बायोरेमिडेशन विधि से केन नदी में जाने वाला प्रदूषित पानी रोका जाएगा
जिला मुख्यालय में स्थित केन नदी में करिया नाला और निम्नी नाले का प्रदूषित पानी बहकर जाता है। जिसे रोकने के लिए जिला अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल ने बायोरेमिडेशन का कार्य कराए जाने के लिए....
बांदा,
जिला मुख्यालय में स्थित केन नदी में करिया नाला और निम्नी नाले का प्रदूषित पानी बहकर जाता है। जिसे रोकने के लिए जिला अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल ने बायोरेमिडेशन का कार्य कराए जाने के लिए नगर पालिका परिषद बांदा के अधिशासी अधिकारी को निर्देशित किया है। बायोरेमिडेशन यानी जैवोपचारण की पद्धति से नदी में जाने वाली गंदगी को हटाने व क्षरण का प्रयास किया जाएगा।
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केन नदी में करिया नाला और निम्नी नाले के जरिए पूरे शहर का पानी पहुंचता है। इस पानी में गंदगी रहती है। इसी नदी से शहर को पीने का पानी जल संस्थान की ओर से आपूर्ति किया जाता है। दोनों नालों से नदी में जाने वाले गंदे पानी को रोकने के लिए जिला अधिकारी ने नगर पालिका को बायोरेमिडेशन पद्धति अपनाने के लिए कहा है। जिला अधिकारी सोमवार को जिला वृक्षारोपण समिति बैठक को संबोधित कर रही थी।
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बैठक में जिलाधिकारी ने अधिकारियों को जनपद लगभग 64 लाख वृक्षों के वृक्षारोपण किये जाने को सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों को निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप गड्ढों की खुदाई कराये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने पर्यावरण को सुरक्षित एवं संतुलित रखने को ठोस अपशिष्ट पदार्थों एवं मेडिकल वेस्ट तथा मैटेरियल वेस्ट का उचित प्रबन्धन सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों को करने के निर्देश दिये। उन्होंने निर्देशित किया कि नदी एवं नालों में प्रदूषित जल का शोधन करने के उपरान्त ही प्रवाहित किया जाए। उन्होंने प्राकृतिक खेती को बढाये जाने को नदियों के किनारे 05 किमी. के आस-पास बिना रसायनयुक्त खादों का प्रयोग कर खेती कराये जाने के सम्बन्ध में कृषि विभाग एवं सिंचाई विभाग के अधिकारियों को नसीहत दी। उन्होंने सभी खण्ड विकास अधिकारियों एवं जिला पंचायत राज अधिकारी को ग्रामीण क्षेत्रों में गंगा ग्राम समितियों का गठन करने तथा अपशिष्ट पदार्थों के प्रबन्धन को सभी आरसीसी सेन्टरों को संचालित कराने के निर्देश दिये।बैठक में मुख्य विकास अधिकारी वेद प्रकाश मौर्य, जिला वनाधिकारी, उप निदेशक कृषि, जिला पंचायतराज अधिकारी एवं सम्बन्धित अधिकारी उपस्थित रहे।
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क्या है बायोरेमिडेशन
एक ऐसी विधि है जिसमें पर्यावरण प्रदूषण जैविक प्रणालियों का उपयोग कर नियंत्रित होता है। यह पर्यावरण और जीवों को प्रभावित किए बिना सफाई प्रक्रिया को गति देता है। बायोरेमिडेशन का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण में विषैले या खतरनाक पदार्थों को जैविक तरीकों से गैर विषैले या कम खतरनाक पदार्थों में बदलना है। इन विधियों को लागू करते समय सूक्ष्मजीवों की मुख्य चिता होती है क्योंकि वे विभिन्न प्रतिक्रियाओं का उपयोग करना और प्रदर्शित करना आसान है। आनुवंशिक रूप से संशोधित सूक्ष्मजीवों का उपयोग, मूल सूक्ष्मजीवों का उपयोग, फाइटोरिडिएशन, बायोस्टिम्यूलेशन, जैव आक्षेप आदि इस पद्धति के मूल हैं।
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