बांदा के नीलेश का भी चन्द्रयान-3 मिशन में रहा योगदान
प्रभु श्रीराम की तपोस्थली के युवा नीलेश सिंह ने चन्द्रमा के दक्षिणी धु्रव में चन्द्रयान-3 की सुरक्षित लैडिंग में भी अहम भूमिका निभाई है। इससे धर्मनगरी चित्रकूट के लोगों में खुशी की लहर ...
-चित्रकूट को बनाया है निवास स्थान
चित्रकूट। प्रभु श्रीराम की तपोस्थली के युवा नीलेश सिंह ने चन्द्रमा के दक्षिणी धु्रव में चन्द्रयान-3 की सुरक्षित लैडिंग में भी अहम भूमिका निभाई है। इससे धर्मनगरी चित्रकूट के लोगों में खुशी की लहर है।
विश्व पटल पर हिन्दुस्तान का स्विर्णम इतिहास लिखने वाले इस मून मिशन का हिस्सा रहे नीलेश के पिता गगन सिंह बांदा जिले के पिपरहरी गांव के मूल निवासी है।
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मिलिट्री में सेवा करने के बाद 1992 में रिटायर हो गए थे। उन्होंने चित्रकूट को निवास बनाकर महात्मा गांधी ग्रामोदय विवि में वाहन चालक पद पर कार्य करते हुए बच्चों को शिक्षा प्रदान कराया। तीन पुत्र, एक पुत्री है। बेटे नीलेश ने कक्षा पांच तक चित्रकूट के विद्याधाम उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने के बाद दसवीं तक नागौंध के नवोदय विद्यालय में पढ़ाई की। 11वीं व 12वीं की शिक्षा भोपाल के सेट्रल स्कूल में प्राप्त की। आईआईटी दिल्ली से इलेक्ट्रानिक कम्युनिकेशन की डिग्री हासिल करने के बाद 2018 में इसरो में वैज्ञानिक बने। चन्द्रयान-3 मिशन में इनका भी योगदान रहा।
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बहन प्रोजेक्ट साइंटिस्ट, भाई सुखोई के तकनीकी सहायक, दूसरा भाई है शिक्षक
इसरो में वैज्ञानिक नीलेश सिंह की मां आशा देवी गृहणी है। बड़ी बहन रजनी सिंह उप्र रिमोट सेंसिंग एप सेंटर में प्रोजेक्ट साइंटिस्ट है। डा रजनी राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में भी सेवाएं दे चुकी है। छोटा भाई निर्भय सिंह एअरफोर्स के सुखोई फाइटर जे-30 में तकनीकी सहायक है। जबकि दूूसरा भाई धनराज सिंह महात्मा गांधी ग्रामोदय विवि से एमएड, बीएड गोल्ड मेडलिस्ट है जो शिक्षक की सेवाएं दे रहे हैं।
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