पाकिस्तान - रस्सी जल गई पर ऐंठ न गई
पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। अर्थव्यवस्था डांवा़डोल है इसके बावजूद देश की चाल..
@राकेश कुमार अग्रवाल
पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। अर्थव्यवस्था डांवा़डोल है इसके बावजूद देश की चाल, चरित्र और चेहरा बदलने का नाम नहीं ले रहा है। दोनों देशों के बीच लंबे अरसे से ठंडे पडे रिश्तों को लेकर जमी बर्फ के पिघलने के आसार बन गए थे लेकिन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के एकाएक फिर सुर बदल गए हैं।
प्रधानमंत्री इमरान खान ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद आर्थिक सलाहकारों व वाणिज्य मंत्रालय की टीमों से कहा कि वे भारत से कपास और चीनी के आयात के बारे में सोचना बंद करें। एवं सस्ता कच्चा माल अन्य देशों से मंगाने के विकल्प खोजें।
हालांकि पाकिस्तान की आर्थिक समन्वय समिति ( ईसीसी ) वैश्विक बाजार का तुलनात्मक अध्ययन करने के बाद अपनी रिपोर्ट में सरकार को बता चुकी है कि कच्चे माल के लिए भारत सबसे बढिया और सस्ता विकल्प है।
प्रजेंटेशन देखने के बाद ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और उनके मंत्रिमंडल ने भारत से चीनी और कपास के आयात की मंजूरी दी थी। इमरान खान ने कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने का मामला फिर उठाते हुए भारत से आयात करने पर फिर रोक लगा दी।
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गौरतलब है कि 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर की स्थिति में बदलावों के बाद पाकिस्तान ने विरोध स्वरूप भारत से सारा व्यापार रोकते हुए अपना उच्चायुक्त नई दिल्ली न भेजने की घोषणा की थी। बदले में भारत ने भी अपने उच्चायुक्त को इस्लामाबाद से वापस बुलवा लिया था।
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 23 मार्च को पाकिस्तान दिवस पर वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान को लिखे पत्र में शुभकामनाओं के साथ दोनों देशों के बीच अच्छे संबंधों के लिए विश्वास का वातावरण, आतंक और दुश्मनी से रहित माहौल को बेहद जरूरी बताया था।
जबाव में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने भी सहमति जताते हुए एक सक्षम वातावरण का निर्माण एक रचनात्मक और परिणामोन्मुख संवाद के लिए जरूरी बताया था।
इसी लीक पर आगे चलते हु्ए पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा ने कहा कि पुरानी बातों को भूलकर दोनों देशों को आर्थिक प्रगति पर ध्यान देना चाहिए।
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पाकिस्तानी हुक्मरानों के बदले सुरों के पीछे वहां की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था है। सऊदी अरब ने पाक को मदद देने से हाथ खींच लिए हैं। तेल उत्पादक ओपेक देशों ने अपना पैसा मांगने के लिए दबाब बनाना शुरु कर दिया है। देश में बिजली की दरों में बेतहाशा वृद्धि हुई है।
आयकर में दी जा रही छूटों को कम किया जा रहा है या वापस लिया जा रहा है। सेंट्रल बैंक को सरकार ने नियंत्रण मुक्त कर दिया है। चीन पर उसकी निर्भरता उसके लिए जी का जंजाल बन गई है। चीन - पाकिस्तान आर्थिक गलियारा ( सीपीईसी ) की लागत 42 बिलियन डालर आँक कर शुरु की गई थी लेकिन इसकी लागत बढकर 62 बिलियन डालर पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है।
पाकिस्तान का कर्ज बढकर 90 बिलियन डालर तक जा पहुंचा है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से हासिल लोन पर देश किसी तरह चल रहा है। जब तब भारत पर गुर्राने वाले पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था रसातल में जा रही है।
पाकिस्तान की जीडीपी महज 280 अरब डालर है जो कि बांग्लादेश से भी काफी पीछे है। क्योंकि बांग्लादेश की जीडीपी 320 अरब डालर को पार कर गई है। जहां तक भारत का सवाल है पाकिस्तान की जीडीपी भारत की जीडीपी का महज दसवां हिस्सा है। भारत की जीडीपी वर्तमान में 2.8 ट्रिलियन डालर है।
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अगस्त 2019 में जब भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर में संवैधानिक परिवर्तन किए थे उसके बाद से पाकिस्तान ने भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार को निलम्बित कर दिया था। इसके पहले पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान के मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा रद्द करने से दोनों देशों के मध्य व्यापार में भारी कमी आई थी।
आयात एवं निर्यात दोनों में जबरजस्त गिरावट दर्ज की गई थी। लेकिन पाकिस्तान इसके बावजूद ऐसा कोई मौका नहीं चूकता जिससे रिश्तों में दरार न बनी रहे। 2020 में पाकिस्तान की तरफ से युद्ध विराम उल्लंघन की 5133 घटनाओं को अंजाम दिया गया। जिसमें भारत के 46 सैनिक शहीद हो गए।
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एक तरफ पाकिस्तान पाकुल दुल, रैटल, किशनगंगा, मियार और लोअर कालनई जैसी भारतीय जल विद्युत परियोजनाओं पर आपत्ति करता है वहीं दूसरी ओर वह चीन के साथ मिलकर सिंधु नदी पर बडी जल विद्युत परियोजनाओं पर समझौता कर रहा है।
कोरोना काल में पाकिस्तान के हालात और विकट हो चुके हैं। ऐसे में भारत के साथ संबंध को बिगडे रहने के बजाए जरूरत है कि पाकिस्तान भारत का अंध विरोध करना बंद करे अन्यथा वहां की अवाम का सरकार से पहले से ही मोहभंग हो चुका है।
कई राज्यों में बगावत के हालात बने हुए हैं। ऐसे में यदि कश्मीर राग को पाकिस्तानी हुकूमत गाती रही तो देश को पटरी पर लाना और भी दुरूह हो जाएगा।
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