यहां tear gas छोडने से लोगों की मुसीबत बढी,राहगीर और दुकानदार भी चपेट में

सिविल लाइन क्षेत्र में रविवार शाम से अचानक लोगों की आंखों में जलन के साथ आंसू निकलने लगे। पहले तो लोगों ने सोचा कि किसी झार की वजह से यह सिर्फ उन्हीं के साथ हो रहा है, लेकिन...

यहां tear gas छोडने से लोगों की मुसीबत बढी,राहगीर और दुकानदार भी चपेट में

सिविल लाइन क्षेत्र में रविवार शाम से अचानक लोगों की आंखों में जलन के साथ आंसू निकलने लगे। पहले तो लोगों ने सोचा कि किसी झार की वजह से यह सिर्फ उन्हीं के साथ हो रहा है, लेकिन धीरे-धीरे सैंकड़ों व हजारों लोग यही चर्चा करते हुए नजर आए। करीब एक घंटें से ज्यादा लोग अपनी आंखों में जलन और धुंधला नजर आने की शिकायत करते हुए नजर आए तो कुछ ने चिकित्सकों से चर्चा भी की।

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सिविल लाइन व आसपास के कुछ वार्ड में जब इस तरह की शिकायत सामने आने लगी तो पता चला कि पुलिस लाइन में ट्रेनिंग के दौरान छोड़े गए अश्रु गैस के गोलों से निकली गैस के कारण लोगों को यह तकलीफ हो रही है। हवाओं की वजह से यह धुआं सिविल लाइन चौराहा, चंद्रा पार्क, गोपालगंज, मधुकरशाह वार्ड सहित अन्य कई स्थानों पर पहुंचने से लोग आंखों में जलन होने पर एक-दूसरे से चर्चा करते हुए नजर आए।दिन ढलने के साथ ही इंटरनेट मीडिया पर भी लोगों ने इस समस्या को एक-दूसरे के साथ शेयर किया तो कई लोग अपनी-अपनी तकलीफें गिनाने लगे। कोई आंख व नाक में जलन तो कोई धुंधला नजर आने की चर्चा कर पोस्ट करते हुए दिखे।

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लोगों का कहना था कि पुलिस लाइन में ट्रेनिंग के दौरान छोड़े गए गोले मिस होने के कारण यह रिहायशी इलाके तक चले गए, जिसके कारण लोगों की आंखों में जलन हो रही है। सिविल लाइन के पास ही पुलिस लाइन भी है जहां पुलिस ट्रेनिंग होती रहती है, लेकिन हवा के कारण पहली बार इस तरह की समस्या बनी कि आसपास के लोग तक परेशान हो गए। सिविल लाइन के काली चरण चौराहा, सिविल लाइन चौराहा, इंद्रा कालोनी, गोपालगंज के झंडा चौक तक इसका असर देखा गया। कई लोग तो आंखों में जलन की शिकायत लेकर डाक्टरों के पास तक पहुंच गए। वहीं कुछ लोगों की जलन कुछ ही देर में कम हो गई तो वह घर पर ही रहे।

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सिविल लाइन क्षेत्र में इस धुएं का असर कुछ ज्यादा ही नजर आया। सिविल लाइन चौराहा के पास हाथ ठेले व होटलों में खाना छोंकने व मूंगफली वालों के ठेलों में से भी धुआं उठता है। पहले तो लोग इसे आसानी से ले रहे थे, लेकिन जलन बढ़ती गई तो कई लोग बेचौन हो गए। देखते ही देखते सिविल लाइन व गोपालगंज क्षेत्र से गुजरने वाले कई राहगीर आंखों में जलन की शिकायत करते रहे और यह स्थिति करीब एक से डेढ़ घंटे तक बनी रही।


डा. विवेक तिवारी, शिक्षक, रसायन शास्त्र ने बताया कि टीयर गैस में अमोनिया मिश्रित होता है। इस वजह से आंखों में जलन पैदा करती है, जिससे तेज आंसूआने लगते हैं। इसका उपयोग भीड़ को हटाने में पुलिस द्वारा किया जाता है। पानी के उपयोग से इसका प्रभाव कम होता है। कुछ लोगों ने फोन करके इस संबंध में शिकायतें भी की और मुझे भी यहां ऐसा अनुभव हुआ तो विवि आ गया। 

इस बारे में पुलिस अधीक्षक, सागर अभिषेक तिवारी ने बताया कि तीन दिसंबर को होने वाली मतगणना को देखते हुए रविवार को माक ड्रील हुई थी। समय-समय पर पुलिस कर्मियों को किसी भी अप्रिय स्थिति या भीड़ से निपटने के लिए बलवा ड्रील की ट्रेनिंग होती है। यह रूटीन प्रक्रिया है। इस दौरान दो से चार टीयर गैस वाले गोले तक छोड़े जाते हैं। फायरिंग के दौरान गैस के गोले मिस होने जैसी कोई घटना नहीं हुई है। हो सकता है कि हवा के कारण गैस रिहायशी इलाके तक पहुंच गई होगी। 

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