बुन्देलखण्ड की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म ‘गुठली लड्डू’ में शिक्षा के अधिकार की लड़ाई

बॉलीवुड में अक्सर फिल्म निर्माता मनोरंजन को ध्यान में रखकर फिल्में बनाते हैं। सामाजिक मुद्दे पर फिल्म बनाने का साहस गिने चुने निर्माता ही कर ...

बुन्देलखण्ड की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म ‘गुठली लड्डू’ में शिक्षा के अधिकार की लड़ाई

बॉलीवुड में अक्सर फिल्म निर्माता मनोरंजन को ध्यान में रखकर फिल्में बनाते हैं। सामाजिक मुद्दे पर फिल्म बनाने का साहस गिने चुने निर्माता ही कर पाते हैं। ऐसी ही एक फिल्म है गुठली लड्डू। यह फिल्म भेदभाव जैसी गंभीर सामाजिक विषय के साथ ही शिक्षा के अधिकार जैसे महत्वपूर्ण संदेश को मनोरंजक तरीके से दर्शकों को लुभाने में कामयाब होगी। इस फिल्म की खासियत है कि इसे बुंदेली भाषा में बनाया गया है और पूरी फिल्म बुंदेलखंड के पृष्ठभूमि पर बनी हुई है।

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 फिल्म की कहानी एक बच्चे की शिक्षा के लिए जंग पर बेस्ड है। उसको लगता है कि शिक्षा उसका हक है, यह उसे क्यों नहीं मिल पा रही है। इसके लिए वह किसी हद तक जाने को तैयार है। गुठली बीज की तरह है। जहां से बच्चे की शुरुआत होती है, इसके फाउंडेशन के हिसाब से इसका नाम गुठली लड्डू रखा गया है। यह दो लड़कों की कहानी है। एक का नाम गुठली और दूसरे का नाम लड्डू है। दोनों की डिफरेंट लाइफ है। एक लड़के का शिक्षा से कोई लेना-देना नहीं है, वह खाता-पिता और मस्त रहता है। दूसरे को किसी भी सूरत में शिक्षा हासिल करनी है। लेकिन स्कूल में बच्चे नहीं आने से स्कूल बंद पड़ा है। अब दूसरा लड़का बड़े जाति वाले स्कूल में पढता है और बंद पड़े खंडहर स्कूल में आकर प्रैक्टिस करता था। फिल्म में जितने बच्चों लिया गया है। वह सभी रियल गांव से जुड़े हुए हैं। जिनकी मासूमियत देखते ही बनती है। इन बच्चों को परफॉर्म करने में काफी समय लगा। इसकी वजह से उनकी कास्टिंग में 2 से 3 महीने तक का समय लगा है 

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इस फिल्म में खलनायक की भूमिका निभा रहे अभिनेता झांसी निवासी आरिफ शहडोली ने बताया कि गुठली लड्डू उन संघर्षों और सपनों का प्रतिबिंब है जिनका का कई लोगों को अपनी यात्रा में सामना करना पड़ता है। फिल्म गुठली लड्डू सामाजिक भेदभाव जैसे मुद्दे के साथ-साथ  शिक्षा के अधिकार की भी बात करती हैं। इस फिल्म में अभिनेता संजय मिश्रा स्कूल के प्रिंसिपल की भूमिका निभा रहे हैं। जो फिल्म में गुठली के शिक्षा के अधिकार की लड़ाई लड़ता है। यह फिल्म सामाजिक परिवर्तन की ओर एक साहसिक पहल है। यह फिल्म न सिर्फ गुठली की कहानी है, बल्कि गुठली जैसे कई लोगों की कहानी है। जो हाशिए पर रहने वाले समुदायों को शिक्षा के लिए प्रेरित करती है।

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वह बताते हैं कि इस फिल्म को इंडियन लैंग्वेज बुंदेली के लिए कोलकाता इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट डायरेक्टर का अवार्ड प्राप्त हुआ है। इसमें सभी कलाकारों को बुंदेली भाषा सिखाई गई है। अब तक इस फिल्म को 50 से 60 फिल्म फेस्टिवल में दिखाया जा चुका है और कम से कम 51 से अधिक पुरस्कार फिल्म को मिल चुके हैं। इसमें मुझे आप खलनायक के रूप में देखेंगे इसके लिए निर्देश इशरत आर खान का मैं आभारी हूं। जिन्होंने मुझ पर भरोसा किया है।

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 फ़िल्म में संजय मिश्रा, सुब्रत दत्ता , धनय शेठ, कल्याणी मुळे, कंचन पगारें , अर्चना पटेल , आरिफ़ शहडोली और संजय सोनू प्रमुख भूमिकाओं में नजर आएंगें। फ़िल्म के निर्देशक इशरत आर खान है।ं  यह फिल्म 13 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी।

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