बाँदा : राम कथा दहेज मांगना अशास्त्रार्थ हैे - वेदान्ती जी महाराज
शहर के संत तुलसी पब्लिक स्कूल में राम कथा के सातवें दिन की कथा की शुरूआत भगवान श्री राम चन्द्र..
शहर के संत तुलसी पब्लिक स्कूल में राम कथा के सातवें दिन की कथा की शुरूआत भगवान श्री राम चन्द्र जी व रामायण जी की आरती के साथ हुयी। जिसमें कथाव्यास रामकृष्ण वेदान्ती जी महाराज चित्रकूट ने भगवान श्री राम जी की बारात व विवाह का प्रसंग बड़े ही सुन्दर ढंग से सुनाया। उन्होने कहा कि दहेज मांगना अशास्त्रार्थ हैे कहा कि देने वाला हमेशा लेने वाले से बड़ा होता है। लेने वाला हमेशा देने वाले के आधीन होता है।
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वेदान्ती जी महाराज ने सीता विवाह की कथा सुनाते हुए उन्होने कहा कि महाराज दशरथ जब बारात लेकर जनकपुरी आये तो वहां पर राम और लक्ष्मण तो पहले से ही मौजूद थे।
बारात में भरत और शत्र्रुघन भी आये। महाराज दशरथ के विचार-विमर्श करने के बाद कुल-गुरू वशिष्ठ जी महाराज जनक जी के पास गये और उन्होने कहा कि श्री रामचन्द्र जी के विवाह आपने की प्रतिज्ञा के अनुसार सीता जी से तथा उनके छोटे भ्राता लखनलाल जी का विवाह आपकी छोटी पुत्री उर्मिला के साथ तथा महाराज आपके छोटे भाई कुशजध्वज जिनकी दो पुत्रियां माण्डवी और शुतकीर्ति हैं जिनका विवाह महाराज दशरथ जी के सुकुमार भरत और शत्र्रुघन के साथ कर दिया जाये।
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यह सुनकर महाराज जनक जी के हर्ष का ठिकाना न रहा, उन्होने गुरू जी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आप तो वर पक्ष से हैं और आप स्वयं मेरी पुत्रियों का हांथ मांग रहे हैं यह मेरे लिये बड़े ही सौभाग्य की बात है। अब यहां पर एक नहीं बल्कि चारो राजकुमारों का विवाह सम्पन्न किया जायेगा।
विवाह की कथा के दौरान कथाव्यास श्री वेदान्ती जी महाराज ने कहा कि दहेज लेना शास्त्रार्थ है लेकिन तब जब वह मांगा न गया है। मांग कर लिया जाने वाला दहेज पाप है। क्योंकि कन्या का पिता देने में कभी कोताही नहीं करता। वह अपनी पुत्री को वह सब कुछ बिना मांगे ही देता है। यह प्रसंग सुनकर सभी श्रोतागण कथा सुनकर भाव-विभोर हो झूम उठे।
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प्रतिदिन की भांति प्रातःकाल रामायण का संगीतमय पाठ हुआ तथा उसके पश्चात गायत्री परिवार द्वारा पंच कुंडीय महायज्ञ का आयोजन ग्राम अरबई की बहनों द्वारा श्री रामराज जी के नेतृत्व में किया गया। जिसमें स्कूल के छात्रों व शिक्षकों के साथ गायत्री परिवार के लोगो ने हवन कर जन कल्याण की कामना की।
हवन के दौरान गायत्री परिवार ने विधि विधान से मंत्रोच्चार के साथ एक बालक का विद्यारम्भ संस्कार भी कराया। विद्यालय की शिक्षिकाओं ने उसे अपना आशीर्वाद देकर उसके सुखद जीवन की कामना की।
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