नसीमुद्दीन सिद्दीकी और राम अचल राजभर की मुश्किलें बढ़ी, संपत्ति कुर्क करने के आदेश
लखनऊ कोर्ट के फैसले ने बसपा के पूर्व महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी और राम अचल राजभर की मुश्किलें बढ़ा दी हैं..
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लखनऊ कोर्ट के फैसले ने बसपा के पूर्व महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी और राम अचल राजभर की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। अदालत ने सोमवार को नसीमुद्दीन सिद्दीकी और राम अचल राजभर की संपत्ति कुर्क करने के आदेश दिए हैं।
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मामला बीजेपी नेता दयाशंकर सिंह के परिवार की महिलाओं व उनकी बेटी के लिए अमर्यादित शब्द इस्तेमाल करने का है। इस आरोप में नसीमुद्दीन सिद्दीकी और राम अचल राजभर के खिलाफ आपराधिक मामला चल रहा है। कोर्ट ने अब दोनों आरोपियों की संपत्ति कुर्क करने का आदेश दे दिया है।
अदालत ने थाना हजरतगंज को कु्र्की की कार्रवाई की रिपोर्ट 22 फरवरी को पेश करने के आदेश दिए हैं।
दयाशंकर सिंह की मां तेतर देवी द्वारा की गई शिकायत के अनुसार 20 जुलाई 2016 को बसपा सुप्रीमो मायावती ने राज्य सभा में उन्हें, उनकी बेटी, बहू समेत परिवार की सभी महिलाओं को अपशब्ध कहे. इसके दूसरे दिन नसीमुद्दीन सिद्दीकी, मेवालाल और रामअचल राजभर की अगुवाई में बसपा कार्यकर्ताओं ने हजरतगंज स्थित अंबेडकर प्रतिमा पर धरना प्रदर्शन करते हुए उनके बेटे दयाशंकर सिंह को मां-बहन की गालियां दी और बेटी पर अभद्र टिप्पणी की। मामले में वर्ग और जातीय भेद बताते हुए भीड़ को हिंसा के लिए उत्तेजित करने के साथ-साथ बलात्कार की श्रेणी के भी आरोपी हैं।
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गौरतलब है कि बसपा के तत्कालीन राष्ट्रीय सचिव मेवा लाल गौतम, अतर सिंह राव, नौशाद अली भी इस मामले में अभियुक्त हैं. 12 जनवरी को सभी अभियुक्तों के खिलाफ 508, 509 ,153ं, 34, 149 और पॉक्सो एक्ट में चार्जशीट दाखिल हुई थी। इस मामले में 22 जुलाई 2016 को दयाशंकर सिंह की मां तेतरी देवी ने हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी।
बता दें हजरतगंज थाने में दर्ज इस मामले में नसीमुद्दीन सिद्दीकी और राम अचल राजभर को पेश होना था. लेकिन वारंट जारी होने और भगोड़ा घोषित होने के बाद भी दोनों कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए और हाजिरी माफी और तारीख बढ़ाने की अर्जी दी. इस पर कोर्ट ने कहा कि यह अर्जी पोषणीय नहीं है. इसके बाद कोर्ट ने दोनों की सम्पत्तियों को कुर्क करने का आदेश दिया।
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