जल शक्ति राज्यमंत्री रामकेश निषाद के गढ़ में भाजपा चौथे स्थान पर
प्रदेश में जहां सभी नगर निगम सीटों में भाजपा का परचम लहरा......
बांदा,
प्रदेश में जहां सभी नगर निगम सीटों में भाजपा का परचम लहरा रहा है। तो वहीं नगर पालिकाओं व नगर पंचायतों में भी भाजपा ने ठीक ठाक बढ़त ली है। लेकिन बात करें, बांदा की, तो यहां की तिन्दवारी नगर पंचायत सीट में भाजपा फिसड्डी साबित हुई है। यहां पार्टी की प्रत्याशी चौथे स्थान पर पहुंच गई हैं। जबकि यह क्षेत्र प्रदेश सरकार में जलशक्ति राज्यमंत्री रामकेश निषाद का है। पार्टी की इतनी करारी हार से संगठन के पदाधिकारी भी हैरत में हैं कि आखिर ऐसा हुआ कैसे?
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आपको बता दें कि इस सीट पर मतगणना शुरू होते ही भाजपा पिछड़ती चली गई। भाजपा के अलावा कांग्रेस सपा और बसपा को पीछे छोड़ते हुए इस सीट पर निर्दलीय चुनाव लड़ रही सुधा साहू का हथौड़ा सब पर भारी पड़ गया। सुधा साहू मतगणना अंतिम चक्र तक 1625 वोट पाकर पहले स्थान पर पहुंच गई। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी किरण देवी 1059, सपा प्रत्याशी प्रियंका पटेल 759 और भाजपा प्रत्याशी राजकुमारी 674 वोट पाकर निर्दलीय निर्दलीय प्रत्याशी सुधा साहू के हथौड़े के आगे टिक नहीं पाईं। यहां भाजपा को सभी प्रमुख दलों से पिछड़ते हुए चौथे स्थान तक खिसकना पड़ा। भाजपा ने बस बहुजन समाज पार्टी की प्रत्याशी संगीता सिंह कुशवाहा को ही पीछे छोड़ा। जबकि दो निर्दलीय प्रत्याशी कमला गिरि और उर्मिला देवी भाजपा प्रत्याशी राजकुमारी के नजदीक पहुंचने में कामयाब हो गयीं। उन दोनों को क्रमशः 666 और 623 वोट मिले। यानि थोड़े से और वोट कम हो जाते तो भाजपा को पांचवें या छठवें स्थान पर खिसका दिया जाता। भाजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टी के लिए ये स्थिति वाकई चिंता का विषय है। इस सीट पर राज्यमंत्री रामकेश निषाद की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। लेकिन पार्टी के प्रत्याशी की इतनी शर्मनाक हार की किसी ने कल्पना नहीं की थी।
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सूत्र बताते हैं कि इस करारी हार के पीछे पार्टी के टिकट वितरण को दोषी माना जा रहा है। और दोषी वो लोग भी हैं जो चाटुकारिता करते करते मंत्री रामकेश निषाद की प्रतिष्ठा को खा जाना चाहते हैं। पार्टी के ही कुछ सूत्रों का दावा है कि मंत्री रामकेश को अंधेरे में रखकर कुछ चाटुकारों ने पार्टी के मूल कार्यकर्ताओं की राय को नजरअंदाज किया और टिकट बांट दिया। टिकट वितरण के दौरान भाजपा के एक पदाधिकारी प्रीतम गुप्ता ने भी अपनी पत्नी के लिए टिकट मांगा था। टिकट न मिलने पर पार्टी के नेताओं पर पैसे लेकर टिकट देने का उसने आरोप भी लगाया था। इतना ही नहीं इस पार्टी कार्यकर्ता ने टिकट वितरण में धांधली का आरोप लगाते हुए विरोध स्वरूप मुंडन भी कराया था। और यह घटना तब मीडिया की सुर्खियां बनी थी। लेकिन तिंदवारी नगर पंचायत में भाजपा की इस करारी हार ने कहीं न कहीं आरोप लगाने वाले उस कार्यकर्ता की बात को सही साबित करने का काम किया है। अब देखना ये है कि पार्टी के नेता इस पर क्या मंथन करते हैं और किसके सिर पर इस करारी हार का ठीकरा फोड़ते हैं?
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