आधुनिक खेती चमकाने को बजट में, बुन्देलखण्ड के मोटे अनाज को श्रीअन्न नाम मिला

सरकार ने परंपरागत खेती को पुनर्जीवित करने, कृषि स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए कृषि त्वरक कोष की स्थापना...

आधुनिक खेती चमकाने को बजट में, बुन्देलखण्ड के मोटे अनाज को श्रीअन्न नाम मिला

सरकार ने परंपरागत खेती को पुनर्जीवित करने, कृषि स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए कृषि त्वरक कोष की स्थापना, जैविक खाद के लिए पीएम प्रणाम योजना और डिजिटल आधुनिक खेती को चमकाने के लिए कई सौगात दी है। बुन्देलखण्ड के मोटे अनाज को अब दुनिया में मान्यता दिलाने के लिए भारत और तत्परता से काम करेगा। इसके लिए अब मोटे अनाज को श्रीअन्न नाम दिया गया है। इसके माध्यम से पोषण, किसानों की आय में बढ़ोतरी के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाए जाएंगे।

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 केंद्रीय बजट में सरकार ने श्रीअन्न (मोटा अनाज) के उत्पादन को बढ़ाने का प्रावधान किया है। इसका बुंदेलखंड के किसानों को काफी फायदा हो सकता है। करीब 15 हजार किसानों को मोटे अनाज से जोड़ने की योजना है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है बुंदेलखंड का वातावरण एवं यहां की भूमि मोटे अनाज के लिए उपयोगी है। इसके प्रसंस्करण करके किसानों की आय बढ़ाई जा सकती है। सरकार की योजना बुंदेलखंड में ही मोटे अनाज के प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने की भी है।

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मोटा अनाज वर्ष घोषित होने के बाद से ही बुंदेलखंड में इसका रकबा बढ़ाने की कवायद शुरू कर दी गई थी। झांसी में इस वर्ष मक्का, ज्वार, बाजरा आदि को कुल आठ हजार हेक्टेयर में बोवाई का लक्ष्य तय किया गया है। इसके लिए ब्लॉक स्तर पर क्लस्टर तैयार किए गए हैं। रबी सीजन खत्म होने के साथ ही इस नए क्लस्टर में इसकी बोवाई आरंभ हो जाएगी। कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक पिछले वर्ष मक्के का उत्पादन 800 हेक्टेयर, ज्वार का 500 हेक्टेयर एवं बाजरा 450 हेक्टेयर में उत्पादन हुआ था। केंद्र एवं राज्य सरकार की ओर से प्रोत्साहन मिलने से इसको पहले चरण में बढ़ाकर 8 हजार हेक्टेयर किया जाएगा।

केंद्रीय बजट में इसके लिए न सिर्फ 2200 करोड़ का प्रबंध किया गया बल्कि जौ, बाजरा, रागी के लिए प्रसंस्करण इकाई भी बनाने की बात कही है। इससे बुंदेलखंड के किसानों को सीधा फायदा होगा। कृषि अधिकारियों का कहना है कि मोटे अनाज की बुआई के लिए अनुदानित बीज भी दिए जाएंगे। उप निदेशक कृषि महेंद्र पाल सिंह के मुताबिक रबी सीजन के बाद इनकी बुवाई कराई जाएगी। इससे किसानों को फायदा होगा।

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सरकार का जोर अन्नदाता की आय बढ़ाने के साथ देश के पर्यावरण से लेकर पोषण पर भी है। इसलिए हरित खेती, मोटा अनाज को मिला ‘श्रीअन्न’ नाम और कृषि ऋण को 11 प्रतिशत बढ़ाकर 20 लाख करोड़ रुपये कर दिया है। इसके अलावा खेती में डिजिटल तकनीक, मछली और पशुपालन के साथ सरकार सहकार से समृद्धि के लक्ष्य को हासिल करेगी। किसानों के सर्वांगीण विकास के लिए इस बजट में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन-एनएफएसएम की योजना लागू कर रही है। इसे केंद्र सरकार प्रायोजित करेगी।

इस बार बजट में किसानों की आय को दोगुना बढ़ाने के लिए सरकार ने कई नई योजनाओं का प्रावधान किया है। इस बजट में कृषि अनुसंधान और शिक्षा के लिए वर्ष 2023-24 के लिए 9,504 करोड़ दिए गए हैं। इससे उच्च गुणवत्ता उपज, जैविक खेती के साथ बीज गुणवत्ता और फसलों में लगने वाले रोगों को कमतर करने, नए बीजों की उन्नत किस्मों पर शोध और प्रसंस्करण पर काम किया जाएगा। इसके अलावा बजट में केंद्र सरकार ने किसानों के लिए और भी कई लाभकारी योजनाओं की घोषणा की है।

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