बुंदेलखंड के लाल गेहूं की विदेशों में मचेगी धूम

बुंदेलखंड के लाल गेहूं की अब विदेशों में भी धूम मचेगी। इसे जियो टैग की मान्यता भी मिल चुकी है...

बुंदेलखंड के लाल गेहूं की विदेशों में मचेगी धूम

जियो टैग की मान्यता मिलने से अब होगी बंपर पैदावार

हमीरपुर। बुंदेलखंड के लाल गेहूं की अब विदेशों में भी धूम मचेगी। इसे जियो टैग की मान्यता भी मिल चुकी है जिससे अब बुंदेलखंड की धरती पर लाल गेहूं की बंपर पैदावार होगी। यह अनाज सेहत के लिए बड़ा ही गुणकारी है। जिसे दलिया के रूप में खाने से सेहत दुरुस्त रहती है।

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बुंदेलखंड के हमीरपुर, बांदा, महोबा, चित्रकूट, जालौन, झांसी, ललितपुर और मध्यप्रदेश के तमाम इलाकों में किसी जमाने में लाल गेहूं की बंपर पैदावार होती थी। इस अनाज को कठिया गेहूं भी कहा जाता है जिसमें पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में होते है। इसकी उपज बिना रसायनिक खाद डाले किसान करते है। इसकी खेती में लागत भी कम आती है। लेकिन पैदावार अन्य प्रजाति के गेहूं की तुलना में कम होता है। इसीलिए किसानों में इसकी खेती के प्रति मोह भंग हो गया था। लाल गेहूं की खेती करने वाले रघुवीर सिंह व निरंजन सिंह राजपूत समेत तमाम किसानों ने बताया कि इसकी खेती ऊबड़ खाबड़ जमीन पर होती है जिसमें सिर्फ एक पानी की ही जरूरत पड़ती है।

बताया कि लाल गेहूं की पैदावार कम होने के कारण इसकी खेती से पहले किसानों का मोह भंग हुआ था लेकिन अब जियो टैग की मान्यता मिल जाने से इस साल लाल गेहूं की खेती बड़े क्षेत्रफल में कराई जाएगी। बताया कि एक बीघे खेत में सिर्फ दो क्विंटल गेहूं की उपज होती है जबकि अन्य प्रजाति की गेहूं की पैदावार दस क्विंटल तक होती है।

उपनिदेशक कृषिएचएस भार्गव ने बताया कि बुंदेलखंड का लाल गेहूं का दलिया खाने से सेहत फिट रहती है। इसे कहीं-कहीं पर कठिया गेहूं भी कहा जाता है। इस अनाज में सभी पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में मिलते है। बताया कि इस अनाज की खेती के लिए खाद की भी कोई जरूरत नहीं पड़ती है। कम पानी में ही इसकी बंपर पैदावार होती है।

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जियो टैग की मान्यता मिलने के बाद किसान अब बड़े क्षेत्रफल में करेंगे लाल गेहूं की खेती

उपनिदेशक कृषि ने बताया कि लाल गेहूं की खेती किसी जमाने में हर कोई करता था। लेकिन पिछले दो दशकों से इसकी खेती का ग्राफ बहुत नीचे गिरा है। मोटा मुनाफा के चक्कर मेंलाल गेहंू के बजाय किसानों में अन्य प्रजाति के गेहंू की खेती करने में दिलचस्पी बढ़ी है। बताया कि लाल गेहूं को जियो टैग की मान्यता अब मिल गई है। इसीलिए अबकी बार यहां के किसानों में इस अनाज की खेती को बढ़ावा देंगे।

लाल गेहूं का दलिया खाने से असाध्य बीमारी होती है छूमंतर, शुगर व बीपी रहता है कंट्रोल

डाँ.वीके स्रीवास्तव व डाँ.पीएन पारया ने बताया कि लाल गेहूं से तैयार दलिया असाध्य बीमारी से जूझ रहे मरीजों को खाने की सलाह दी जाती है क्योंकि ये अनाज बहुत ही गुणकारी होता है। आयुर्वेद चिकित्सक डाँ.डीके त्रिपाठी ने बताया इस अनाज का दलिया खाने से पेट सम्बन्धी बीमारी ठीक हो जाती है। साथ ही सुबह के नाश्ते में दलिया खाने से पेचिस, कोलाइटिस, शुगर और ब्लड प्रेशर जैसी बीमारी कन्ट्रोल रहती है।

हिन्दुस्थान समाचार

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