महोबा का एक ब्रांड बन गया एमकॉम चाय वाला,आइये जानतें हैं इनके बारे में
मन में कुछ करने की लगन हो तो ईश्वर भी उसका साथ देते हैं। फिर वह मुकद्दर का सिकंदर बन जाता है। महोबा के ...
मन में कुछ करने की लगन हो तो ईश्वर भी उसका साथ देते हैं। फिर वह मुकद्दर का सिकंदर बन जाता है। महोबा के रवि चौरसिया की कहानी भी ऐसी ही है। वो एमकॉम करके नौकरी करना चाहता था। उसमें तो सफलता नहीं मिली, हां उसने एमकॉम चाय वाला नाम से चाय की दुकान जरूर शुरू कर दी। बुंदेलखंड के पढ़े-लिखे बेरोजगार युवाओं के लिए महोबा का एमकॉम चाय वाला एक मिशाल बन गया है।
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शहर के मुन्ना चौराहा निवासी रवि चौरसिया ने वर्ष 2017 में शहर के वीरभूमि राजकीय महाविद्यालय से एमकॉम की परीक्षा पास की थी। इसके बाद वह नौकरी की तैयारी में जुट गया। तमाम प्रयास के बाद सरकारी नौकरी नहीं मिली। उसे लगा कि निजी सेक्टर में नौकरी करने से अच्छा है कि स्वयं का व्यवसाय शुरू किया जाए। पूंजी इतनी नहीं थी कि वह बड़ा व्यापार शुरू करता। ऐसे में उसने मार्केट में सर्वे किया कि कौन-कौन काम कम पूंजी में शुरू हो सकते हैं।
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तब आइडिया आया कि चाय का काम शुरू किया जाए। फिर क्या था उनसे तकरीबन 15 हजार रुपये की पूंजी खर्च कर शहर में चाय की शॉप डालने की ठान ली। अब बात आई कि दुकान का नाम क्या रखा जाए। तब उसने तय किया कि उसकी शैक्षिक योग्यता के हिसाब से शॉप का नाम एमकॉम चाय वाला ही रखा जाए।
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एमकॉम चाय वाला अब महोबा का एक ब्रांड बन गया है। शहर के नरसिंह कुटी के सामने स्थित एमकॉम चाय वाला की शॉप प्रतिदिन सुबह नौ बजे खुलती है। रात 11 बजे शॉप बंद होती है। प्रतिदिन दुकान में ग्राहकों की भीड़ उमड़ रही है। चाय का स्वाद लजीज है। लोग चाय की चुस्कियां लेने दूर-दूर से आते हैं। इस समय प्रति दिन दुकान में आठ से दस हजार रुपये की दुकानदारी हो रही है। रवि अपनी चाय की दुकान से खासा संतुष्ट है। उसका कहना है कि कोई भी काम छोटा-बड़ा नहीं होता। कठिन परिश्रम से ही कामयाबी मिलती है।