केचुंआ खाद मानव स्वास्थ के लिए कितनी महत्वपूर्ण, जानिये यहाँ
बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विष्वविद्यालय, बांदा के कुलपति डा. यू. एस. गौतम ने किसानों को प्राकृतिक व जैविक खेती के महत्व के साथ ही मुँगफली..
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बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विष्वविद्यालय, बांदा के कुलपति डा. यू. एस. गौतम ने किसानों को प्राकृतिक व जैविक खेती के महत्व के साथ ही मुँगफली की खेती में केंचुआ खाद के महत्व के विषय में बताया। साथ ही मूंगफली के पोषक गुणों तथा मानव स्वास्थ पर इसकी उपयोगिता के बारे में भी जानकारी दी।
वह बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बांदा में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के मूंगफली अनुसंधान निदेषालय द्वारा वित पोषित परियोजना ”मूँगफली की तकनीकी आधारित कृषि से बाँदा जिले के अनुसूचित जाति समुदाय के कृषकों का आर्थिक उत्थान” के अन्र्तगत कंेचुआ खाद उत्पादन और मुँगफली की खेती में इसकी भूमिका तथा मुँगफली की खेती एवं प्रबंधन तकनीकी पर दो दिवसीय प्रशिक्षण पर किसानों को सम्बोधित कर रहे थे।
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उन्होने लाभार्थी किसानों को प्रशिक्षण के प्रमाण पत्र के साथ ही वर्मी बेड तथा कंेचुआ खाद बनाने के लिये कंेचुए भी वितरित किये।
दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में वर्मी बेड के प्रयोग तथा कंेचुआ खाद उत्पादन की विधि, तकनीक एवं प्रयोग पर डा. देव कुमार तथा डा. अरविन्द कुमार गुप्ता के द्वारा प्रशिक्षण दिया गया।
दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन डा. धर्मेन्द्र कुमार, डा. अरून कुमार तथा डा. वी.के. सिंह के द्वारा किया गया।इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिले के 52 लाभार्थी किसानों ने प्रतिभाग किया।
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प्रशिक्षण कार्यक्रम में डा. अनिकेत काल्हापुरे द्वारा मंुगफली की खेती, डा. दिनेश शाह द्वारा खरपतवार नियंत्रण, डा. विवेक सिंह द्वारा रोग प्रबंधन, डा. राकेश पाण्डेय द्वारा कीट प्रबंधन एवं इंजी. हर्षद एम. माण्डगे द्वारा मुंगफली के मूल्य सवंर्धित उत्पादों के बारे में प्रशिक्षण दिया गया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम की अध्यक्षता अधिष्ठाता कृषि डा. जी. एस. पंवार तथा सह अध्यक्षता सह निदेशक शोध डा. ए सी. मिश्रा के द्वारा की गयी। प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन डा. धर्मेेन्द्र कुमार द्वारा किया गया।
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