देशभर में लगा मेगा रक्तदान शिविर, 50,000 से अधिक युनिट रक्त संग्रहित

मानव एकता दिवस’ के अवसर पर समूचे देश के विभिन्न स्थानों पर सत्संग कार्यक्रमों के साथ विशाल रूप में रक्तदान...

देशभर में लगा मेगा रक्तदान शिविर, 50,000 से अधिक युनिट रक्त संग्रहित

बांदा, ‘मानव एकता दिवस’ के अवसर पर समूचे देश के विभिन्न स्थानों पर सत्संग कार्यक्रमों के साथ विशाल रूप में रक्तदान शिविरों की श्रृंखलाओं का आरम्भ हो जाता है जो वर्ष भर चलता है। इसी श्रृंखला के अंतर्गत यह महा अभियान सोमवार को समूचे भारतवर्ष में  चलाया गया। दिल्ली एवं एन.सी.आर में लगभग 1,200 युनिट रक्त संग्रहित हुए। इसके अतिरिक्त संपूर्ण भारत वर्ष में भी 50,000 से अधिक युनिट रक्त संग्रहित किया गया। वही बांदा में श्रद्धालु भक्तों द्वारा 55 यूनिट रक्तदान किया गया।

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संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन के सचिव जोगिन्दर सुखीजा ने जानकारी देते हुए बताया कि मानव एकता दिवस के अवसर पर दिल्ली एवं एन.सी.आर में लगभग 1,200 युनिट रक्त संग्रहित हुए। इसके अतिरिक्त संपूर्ण भारत वर्ष में भी 50,000 से अधिक युनिट रक्त संग्रहित किया गया।इसी क्रम में संत निरंकारी सत्संग भवन अलीगंज बाँदा में संत निरंकारी मिशन की सामाजिक शाखा संत निरंकारी चैरिटेबिल फाउंडेशन के द्वारा विशाल स्वैच्छिक रक्त दान शिविर क्षेत्रीय संचालक डा. सुरेश सिहं की देखरेख में प्रातः 10.30 बजे से दोपहार 2 बजे तक चला। जिसमें श्रद्धालु भक्तों द्वारा 55 यूनिट रक्तदान किया गया। रक्तदाताओं को जलपान की समुचित व्यवस्था की गई थी। शिविर में होने वाली समस्त सेवायें सेवादल कार्यकर्ताओं द्वारा सम्पन्न करायी गई। रक्त संग्रहित करने के लिए जिला चिकित्सालय बाँदा के योग्य चिकित्सको की टीम समस्त उपकरणों सहित उपस्थित रहे। 

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इससे पहले निरंकारी सत्गुरु माता सुदीक्षा जी द्वारा आज ग्राउंड नं0 2 निरंकारी चौक, दिल्ली में आयोजित हुए ‘मानव एकता दिवस’ के अवसर पर विशाल जन समूह को सम्बोधित करते हुए कहा,’रक्तदान सामाजिक कारक न होकर मानवीयता का एक ऐसा दिव्य गुण है जो योगदान की भावना को दर्शाता है। सत्गुरु माता जी ने मानव परिवार को सम्बोधित करते हुए फरमाया कि रक्तदान निष्काम सेवा का एक ऐसा संुदर भाव होता है जिसमें केवल सर्वत्र के भले की कामना ही मन में होती है। फिर हृदय में यह भावना उत्पन्न नहीं होती कि केवल हमारे सगे संबंधी या हमारा परिवार ही महत्वपूर्ण है अपितु समस्त संसार ही हमारा परिवार बन जाता है।

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