार हुए. खबरों के मुताबिक जिस विभाग को मूर्तियों की चोरी रोकने के लिए बनाया गया था, उसके बहुत से पुलिस वाले विभीषण साबित हुए. सुभाष कपूर के इशारे पर उनके संरक्षण में चोरों का एक नेटवर्क मंदिरों से मूर्तियों की चोरी करता था, थ्ठप् द्वारा जारी इंटरपोल नोटिस पर जर्मनी में गिरफ्तारी के बावजूद सुभाष कपूर को भारत प्रत्यार्पित किया गया. कपूर तमिल नाडु के त्रिचरापल्ली की सेंट्रल जेल में बंद है।

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  • प्रेत बाधा के भय से रॉबर्ट की पत्नी ने भारतीय दूतावास को लौटाई मूर्ति

उन्होने बताया कि चित्रकूट धाम के लोखरी गांव की तृष्णा योगिनी वृषानन मूर्ति की छह फरवरी 1986 को चोरी हुई थी। जो कि तस्करी के ज़रिये इंगलैंड के रास्ते फ्रांस पहुँच गई थी। जिसे रॉबर्ट श्रिम्पफ द्वारा अधिग्रहित किया गया था. रॉबर्ट की मृत्यु के पश्चात जब उसकी पत्नी को पता चला कि उक्त मूर्ति का सम्बंध तंत्र-मंत्र भूत-प्रेत बाधा से है तो उसने इसे पेरिस में भारतीय दूतावास को दान स्वरूप वापस करने का फैसला किया।

2008 में, मूर्तिकला को दूतावास में लाया गया जहां यह चार साल तक रहा। तत्कालीन संस्कृति मंत्री चंद्रेश कुमारी कटोच के पेरिस दौरा के दौरान मूर्ति को वापस भेजने की व्यवस्था की गई थी। इसे भारत वापस लाने में 2001 से 12 साल लग गए थे। इसका अनावरण 19 सितंबर 2013 को राष्ट्रीय संग्रहालय में किया गया। संग्रहालय की प्रदर्शनी में 

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6 वीं और 10 वीं शताब्दी कालीन मूर्ति योगिनी पंथ के तत्वों को उजागर करती है। जो स्कंद पुराण, अग्नि पुराण, कौलज्ञान निरनय जैसे पवित्र ग्रंथों और योगिनमावली नामक सूचियों में निहित थी। इन कलाकृतियों में डीलरों और नीलामी घरों द्वारा वार्षिक व्यापार लाखों डॉलर में चलता है।एक यूरोपीय विशेषज्ञ द्वारा वृषण योगिनी का मूल्य एक मिलियन यूरो आंका गया था।

बलुआ पत्थर से निर्मित 400 किलोग्राम वजन, भैंस के सिर वाली योगिनी वृषानन मूर्ति की लंबाई साढ़े चार फीट है। बाएं हाथ में कमल व दाएं में बिल्व फल है। हंस की सवारी कर वह बिल्व फल को खाती दिखती हैं। आंखें चितन को लेकर आधी बंद हैं। हार, पायल, चूड़ियां व कमरबंद के कारण आदिवासी जुड़ाव दिखता है। मान्यता है कि अमावस्या की रात्रि को तांत्रिक, योगिनी वृषानन मूर्ति के सम्मुख आराधना कर भूत-प्रेत को वश में करते हैं।

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  • 13 प्राचीन मूर्तियां व वस्तुएं भारत वापस आई

नटराज से लेकर योगिनी वृषण तक, 13 प्राचीन वस्तुएं भारत ने वापस लाईं. इनमें से सात संयुक्त राज्य अमेरिका से हैं, सभी चोल काल के हैं। चार यूनाइटेड किंगडम से बरामद किए गए हैं, जबकि शेष दो में से एक फ्रांस और दूसरा नीदरलैंड से वापस आया है। 1991 में लंदन से नटराज की मूर्ति भारत सरकार को कानूनी सहारा के बाद वापस मिली थी। 2013 में योगिनी वृषानन  मूर्ति फ्रांस से वापस लाई गई थी। 

बांदा से चोरी हुई योगिनी की दूसरी मूर्ति लंदन से आ रही है, पहले लोखरी गांव की मूर्ति फ्रांस में मिली , 2013 को भारत वापस आई मां योगिनी की मूर्ति

(2013 को भारत वापस आई मां योगिनी की मूर्ति)

नसीर अहमद सिद्दीकी के मुताबिक  प्रारम्भ में चित्रकूटधाम की दुर्लभ तृष्णा योगिनी वृषानन मूर्ति के नीचे लोखरी गांव (बांदा), उत्तर प्रदेश लिखा गया था। जिसे अब लोखरी गांव, बस्ती, उत्तर प्रदेश कर दिया गया है। अखिल भारतीय बुन्देलखण्ड विकास मंच की ओर से जिसकी शिकायत महा निदेशक,  भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को भी की गई है। सवाल यह है कि अब अगर फ्रांस से लोखरी गांव चित्रकूट धाम की योगिनी वृषानन मूर्ति आ रही है तो 2013 में भारत पहुँची योगिनी वृषानन मूर्ति को लोखरी गाँव क्यूँ बताया गया?

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  • लंदन में मिली योगिनी की मूर्ति बांदा के लोहारी गांव से हुई थी चोरी 

जिले के लोहारी गांव से करीब सौ साल पहले चोरी हुई योगिनी माता की मूर्ति (स्थानीय भाषा में महामाई दाई), जो लंदन के ब्रिटेन में बरामद हुई है। मूर्ति को भारत वापस लाए जाने की खबर से हर कोई खुश है। तिदवारी के लोहारी गांव के बाहर एक बाग के पास टीलानुमा स्थान है। भारतीय उच्चायोग की जानकारी के अनुसार, यहीं से चोरी मूर्ति ब्रिटेन में एक महिला के घर बरामद हुई, जिसे वापस लाने की तैयारी है।

लंदन में एक घर के बगीचे में मिली योगिनी बाँदा की मूर्ति

(लंदन में एक घर के बगीचे में मिली योगिनी की मूर्ति )

ग्रामीणों के मुताबिक, टीले पर माता का भव्य मंदिर था, जो समय के साथ नष्ट हो गया। गांव से मूर्ति कब चोरी हुई और कहां गई, ये ठीक से किसी को नहीं पता है। हालांकि, मंदिर स्थल में करीब 200 साल से पूजा-अर्चना हो रही। गांव के 85 वर्षीय राम सजीवन ने बताया कि अंग्रेजों के शासनकाल से पहले तक मूर्ति मंदिर में थी। इसके बाद से ही गायब हुई। ऐसा उनके पूर्वज बताते थे। भारत की खोई मूर्तियों और कलाकृतियों को स्थापित कराने के काम में जुटी संस्था इंडिया प्राइड प्रोजेक्ट के सह संस्थापक विजय कुमार ने बताया कि कई साल से इसके लिए प्रयासरत थे। योगिनी माता की मूर्ति कुछ महीने में ही भारत आ जाएगी।

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